1st Choice of Indian Politicians

हिन्‍दी साप्‍ताहिक समाचार पत्र

Hindi Weekly News Paper of India

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मोदी सरकार के लिए नया खतरा बने शिंदे

     केन्द्र में मोदी सरकार के लिए महाराष्ट्र शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे नया खतरा बन गए हैं। उनकी नाराजगी के पीछे कई कारण हैं। अब शिंदे की गिनती नितीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान जैसे नेताओं में हाने लगी है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को बना दिया गया है। उनके साथ अजीत पवार और शिंदे को उप-मुख्यमंत्री बना दिया गया है। कहते हैं कि शिंदे को इसलिए मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया क्योंकि शिंदे की पार्टी छोटी है और भाजपा उनकी पार्टी से बड़ी पार्टी है। शिंदे गुट का तर्क है कि उनकी पार्टी तो तब भी छोटी थी जब उन्हें महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया गया था। कई वजहों से शिंदे भाजपा नेतृत्व से नाराज चल रहे थे और उन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर भी जताई है। कहते हैं फिलहाल शिंदे को विश्वास में लेकर ही महाराष्ट्र की सरकार बनाई गई है। उन्हें करीब 13 मंत्रालय भी दे दिए गए हैं। यह भी कहा जा रहा है कि जो शिंदे ने मांगा वह भाजपा ने नहीं दिया। शिंदे के पास कोई विकल्प नहीं था इसलिए वह चुपचाप बैठ गए। अब शिंदे को इस निगाह से देखा जाने लगा है कि उनके पास लोकसभा में सात सांसद हैं। इसलिए यदि निकट भविष्य में केन्द्र की मोदी सरकार को हटाने का प्रयास एनडीए के घटक दलों में होता है तो शिंदे विरोधियों से हाथ मिला सकते हैं।        जारी..

 

अमेरिकी कोर्ट ने फांस लिया अडानी को

     प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी गौतम अडानी को भले ही भारत में तमाम छूट दी गई हों लेकिन अमेरिकी अदालत ने गौतम अडानी की फर्म को फांस लिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिकी इन्वेस्टर्स को गुमराह करते हुए अमेरिका से मोटी रकम की धन उगाही की है। अमेरिका में इस प्रकार के अपराध को काफी गंभीरता से लिया जाता है। उन्हें अमेरिकी पुलिस गिरफ्तार भी कर सकती है। फिलहाल उनका एक भतीजा इस झमेले में फंसा हुआ है। इससे दुनियां के सबसे बड़े धनकुबे में शुमार गौतम अडानी को बड़ा झटका लगा है। अमेरिका की एक अदालत ने कथित घूसकांड के मामले में देश के दूसरे सबसे बड़े बिजनेसमैन गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। अदालत ने लगभग 2,029 करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी में अडानी और सात अन्य लोगों को प्रथम दृष्टया दोषी माना है। पिछले दिनों न्यूयार्क की फेडरल कोर्ट में हुई सुनवाई में गौतम अडानी समेत आठ लोगों पर अरबों रुपए की धोखाधड़ी और रिश्वत के आरोप लगे हैं। यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी ऑफिस का कहना है कि अडानी ने भारत में सोलर एनर्जी से जुड़ा कांट्रैक्ट हांसिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन डालर (करीब 2,029 करोड़ रुपए) की रिश्वत दी है या ऑफर की है।    जारी...

 

प्रियंका बेअसर रहेगी

    प्रियंका गांधी फिलहाल लोकसभा की राजनीति में बेअसर रहेंगी। इसका सबसे बड़ा कारण उनके छोटे भाई राहुल गांधी ही हैं। प्रियंका कभी नहीं चाहेंगी कि उनकी वजह से राहुल गांधी की राजनैतिक पूछ कम हो जाए। इसलिए वह लो प्रोफाइल में ही रहेंगी। भले ही प्रियंका गांधी का राजनीति में प्रवेश वायनाड़ सीट से शानदार जीत के साथ हुआ है। लेकिन उनके राजनैतिक जीवन में यह उछाल कोई नया नहीं है। उनका व्यक्तित्व ही इतना शानदार है कि वह जहां कदम रखती हैं, भीड़ उनके पीछे स्वयं चली आती है लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में कांग्रेस को इसका कोई बड़ा लाभ नहीं होने वाला है। कहते हैं उन्हें सक्रीय राजनीति में उतरने में करीब 35 साल लगे और इसकी वजह भी उनका छोटा भाई राहुल गांधी ही रहा है। राजनैतिक पंडित यह भी मानते हैं कि यदि कांग्रेस का परचम पहले की तरह लहरा रहा होता तो वह शायद राजनीति में प्रवेश ही न करती। पहले भी प्रियंका गांधी ने अपने आपको अपनी परंपरागत सीटों रायबरेली और अमेठी तक सीमित रखा था। यह बात सभी मानते हैं कि उनके जैसी राजनीति करने वाला विपक्षी दलों में कोई दूसरा नेता नहीं है। वाकपटुपा में भी वह काफी चतुर हैं। हिमाचल के लोगों ने प्रियंका गांधी के तेवर पिछले विधानसभा चुनाव में तब देखे थे जब कांग्रेस पूरी तरह रसातल में पहुंच गई थी।       जारी...

 

सर्दी में हिमाचल के लोगों को लगेगा बिजली का जोरदार करंट

     इन सर्दियों में हिमाचल सरकार लोगों को तगड़ा बिजली का करंट लगाने जा रही है। हिमाचल जैसे गरीबबहुल्य ग्रामीण प्रांत में लोग पांच रुपए 36 पैसे प्रति युनिट बिजली खरीदने की ताकत नहीं रखते हैं। हलांकि सरकार का दावा है कि 125 युनिट मुफ्त बिजली सुविधा प्राप्त करने वालों पर कोई अतिरिक्त खर्चा नहीं लगाया गया है। हिमाचल में कड़ाके की सर्दी शुरू हो गई है और 125 युनिट मुफ्त बिजली से किसी का भी गुजारा होना कठिन है। इन दिनों हिमाचल में हीटर, ब्लोअर और सर्दी से बचने के लिए कई उपकरण चलते हैं। लोग ठंडे पानी से स्नान भी नहीं सकते हैं। जाहिर है कि ग्रामीण क्षेत्र में लोग बिजली के इस सरकारी प्रकोप से बचने के लिए जंगलों की लकड़ी जलाकर गुजारा करेंगे। यहां प्रश्न यह खड़ा होता है कि एक ओर तो सरकार ने बिजली की दरों में पर्यावरण को ठीक रखने के लिए दरें बढ़ा दी हैं और दूसरी ओर लोगों को जंगल की लकड़ी काटकर उसे जलाकर जिंदा रहने के लिए छोड़ दिया है। सरकार का पर्यावरण बचाने का यह नायाब तरीका सभी की समझ से बाहर है। यही नहीं हिमाचल प्रदेश में बिजली के बिल पर लगाए गए मिल्क सेस व पर्यावरण सेस से सरकार ने करीब 50 से 60 करोड़ रुपए सालाना कमाई करने की उम्मीद लगा रखी है।   जारी...

 

बीपीएल सुविधाओं को बंद करने की तैयारी में सरकार

     हिमाचल सरकार ने अब बीपीएल परिवारों को मिलने वाली सुविधाओं को बंद करने की तैयारी कर ली है। क्योंकि बीपीएल सूची में नाम रखने के लिए जो शर्तें सरकार ने लगा दी हैं उसमें बने रहना अब बहुत मुश्किल होगा। करीब एक माह बाद जिला उपायुक्त नए सिरे से बीपीएल सूचियां बनवानी शुरू कर देंगे। इनमें से अधिकतर लोग बीपीएल श्रेणी से स्वतः ही बाहर हो जाएंगे। ग्राम पंचायतों की बीपीएल सूची की समीक्षा पहले में अक्तूबर में होनी थी लेकिन कई पंचायतों में चुनाव आचार संहिता के कारण ग्राम पंचायतों की बीपीएल सूची की समीक्षा नहीं हो पाई थी। अब बीपीएल सूची में पात्र परिवारों के चयन को सुनिश्चित करने बारे यह भी स्पष्ट किया गया है कि ऐसे परिवार जिनके पास दो हेक्टेयर से ज्यादा असिंचित भूमि अथवा एक हेक्टेयर से ज्यादा सिंचित भूमि हो। ऐसे परिवार जिनके पास रहने के लिए आधुनिक शहरी प्रकार का पक्का, बड़ा निजी मकान हो, जिस परिवार का कोई सदस्य आयकर देता हो, जिनके पास चार पहिया वाहन जैसे कि कार, मोटर, जीप, ट्रैक्टर, ट्रक और बस आदि हो। वेतन, पेंशन, भत्ते, मानदेय, मजदूरी तथा व्यवसाय आदि से नियमित मासिक आमदन 2500 रुपए से अधिक हो, ऐसे व्यक्ति बीपीएल सूची में शामिल होने के पात्र नहीं होंगे। ऐसा परिवार जिनके घर से कोई सदस्य सरकारी नौकरी अथवा गैर सरकारी नौकरी में नियमित तौर पर या अनुबंध पर कार्यरत हो तथा जिसकी नियमित मासिक आमदन 2500 से अधिक हो, ऐसे परिवारों का चयन भी बीपीएल श्रेणी में नहीं किया जाएगा।       जारी...

 

हिमाचल कांग्रेस संगठन में बड़ा बदलाव हो सकता है

     हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी में बड़े बदलाव होने की संभावना जताई जाने लगी है। महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों को देखते हुए इस प्रक्रिया को विराम दिया गया था। अब फिर नए सिरे से संगठन को बनाने की बात फिर से शुरू हो गई है। पिछले दिनों कांग्रेस आला कमान ने संगठन के गठन के बारे में नेताओं से फीडबैक भी लिया है। हिमाचल में संगठन बनाना कांग्रेस आलाकमान के लिए आसान काम नहीं होगा। मौजूदा समय प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह हैं। हलांकि कांग्रेस आलाकमान ने अर्की के विधायक संजय अवस्थी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर संगठन में मौजूद दोनों गुटों में संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया है। यह बात भी किसी से छुपी हुई नहीं है कि हिमाचल कांग्रेस में अब भी वीरभद्र गुट और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह का गुट अस्तित्व में है। दोनों गुटों में अक्सर टकराव की खबरें बाहर आती रहती हैं। अब मामला काफी गंभीर हो गया है। कहते हैं मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह का गुट कांग्रेस के मौजूदा वीरभद्र सिंह गुट पर काफी हावी हो चुका है। इस गुट का नेतृत्व कर रही प्रतिभा सिंह कई बार इस ओर इशारा भी कर चुकी हैं कि सरकार में उनके लोगों को स्थान नहीं दिया गया है। यही नहीं कई बार तो यह टकराव इस हद तक भी चला गया था कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को सरकार बचाने के लाले पड़ गए थे। कहते हैं प्रदेश में हुए उप-चुनाव के बाद हलांकि वीरभद्र गुट काफी कमजोर पड़ गया है।      जारी...

 

एक बार ईवीएम और एक बार बैलेट पेपर से चुनाव हों तो

     भारत में एक बार चुनाव ईवीएम से और एक बार बैलेट पेपर से करवाने का नियम बना दिया जाए तो शायद देश में छिड़ी तमाम चुनावी बहस पर एकदम विराम लग सकता है। हरियाणा के बाद महाराष्ट्र चुनाव के बाद ईवीएम की लड़ाई सड़कों पर आने वाली है। चुनाव आयोग को छह माह में चुनाव करवाने की संवैधानिक ताकत संविधान निर्माताओं ने पहले से ही दे रखी है। इसलिए चुनाव आयोग भी यह नहीं कह सकेगा कि वह बैलेट पेपर से छह माह में भी चुनाव करवाने में सक्षम नहीं है। हरियाणा के बाद महाराष्ट्र चुनाव के परिणाम के बाद ईवीएम को लेकर फिर से नए तरीके का बवाल खड़ा हो गया है। अब एक ओर भारत सरकार और चुनाव आयोग है जो पैरवी करती है कि ईवीएम से चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष होते हैं दूसरी ओर विपक्षी दल कहते हैं कि सरकार ईवीएम की मदद से ही जहां चाहती है वहां हारा हुआ चुनाव जीत ले जाती है। चुनाव आयोग की भूमिका लगातार संदेहस्पद बनी हुई है। क्योंकि वह उन प्रश्नों के जवाब नहीं दे रहा है जो विपक्षी दल उठाते रहते हैं। इसका कोई नया फार्मूला सोचा जाना जरूरी हो गया है। अगर स्वस्थ लोकतंत्र के प्रति भारत के लोगों की निष्ठा को बनाए रखना है, तो। भाजपा जब विपक्ष में थी तो ईवीएम पर खूब शोर मचाती रहती थी। अब कांग्रेस या उससे जुड़े दल ईवीएम में हेराफेरी के आरोप लगाते हैं।        जारी

 

दिल्‍ली बिहार में भी महाराष्‍ट्र जैसा खौफ

     महाराष्ट्र चुनाव परिणाम के बाद दिल्ली और बिहार में भी हरियाणा और महाराष्ट्र जैसा चुनावी खौफ पसरने लगा है। इसका कारण यह है कि पिछले लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा स्ट्राइक रेट जिस प्रकार 37 से 90 प्रतिशत पहुंच गया है वह सबको हैरान करने वाला है। अरविन्द केजरीवाल ने तो उन लोगों को मीडिया के सामने पेश भी कर दिया जिनके वोट जबरन कार्ट दिए गए हैं। दिल्ली के साथ लगते हरियाणा में तो विपक्ष मजबूत नहीं था तो उस पर कुछ खास बवाल खड़ा नहीं हुआ। लेकिन महाराष्ट्र में तो विपक्ष काफी मजबूत था और वहां के चुनाव परिणाम विपक्ष को रास नहीं रहे हैं। महाराष्ट्र चुनाव परिणाम के बाद दिल्ली में केजरीवाल की पार्टी इस बात से भयभीत है कि जैसा भाजपा ने महाराष्ट्र में किया है वैसा ही खेल वह दिल्ली में भी कर देगी। क्योंकि उन्हें जो धरातल पर दिख वैसे परिणाम सामने नहीं आए हैं। हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में भी कहा जा रहा है कि पूरा दिन चुनाव करवाने के बाद भी कई ईवीएम की बैटरी 90 प्रतिशत बची हुई थी। कई लोग ऐसे हैं जिनके घर के वोट भी प्रत्याशी को नहीं पड़े हैं। एक आध जगह तो प्रत्याशी को शून्य वोट ही मिले हैं। कहा जा रहा है कि पूरा चुनाव मैनेज किया गया। अब चुनाव मैनेज हुआ या नहीं इसकी जानकारी तो किसी को नहीं है।          जारी

 

संपाकीय          ईवीएम और चुनाव आयोग पर निशाना

     हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव परिणामों को लेकर तमाम विरोधी पार्टियों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और भारतीय चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राजनैतिक हल्कों में यह चरचा जोरों से चल रही है कि भाजपा ने हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनावों को ईमानदारी से नहीं जीता है। ईवीएम के विरोध से अधिक विरोध भारतीय निर्वाचन आयुक्तों का हो रहा है। विपक्षी पार्टियां और कुछ समाजसेवी संगठन चुनाव आयोग के समक्ष प्रश्न खड़े कर रहा है लेकिन उन्हें कोई उत्तर भारतीय निर्वाचन आयुक्तों की ओर से नहीं मिल रहा है।
     कांग्रेस पार्टी ने तो ईवीएम हटाने को लेकर पदयात्रा शुरू करने की घोषणा भी कर दी है। चुनाव आयोग पर मुख्य प्रश्न यह दागा जा रहा है कि चुनाव का निर्धारित समय समाप्त होने के बाद शेष मतों को डलवाने में 11 फीसदी तक की बढ़ौत्तरी कैसे हो गई। कई बूथों पर जितने वोट पड़े उससे ज्यादा कैसे गिन लिए गए। इसके अलावा फार्म-17सी सहित कई तरह के आरोप भारतीय निर्वाचन आयोग पर लगाए जा रहे हैं। एक गंभीर आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि कुछ स्थानों पर ईवीएम मशीनें ही बदल दी गई और जो मशीनें पकड़ी गई हैं उसमें ईवीएम की बैटरी 99 फीसदी बाकि बची थी। इस पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है और कहा जा रहा है कि यह मशीने बदली गई हैं और वास्तव में यह मशीनें बाहर से लाकर रखी गई हैं। कहते हैं इन मशीनों से ही भाजपा को भारी जीत मिली है।    
.....जारी

 

मस्‍क के पैसों की राजनीति सामने आई

     अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में वहां के अरबपति एलॉन मस्क की भूमिका और उनके पैसों की राजनीति सामने आने लगी है। एलन मस्क वह शख्स हैं जिन्होंने ट्रंप के चुनावों में कम से कम 119 मिलियन डॉलर देकर ट्रंप के चुनावों की दिशा बदल दी थी और उनकी प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस को पराजय का मुंह ताकना पड़ा था। कहा जा सकता है कि अमेरिकी सरकार में भी भारत की तरह पैसों का दबदबा काफी बढ़ गया है। अमेरिका के प्रेजिडेंट डेजिग्नेटिड डोनाल्ड ट्रंप ने अभी राष्ट्रपति का सिंहासन संभाला भी नहीं है और उनकी टीम में खटपट की खबरें आने लगी हैं। वाशिंगटन से प्राप्त अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अरबपति और स्पेसएक्स के मालिक मस्क और ट्रंप के पुराने नजदीकी और सलाहकार बोरिस एप्सटेन के बीच विवाद छिड़ गया है। कहते हैं कि यह विवाद ट्रंप सरकार में मंत्रियों को बनाने को लेकर छिड़ गया है और यह सरकार में पैसों की धमक की पहली शुरुआत है जो आगे तक जा सकती है। यह भी बताया जा रहा है कि दोनों के बीच तनाव इस सीमा तक पहुंच गया कि डिनर टेबल पर ही दोनों ताकतवर शख्स आपस में भिड़ गए। ट्रंप के राष्ट्रपति चुनावों के बाद से एलॉन मस्क बहुत ताकतवर होकर उभरे हैं कहा जा सकता है कि उनकी तूती विश्व भर में बोलने लगी है।          जारी

 

हिमाचल पर्यटन विभाग के होटलों की खुल गई पोल

     कुछ भी हो हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने पर्यटन विभाग के 18 होटलों को बंद करने का आदेश सुनाकर हिमाचल प्रदेश सरकार के पर्यटन को बढ़ावा देने वाले सभी दावों की पोल खोलकर रख दी है। अब सरकार इस मामले की अपील को डिविजनल बैंच के समक्ष ले जा रही है या सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका लेकर जा रही है, यह अलग बात है। क्योंकि इस मामले में सरकार ने कोर्ट के समक्ष जो तथ्य रखे हैं उससे यह बात साफ जाहिर है कि सरकार पर्यटन निगम के होटलों को शुद्ध रूप से व्यवसायिक संस्थान नहीं बना पाई है। जबकि प्रदेश में निजी कंपनियां धड़ाघड़ नए नए होटल खोलती जा रही है और अच्छा मुनाफा कमा रही है। फिलहाल न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने होटल बंद करने के आदेश दे रखे हैं। इन होटलों में विख्यात एतिहासिक चायल पैलेस सहित धर्मशाला का होटल धौलाधार, लॉग हट्स मनाली, होटल सरवरी कुल्लू आदि शामिल हैं। इन सभी को 25 नवंबर तक बंद करने के आदेश दिए गए थे। प्रदेश सरकार ने फिलहाल कोर्ट को कुछ होटल बंद न करने के लिए मना लिया है पर इस पर अंततः क्या फैसला आएगा यह भविष्य के गर्भ में है। प्रदेश सरकार के यह हाटेल ऑक्यूपेंसी के मामले में निरंतर पिछड़ रहे थे। कहा जा सकता है कि इन होटलों में उतने पर्यटक नहीं आ रहे थे जितनी इन होटलों को चलाने के लिए जरूरत है। अदालत ने साफ शब्दों में सरकार से कहा है कि इन होटलों के प्रबंधन व रखरखाव पर एक तरह से फिजूलखर्ची हो रही है।      जारी

 

धन उगाही करने वालों के लिए स्‍वर्ग है बद्दी औद्योगिक क्षेत्र

     बीबीएन से धन उगाही किया जाना आम बात है। कहते हैं कि बद्दी धन उगाही का स्वर्ग है। जांच एजंसियों की धरपकड़ में अब तक दर्जनों अधिकारी आ चुके हैं। बड़ा औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण यहां चंदा उगाही का कार्य भी बड़े पैमाने पर चलता है। ऐसे में प्रदेश का एंटीक्रप्शन ब्यूरो, स्टेट विजिलेंस साहित अन्य ऐजंसियां भी स्तर्क रहती हैं। इस बार मामला सीबीआई के हत्थे चढ़ा है। सीबीआई ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तीन अधिकारियों को रिश्वतखोरी के आरोप में दबोचा है। कहते हैं कि ईपीएफओ आॅफिस बद्दी में भ्रष्टाचार के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त, प्रवर्तन अधिकारी (ईओ) तथा एक सलाहकार (निजी व्यक्ति) सहित तीन आरोपियों को रिश्वत के दस लाख रुपए सहित गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि रिश्वत के लिए दिए गए 10 लाख रुपए में पांच लाख नकद और पांच लाख रुपए के सेल्फ चेक सबूत के तौर पर शामिल हैं। सीबीआई ने तीनों आरोपियों के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है। आरोप यह है कि प्रवर्तन अधिकारी ने शिकायतकर्ता की फर्म के पीएफ मांग के मामले को जो ईपीएफओ कार्यालय बद्दी के पास लंबित है। कहते हैं कि इस मामले को अनुचित तरीके से निपटाने के लिए ईपीएफओ कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने निजी सलाहकार के माध्यम से 10 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। फर्म से कहा गया था कि यदि उक्त मांग पूरी नहीं की गई तो वसूली 45-50 लाख रुपए की होगी।          जारी

 

सैंपल फेल होने पर बिलासपुर की कंपनी का प्रोडक्‍शन स्‍टॉप

     भले ही हिमाचल सरकार केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएसओ) की जांच पर गंभीरता न दिखाती हो लेकिन पिछले दिनों जिला बिलासपुर के अंतर्गत दवा निर्माता एक कंपनी में बनने वाली दवा के सैंपल फेल होने पर जबरदस्त कार्यवाही अमल में लाई गई है। सैंपल फेल होने पर संबंधित विभाग ने कड़ी कार्रवाई करते हुए इस दवा कंपनी की प्रोडक्शन बंद करवा दी थी। सीडीएसओ पिछले कई वर्षों से हिमाचल में बनने वाली दवा कंपनियों के सैंपल की जांच करती है। सीडीएसओ ने हिमाचल की दर्जनों कंपनियों के सैंपल फेल किए हैं लेकिन प्रदेश सरकार के दवा नियंत्रक कार्यालय ने सैंपल बाजार से वापस मंगवाने के अतिरिक्त और कोई गंभीर कार्यवाही कभी नहीं की है। लेकिन बिलासपुर की दवा कंपनी की प्रोडक्शन रोकने के साथ ही भविष्य में भी इस तरह की कोई कोताही न करने को लेकर कड़ी चेतावनी भी दी गई है। विभागीय अधिकारियों की ओर से रिस्क बेस इंस्पेक्शन की गई थी और जिसके सैंपल भरे गए थे। जांच रिपोर्ट में यह सैंपल फेल पाए गए थे। कहा तो यह भी जा रहा है कि हिमाचल के स्वास्थ्य विभाग की ओर से उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार (सीडीएसओ) ने अभी कुछ दिन पहले ही जिला की एक कंपनी में रिस्क बेस इंस्पेक्शन की थी। इस दौरान अन्य जिलों के अधिकारियों पर आधारित टीम ने कंपनी में निरीक्षण किया। बाकायदा इस टीम द्वारा सैंपल एकत्रित किए गए। अब इस कंपनी में बनने वाली दवा के सैंपल फेल पाए गए।          जारी

 

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सोलन (हिमाचल प्रदेश)

 

 

 

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