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संपाकीय

ईवीएम और चुनाव आयोग पर निशाना

     हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव परिणामों को लेकर तमाम विरोधी पार्टियों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और भारतीय चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राजनैतिक हल्कों में यह चरचा जोरों से चल रही है कि भाजपा ने हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनावों को ईमानदारी से नहीं जीता है। ईवीएम के विरोध से अधिक विरोध भारतीय निर्वाचन आयुक्तों का हो रहा है। विपक्षी पार्टियां और कुछ समाजसेवी संगठन चुनाव आयोग के समक्ष प्रश्न खड़े कर रहा है लेकिन उन्हें कोई उत्तर भारतीय निर्वाचन आयुक्तों की ओर से नहीं मिल रहा है।
     कांग्रेस पार्टी ने तो ईवीएम हटाने को लेकर पदयात्रा शुरू करने की घोषणा भी कर दी है। चुनाव आयोग पर मुख्य प्रश्न यह दागा जा रहा है कि चुनाव का निर्धारित समय समाप्त होने के बाद शेष मतों को डलवाने में 11 फीसदी तक की बढ़ौत्तरी कैसे हो गई। कई बूथों पर जितने वोट पड़े उससे ज्यादा कैसे गिन लिए गए। इसके अलावा फार्म-17सी सहित कई तरह के आरोप भारतीय निर्वाचन आयोग पर लगाए जा रहे हैं। एक गंभीर आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि कुछ स्थानों पर ईवीएम मशीनें ही बदल दी गई और जो मशीनें पकड़ी गई हैं उसमें ईवीएम की बैटरी 99 फीसदी बाकि बची थी। इस पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है और कहा जा रहा है कि यह मशीने बदली गई हैं और वास्तव में यह मशीनें बाहर से लाकर रखी गई हैं। कहते हैं इन मशीनों से ही भाजपा को भारी जीत मिली है।
     हलांकि कुछ प्रत्याशी अदालतों की शरण में भी गए हैं। कई प्रत्याशियों को सुप्रीम कोर्ट पर भी विश्वास नहीं रह गया है। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि पूरे तंत्र पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कब्जा कर लिया है। चुनाव में भाजपा कहीं से जीत की तरफ जाती हुई नहीं दिखाई दे रही है और चुनाव हेराफेरी करके जीते जा रहे हैं। यदि यह बात सत्य है तो यह लोकतंत्र की हत्या है। विपक्ष का कहना है कि यदि ऐसे ही चुनाव होते रहे तो जो एक बार सत्ता में आ गया वह तो कभी भी हटेगा ही नहीं। कहा जा सकता है कि अब विपक्ष को ईवीएम और चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर तनिक भी भरोसा नहीं है। उन्हें लगता है कि सड़क पर आदोलन करके ही अब ईवीएम से छुटकारा पाया जा सकता है। सरकार आम लोगों के लिए कुछ भी नहीं कर रही है और मोदी सरकार चुनाव आयोग व ईवीएम से चुनाव करवा कर सत्ता पर जबरन काबिज है।
     देश में बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो यह मानते हैं कि जब ईवीएम के प्रति इतना बड़ा संदेह व्यक्त किया जा रहा है तो चुनाव आयोग को बैलेट पेपर से चुनाव करवा देने चाहिए। जिसका जनता में बहुमत होगा वह चुनाव जीत जाएगा। चुनाव आयोग पर संदेह इसलिए भी गहरा रहा है कि वह एक बार भी बैलेट पेपर से चुनाव करवाने को तैयार नहीं है और वह तमाम आचार संहिता का उलंग्घन करते हुए ईवीएम से ही चुनाव करवाने पर अड़ा हुआ है। कहते हैं जिस प्रकार से देश में लूटपाट जारी है और लोगों को बुरी तरह से निचोड़ा जा रहा है उसके लिए सरकार का बदला जाना जरूरी है लेकिन ईवीएम से छुकारा पाना मुश्किल है।

 
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