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सोलन समाचार

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जनगणना न होने की मार पड़ रही है नगर निगम सोलन को

सोलन नगर के साथ अन्‍याय बादस्‍तूर जारी...

निजी संवाददाता

     सोलन : वर्ष 2021 में जनगणना न होने की जबरदस्त मार सोलन नगर पर पड़ रही है। नगर निगम के चुनाव भी अब 2011 के अनुसार करवाने की मजबूरी प्रदेश सरकार के सामने आ गई है। ग्रामीण क्षेत्रों को नगर निगम सोलन में शामिल करने की अलग से मार निगम को झेलनी पड़ रही है और इसका सारा बोझ सोलन नगर में रहने वाले लोगों को भारी कर का भुगतान करके चुकाना पड़ रहा है।
     वर्ष 2011 में सोलन की जनसंख्या करीब 40 हजार के करीब थी और सोलन में 15 वार्ड थे। प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार की विफलताओं के कारण वर्ष 2021 में जनगणना नहीं हो पाई। यदि यह जनगणना हो गई होती तो सोलन की जनसंख्या इस समय 70 से 80 हजार के बीच होती और वार्डों की संख्या भी 21 या 23 हो गई होती। प्रदेश सरकार जनसंख्या के आधार पर ही किसी नगर निगम को ग्रांट देती है। जाहिर है जब जनगणना में कम जनसंख्या दर्ज की जा रही है तो नगर निगम को ग्रांट भी कम ही दी जाएगी। इससे सोलन के लोगों पर ही सारा आर्थिक बोझ प्रदेश सरकार ने लाद दिया है।
     सोलन नगर का दुर्भाग्य यह भी रहा कि कुछ लोगों की ना समझी के कारण सोलन नगर में क्षेत्र के ग्रामीण इलाके भी शामिल कर दिए गए। इस क्षेत्रों में सिविक एम्युनिटी देने की जिम्मेदारी भी नगर निगम पर आ गई और इसके बदले में कोई अतिरिक्त ग्रांट नगर निगम सोलन को नहीं दी गई और वाटर सप्लाई भी जल शक्ति विभाग को दे दी गई है। यहां से नगर निगम को अच्छी खासी आमदनी हो जाती थी। चुने गए पार्षदों ने इतनी हिम्मत भी नहीं दिखाई कि सरकार से यह मांग करते की उतनी ग्रांट तो नगर निगम सोलन को दे देते जितनी सरकार उन पंचायतों पर खर्च कर रही थी, जो नगर निगम सोलन में मिला दिए गए हैं।
     अब नगर निगम के नए चुनाव होने जा रहे हैं और इसमें भी सोलन से भेदभाव हो रहा है। वार्डों के परिसीमन की अधिसूचना पहले जारी कर दी गई और फिर उसे वापस ले लिया गया। सोलन के लोगों को यह भी नहीं बताया गया कि एक बार वार्डों का परिसीमन करने के बाद अधिसूचना वापस लेने के लिए कौन सी कानूनी ताकत का इस्तेमाल किया गया।
     निगम चुनाव की घोषणा तो लगभग हो गई है और अनुमान यह लगाया जा रहा है कि इस बार भी राज्य निर्वाचन आयोग और प्रदेश सरकार की अनभिज्ञयता के कारण फिर गैर कानूनी निगम सोलन की जनता के सिर पर बिठा दिया जाएगा। क्योंकि अभी तक चुनावों के लिए मतदाता सूची बनाने का कार्य कानूनी रूप से शुरू नहीं किया गया है। बीएलओ ने घर घर जाकर वोट बनाने का कार्य शुरू नहीं किया है। साथ ही यह भी घोषणा नहीं की गई है कि चुनाव में ईवीएम के साथ वीवीपैड मशीन लगाई जाएगी या नहीं।

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सजा हो रही है फिर भी नहीं रुक रहे चिट्टे वाले

नशे के मामले और जागरूकता की जरूरत

निजी संवाददाता

     सोलन : चिट्टा बेचने के आरोप में लोग पकड़े भी जा रहे हैं और अदालतें उन्हें सजा भी सुना रही है लेकिन चिट्टे का कहर अभी तक जारी है। लगता है कि नशे के मामले में अभी जागरूकता की बहुत जरूरत है। इस मामले में जनभागीदारी के लिए प्रदेश सरकार को और प्रयास करने होंगे। जिला अदालत पिछले दिनों सोलन में चिट्टे के साथ पकड़े गए दो आरोपियों को 1-1 वर्ष के कठोर कारावास और 10-10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है।
     विशेष न्यायाधीश अरविंद मल्होत्रा ने अपने फैसले में लिखा है कि जुर्माना अदा न करने पर दोषियों को एक वर्ष की सजा के बाद एक-एक माह अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। मामला वर्ष 2019 में परवाणू थाना के अंतर्गत दर्ज किया गया था। जिला न्यायवादी संजय पंडित ने बताया कि 6 जून, 2019 को सुबह करीब 3.30 बजे टीटीआर चौक परवाणू के समीप पुलिस ने एक कार नंबर एचपी-64-8607 को चैकिंग के लिए रोका था। तलाशी के दौरान पुलिस ने कार के भीतर से दो पैकेट्स में 22.21 ग्राम चिट्टा बरामद किया था। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज कर दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया था।
     इस प्रकार के कई और मामले अदालत में विचाराधीन हैं। लोगों को भी इस बात की जानकारी है कि अदालत में कौन कौन चिट्टा रखने और बेचने के आरोप में फंसा हुआ है लेकिन फिर भी पुलिस के पास चिट्टा बेचने वालों की गिरफ्तारी कम नहीं हो रही है। अब तो खबरें यहां तक आ रही है कि पूरा परिवार चिट्टा बेचने का कारोबार में लगा हुआ है। प्रदेश सरकार को इस बारे में कुछ और विशेष कदम उठाने की जरूरत है। अभिभावकों को यह बताने की जरूरत है कि उनके बच्चे बरबाद हो रहे हैं।

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नगर निगम चुनाव से तय हो जाएगी सोलन विधानसभा की सीट

आसान नहीं है राह कर्नल संजय शांडिल की...

निजी संवाददाता

     सोलन : करीब चार महीने या नगर निगम चुनावों के बाद यह बात भी तय हो जाएगी कि सोलन विधानसभा की सीट कांग्रेस के खाते में जाएगी या भाजपा सोलन विधानसभा की सीट कांग्रेस से छीनकर ले जाएगी। यह बात भी अब राजनैतिक गलियारों में तेज हो चली है कि अगला चुनाव मौजूदा विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल नहीं लड़ेंगे। हलांकि आजकल वह इसके लिए अपने पुत्र कर्नल संजय शांडिल की वकालत भी कर रहे हैं।
     अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि कर्नल संजय शांडिल येनकेन प्रकारेण कांग्रेस पार्टी का टिकट अपने पिता के रसूक पर प्राप्त भी कर लेंगे। लेकिन इससे उनकी जीत तय नहीं हो जाती है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह भी बताई जा रही है कि उनके पिता और मौजूदा मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने जिस प्रकार सोलन के कांग्रेसजनों की अवहेलना की है वह यहां कांग्रेस को संगठित रखने में काफी मुश्किलें खड़ी कर देगी। वैसे भी कांग्रेस की बैठकों में यह बात उजागर होती रही है कि मंत्री ने जिन लोगों को आगे बढ़ाया है वही कांग्रेस को जीत दिलाएंगे। यह उनकी ही जिम्मेदारी भी बनती है। इस प्रकार के विद्रोह की भाषा कर्नल संजय शांडिल के लिए मुसीबतें खड़ी कर देगी।
     वैसे भी एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा के प्रचलन से अब बारी भाजपा के सत्ता में आने की लग रही है। भाजपा का पलड़ा इस विधानसभा चुनाव में भारी रहने की उम्मीद सभी राजनैतिक पंडित लगा रहे हैं। वैसे भी अब भाजपा के प्रत्याशी डा. राजेश कश्यप पिछले एक दशक से गली गली की खाक छानकर काफी अनुभवी हो गए हैं। बहुत से लोग कह रहे हैं कि डा. राजेश कश्यप का टिकट इस बार कटा जा सकता है लेकिन तमाम आंकड़ों को देखा जाए तो अनुसूचित जाति सीट पर टिकट आसानी से नहीं कटता है। कसौली के विधायक विनोद सुलतानपुरी चुनाव हारते रहे लेकिन उनका भी टिकट नहीं काटा गया।
     कुल मिलाकर मोटा मोटा अनुमान यही लगाया जा रहा है कि इस बार मुकाबला कर्नल संजय शांडिल और डा. राजेश कश्यप के बीच ही होगा और इसकी बुनियाद लगभग चार माह बाद होने वाले नगर निगम चुनावों में ही पड़ जाएगी। लोगों की नजरें दोनों पार्टियों पर है कि कौन क्या दांव चलती है।

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पत्रकार और आढ़ती भिड़े

निजी संवाददाता

     सोलन : सोलन की फल एवं सब्जी मंडी में पिछले दिनों आढ़तियों और पत्रकारों में भिडं़त हो गई। आढ़तियों ने पत्रकारों को लाइव प्रसारण करने से रोक दिया। हलांकि ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है कि खुले में बोली का लाइव प्रसारण नहीं हो सकता है। अब तो खुले कोर्ट से भी लाइव प्रसारण होने लगा है।
     आढ़ियों ने पत्रकारों से कहा कि यदि वह लाइव प्रसारण करेंगे तो वह बोली नहीं करेंगे। पत्रकार भी इस बात पर अड़े रहे कि वह लाइव प्रसारण नहीं रोकेंगे। यहां प्रश्न यह खड़ा होता है कि सब्जी मंडी सोलन में स्थित मार्केट कमेटी का सचिव और अन्य अधिकारी क्या आढ़तियों से मिले हुए हैं जो आढ़तियों ने खुली बोली के दौरान पत्रकारों को चले जाने के लिए कह दिया। क्या किसानों को उनके उत्पाद का सही दाम न मिल सके और उपभोक्ताओं को सस्ते फल और सब्जियां न मिल सकें इसके लिए यह मिली भगत का खेल चल रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए।

 
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