प्रियंका बेअसर रहेगी
विशेष संवाददाता
शिमला : प्रियंका गांधी फिलहाल लोकसभा की राजनीति में बेअसर रहेंगी। इसका सबसे
बड़ा कारण उनके छोटे भाई राहुल गांधी ही हैं। प्रियंका कभी नहीं चाहेंगी कि उनकी
वजह से राहुल गांधी की राजनैतिक पूछ कम हो जाए। इसलिए वह लो प्रोफाइल में ही
रहेंगी।
भले ही प्रियंका गांधी का राजनीति में प्रवेश वायनाड़ सीट से शानदार जीत के साथ
हुआ है। लेकिन उनके राजनैतिक जीवन में यह उछाल कोई नया नहीं है। उनका
व्यक्तित्व ही इतना शानदार है कि वह जहां कदम रखती हैं, भीड़ उनके पीछे स्वयं
चली आती है लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में कांग्रेस को इसका कोई बड़ा लाभ नहीं
होने वाला है। कहते हैं उन्हें सक्रीय राजनीति में उतरने में करीब 35 साल लगे
और इसकी वजह भी उनका छोटा भाई राहुल गांधी ही रहा है। राजनैतिक पंडित यह भी
मानते हैं कि यदि कांग्रेस का परचम पहले की तरह लहरा रहा होता तो वह शायद
राजनीति में प्रवेश ही न करती। पहले भी प्रियंका गांधी ने अपने आपको अपनी
परंपरागत सीटों रायबरेली और अमेठी तक सीमित रखा था।
यह बात सभी मानते हैं कि उनके जैसी राजनीति करने वाला विपक्षी दलों में कोई
दूसरा नेता नहीं है। वाकपटुपा में भी वह काफी चतुर हैं। हिमाचल के लोगों ने
प्रियंका गांधी के तेवर पिछले विधानसभा चुनाव में तब देखे थे जब कांग्रेस पूरी
तरह रसातल में पहुंच गई थी। प्रियंका गांधी ने अकेले भाजपा के हर नेता का सामना
करके कांग्रेस की सरकार हिमाचल में बनवाई थी। इसके बाद कर्नाटक में भी प्रियंका
का जलवा बरकरार रहा। धीरे धीरे प्रियंका गांधी ने फिर अपने भाई के लिए अपने हाथ
पीछे खींच लिए और कांग्रेस फिर से मध्य प्रदेश और राजस्थान के बाद पिछड़ती चली
गई।
केरल के वायनाड़ सीट से करीब चार लाख से अधिक मतों से जीतने के बाद प्रियंका
गांधी का ग्राफ फिर एक बार बढ़ा है। उम्मीद यही की जा रही है कि वह अब संसद में
भी लो प्रोफाइल में चली जाएंगी। इसलिए प्रियंका गांधी का कोई विशेष लाभ लोकसभा
में कांग्रेस को नहीं मिलने वाला है। इसका अर्थ यह नहीं है कि वह बेअसर हो जाती
हैं। कांग्रेस को प्रियंका के लिए कोई नई भूमिका तय करनी चाहिए जहां वह अपने
लोहे को अपने दम पर मनवा सके। प्रियंका को कुछ छोटे राज्य स्वतंत्र तौर पर सौंप
दिए जाने चाहिए जहां का संगठन भी प्रियंका खड़ा करे और चुनाव में भी अकेली जूझ
जाए। तभी वह इस दुविधा से बाहर निकल सकती हैं और खुलकर राजनीति कर सकती हैं।
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