बाढ़ से गांव
के गांव तबाह हुए पर राजनैतिक ड्रामा जारी है
इस बार नुक्सान दो हजार
करोड़ तक पहुंच सकता है...
विशेष संवाददाता
शिमला
: हिमाचल में आई बाढ़ से जहां गांव के गांव तबाह हो गए हैं वहीं राजनैतिक
लोगों का ड्रामा भी यथावत जारी है। मंडी जिले का सराज जो पूर्व मुख्यमंत्री
जयराम ठाकुर का चुनाव क्षेत्र है और सांसद कंगना रणौत के संसदीय क्षेत्र में
पड़ता है वहां जमकर राजनीति हो रही है। राहत पहुंचाने में सरकार लोगों की मदद कर
रही है। इस प्राकृतिक आपदा की भरपाई कैसे होगी इस पर किसी का कोई ध्यान नहीं
है।
इस बार भी हिमाचल में मानसून के चलते आई आपदा से बड़ा नुकसान हुआ है। सुप्रीम
कोर्ट भी इस बार हिमाचल में हो रहे प्राकृतिक विनाश को लेकर चिंतित दिखाई दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने तो यहां तक कह दिया कि एक दिन हिमाचल पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
यह बात प्रदेश सरकार के लिए ही नहीं राज्य सरकार के लिए भी गंभीर चिंता का विषय
होनी चाहिए। कहते हैं कि अभी पिछले वर्ष की प्राकृतिक आपदा की क्षतिपूर्ति तक
नहीं हुई है और पता चला है कि अभी तक नुकसान का प्रारंभिक आंकलन ही हो सका है।
कुछ दिन पहले की रिपार्ट के अनुसार 739.12 करोड़ रुपए की क्षति प्रदेश की
संपत्ति को हो चुकी थी। यह नुक्सान अगस्त महीने में भी जारी है। अनुमान यह
लगाया जा रहा है कि नुकसान दो हजार करोड़ से अधिक भी हो सकता है। शुरू में ही इस
आपदा में 1353 भवनों को नुकसान पहुंचा था जिसमें से 431 मकान पूरी तरह से
क्षतिग्रस्त हो चुके थे। अकेले मंडी के 397 मकान क्षतिग्रस्त हुए है।
राजनैतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो मंडी भाजपा का गढ़ है और केन्द्र में भाजपा
की ही सरकार है। यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा की सांसद
कंगना रणौत भी मंडी से सांसद हैं। भाजपा ने सबसे ज्यादा 10 में से नौ सीटें
मंडी से ही जीती हैं। सवाल यह उठाया जा रहा है कि मोदी सरकार अपने विधायकों और
सांसद के क्षेत्र के बोझ को हल्का करने के लिए राहत पैकेज का एलान करेगी या
मामले को प्रदेश सरकार पर आरोप लगाकर छोड़ दिया जाएगा।
प्रदेश में अन्य जिलों से भी बरसात के कारण हुए नुक्सान की खबरें आ रही हैं।
लेकिन वहां राजनीति ज्यादा नहीं है, इसलिए ध्यान भी ज्यादा नहीं है। प्रदेश में
751 पक्के मकानों को आंशिक नुकसान भी पहुंचा है। इसमें चंबा के दो, हमीरपुर के
तीन, कांगड़ा के 10, कुल्लू का एक, मंडी के 719, शिमला में चार, सिरमौर में
पांच, सोलन में दो और ऊना के पांच मकानों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। हलांकि
नुक्सान की रिपोर्ट बरसात के बढ़ने के साथ बढ़ती जा रही है।
इस आपदा से अभी तक 85 लोग अकाल मौत का ग्रास बन चुके हैं। मंडी में सबसे ज्यादा
20 लोगों की मौतें हुई हैं वहीं बिलासपुर में सात, चंबा में नौ, हमीरपुर में
छह, कांगड़ा में 13, किन्नौर में तीन, कुल्लू में छह, लाहुल स्पीति में दो,
शिमला में पांच, सिरमौर में दो, सोलन व ऊना में 6-6 लोगों की मौत हुई है।
प्रदेश में अब लगभग हर वर्ष प्राकृतिक आपदा के कारण करोड़ों रुपयों का नुक्सान
होने लगा है। इसका सबसे बड़ा कारण प्राकृति से अनावश्यक छेड़-छाड़ बताया जा रहा
है। सरकार को अब इस दृष्टि से बरसात के लिए कोई अलग योजना बनाए जाने की
आवश्यकता है। लोगों से हर बार चंदा एकत्र करके प्रदेश को गति नहीं दी जा सकता
है। प्रदेश के दोनों प्रमुख दलों के नेताओं को आपस में बैठकर इस समस्या के लिए
आर्थिक प्रबंधन पर बात करनी चाहिए, वरना आपदा के समय जिस प्रकार की निम्न स्तर
की राजनीति चल रही है उससे आपदा पीड़ितों का भलना नहीं किया जा सकेगा।
|