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हिन्‍दी साप्‍ताहिक समाचार पत्र

Hindi Weekly News Paper of India

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वोट चोरी पर देश भर में घमासान

     जिस प्रकार से वोट चोरी का मामला कांग्रेस पार्टी ने देश भर में उठा रखा है। उससे पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है। कहा जा रहा है कि पिछले वर्षों में मोदी का जादू कहकर जिस बात का प्रचार किया गया वह दरअसल में वोट चोरी थी। वोट चोरी का मामला इसलिए भी तूल पकड़ गया क्योंकि जो वोट चोरी के आरोप कांग्रेस के नेता राहुल गांधी क्रमवार लगा रहे हैं उसमें चुनाव आयोग या तो बचकर निकलने का प्रयास कर रहा है या फिर उल्टी सीधी दलीलें जनता के सामने पेश कर रहा है। चुनाव आयोग लोगों का विश्वास जीतने के स्थान पर ऐसे तर्क दे रहा है जिससे वह और अधिक फंसता जा रहा है। भाजपा जिस प्रकार चुनाव आयोग की प्रवक्ता बनकर सामने आ रही है उससे चुनाव आयोग और भाजपा की मिलीभगत भी लोगों को दिखने लगी है। यहां यह बात भी सोलह टके सही है कि जब तक चुनाव आयोग को विश्वसनीय और पारदर्शी नहीं बनाया जाता है तब तक देश में लोकतांत्रिक ढंग से हुए चुनाव का सपना नहीं देखा जा सकता है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार यदि वास्तव में सही हैं तो वह उन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करके उन्हें नौकरियों से बर्खास्त क्यों नहीं करते जिनकी वजह से मतदाता सूचियों में मरे हुए जिंदा और जिंदा मरे हुए दर्शाए गए हैं। चुनाव आयोग के ऊपर अनियमितताओं की झड़ी राहुल गांधी और विपक्षी नेताओं ने लगा दी है और यह बात पूरे देश में गूंज रही है।      जारी..

 

धनखड़ का विकल्‍प

     भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को आखिर पूर्व उप- राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का विकल्प मिल गया। भाजपा ने अपने सहयोगियों एनडीए के घटक दलों के सहयोग से महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को भारत का नया उप-राष्ट्रपति बनवा लिया है। आरएसएस पृष्ठभूमि के श्री राधाकृष्णन देश के 15वें उप-राष्ट्रपति होंगे। पिछले दिनों हुए चुलावों में चुनाव में कुल 788 लोगों को वोट देने का अधिकार था जिनमें से 781 ने मतदान में हिस्सा लिया। कुल 767 वोट डाले गए जिनमें से 752 वोट मान्य रहे। सीपी राधाकृष्णन को 452 वोट मिले जबकि उनके विरोधी सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। उन्होंने 152 वोटों के अंतर से यह चुनाव जीत लिया। बीआरएस और बीजेडी ने चुनाव में भाग नहीं लिया, जबकि राज्यसभा में बीआरएस के 4 और बीजेडी के 7 सांसद हैं। पूर्व प्रधानमंत्री 92 वर्षीय एचडी देवेगौड़ा व्हीलचेयर पर मतदान केंद्र पहुंचे और अपना वोट डाला। इस चुनाव को लेकर भी जमकर राजनीति हुई। कहा जा रहा था कि दक्षिण भारत के प्रत्याशी रेड्डी को दक्षिण भारत के सांसद अपना वोट तेलगू स्वाभिमान के नाम पर दे सकते हैं। हलांकि एनडी का संख्या बल पहले से ही बहुमत का साफ दिख रहा था। लेकिन अंत में सारी अटकलें धराशाही हो गई और राधाकृष्णन चुनाव जीत गए। अब देखना यह रह गया है कि नए उन-राष्ट्रपति राज्यसभा में क्या पूर्व उप-राष्ट्रपति की भूमिका में नजर आएंगे या वह नए नजरिए के साथ राज्यसभा का संचालन अपने तरीके से करेंगे।         जारी

 

मिले 15 सौ करोड़ जरूरत है 15 हजार करोड़ की

     प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश का दौरा किया और 1500 करोड़ की राहत राशि देने का एलान कर चले गए। जबकि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू का आंकलन 15,000 करोड़ रुपए का है। ऐसे में केन्द्र सरकार के 1500 करोड़ से क्या राहत प्रदान की जा सकेगी इसका अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और कांगड़ा में प्रदेश के नेताओं से मुलाकात करके 1500 करोड़ की राशि देने का आश्वासन दिया। अब यह पैसा केन्द्र से कब मिलेगा यह तो तभी कहा जा सकता है जब यह राहत राशि प्रदेश सरकार के खाते में पहुंच जाएगी। यह भी सभी जानते हैं कि जो राहत राशि प्रधानमंत्री ने घोषित की है वह ऊंट के मुहं में जीरे के समान है। हिमाचल प्रदेश को मोदी से बड़ी राहत राशि मिलने की उम्मीद अभी भी है। मोदी से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नई दिल्ली में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डा. अरविंद पनगढ़िया से भेंट कर हिमाचल की वित्तीय स्थिति से संबंधित विषयों की जानकारी विस्तारपूर्वक दे दी है। उन्होंने कहा है कि हिमाचल पिछले तीन वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, जिसमें अनगिनत बहुमूल्य जानें गईं हैं तथा प्रदेश को 15,000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। पर्यावरण और बुनियादी ढांचे को हुआ नुकसान अत्यधिक गंभीर है।     जारी...

 

प्रदेश सरकार बना रही है लोगों की जमीने हड़पने वाला कानून

     प्रदेश सरकार भूमि से संबंधित कानून बनाकर लोगों को डरा रही है। सरकार ने इसी मानसून सत्र में यह कानून बना दिया है कि प्रदेश सरकार ने कोई भी जमीन किसी से हथिया ली है तो उसे वापस नहीं लिया जा सकेगा। इसमें किसी भी तरह की जमीन पर यदि इसमें कोई एग्रीमेंट नहीं हुआ है तो भी इसे वापस क्लेम नहीं किया जा सकेगा। यही नहीं किसानों को डराने के लिए यह प्रावधान भी रखा गया है कि राज्य में इस प्रकार के मामलों में क्लेम करने को लोक उपयोगिताओं में बाधा डालने के समान माना जाएगा और इसमें छह महीने की सजा और 2000 से 10000 रुपए तक के जुर्माना करने का प्रावधान भी किया जा रहा है। मतलब स्पष्ट है कि गलत तरीके से किसान की जमीन भी कब्जा ली जाएगी और उसके लिए लड़ने पर उसे जेल भी भेज दिया जाएगा तथा जुर्माना भी लगा दिया जाएगा। हिमाचल में एक ओर तो कई वर्षों से अतिक्रमण की गई वन भूमि पर बनाए गए सेब के बगीचों को गिराए जाने की लड़ाई चल रही है दूसरी तरफ सरकार गलत तरीके से कब्जाई गई निजी भूमि पर क्लेम करने पर पाबंदी लगाने का कानून बना रही है। कहते हैं कि सरकार धड़ा धड़ स्कूलों को बंद कर रही है। कई लोगों ने स्कूल, अस्पताल और अन्य उपयोगिता के लिए अपनी निजी भूमि सरकार को दी है। इनमें कुछ जमीनें जबरन भी तत्कालीन अधिकारियों ने बिना एग्रीमेंट के सरकार के नाम कर दी हैं।     जारी...

 

इस बार हिमाचल की बरसात ने लोगों की रूह तक कंपवा दी

     हिमाचल में इस बार हुई भयंकर बरसात ने लोगों की रूह कंपवा दी है। आजाद भारत के इतिहास में यहां के लोगों ने कभी इस तरह का जलप्रलय नहीं देखा है। इस बरसात ने सेकड़ों लोगों की जाने लील ली है और हजारों लोगों को बेघर कर दिया है। गांव के गांव दरया में समा गए और मवेशियों के बह जाने का तो कोई हिसाब ही नहीं है। कहीं तो प्रदेश की सड़कें जड़ से उखड़ गई हैं यहां यातायात पहले जैसा करने में कई वर्ष लग जाएंगे। पूरे प्रदेश में पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष दो गुनी बरसात रिकार्ड की गई है। पिछले वर्ष की बरसात में भी हिमाचल प्रदेश को इसी प्रकार का नुक्सान उठाना पड़ा था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक तब भी करीब दस हजार करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ था। लगातार दो वर्ष की बरसात का नुक्सान उठाने की स्थिति में हिमाचल प्रदेश नहीं है। इसी बात से अंदाजा लगा या सकता है कि इस बार प्रदेश में अगस्त माह के दौरान रिकॉर्डतोड़ बारिश हुई है। इस माह में 440.8 के मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई है। जो सामान्य बरसात से 72 प्रतिशत अधिक है। राज्य के 5 जिलों में तो इस अवधि के दौरान सामान्य से 100 प्रतिशत से ज्यादा बारिश हुई है। अगस्त माह के दौरान किन्नौर व लाहौल-स्पीति जिला में भी जमकर बादल बरसे हैं। जिससे तबाही हिमाचल के नीचले क्षेत्रों तक भी पहुंच गई। माह के 30 दिनों के दौरान जहां न रिकॉर्डतोड़ बारिश आंकी गई है वहीं अगस्त माह के आखिरी दिन भी प्रदेश में झमाझम बारिश होती रही, जिसका प्रकोप सितंबर माह के अंत तक दिखाई दिया और लोगों को परेशानियां भी रहेंगी। अगस्त माह के दौरान कुल्लू में सबसे ज्यादा बारिश आंकी गई है।      जारी...

 

बरसात के बाद शीत लहर की चपेट में आ जाएगा हिमाचल

     इस बार बरसात के तुरंत बाद ही हिमाचल और देश के पहाड़ी इलाके शीत लहर की चपेट में आ जाएंगे। शिमला और आसपास के क्षेत्रों में लोगों ने अभी से सर्दी महसूस करनी शुरू कर दी है। मौसम विभाग कह रहा है कि हिमाचल और उत्तर भारत में हो रही भारी बारिश और बाढ़ का असर अब अगले मौसम पर भी दिखने लगा है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि सितंबर में सामान्य से ज्यादा बारिश होने पर तापमान तेजी से गिरने लगता है। अगर मानसून की विदाई के तुरंत बाद पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया तो उसकी नमी जल्दी बर्फ में बदल सकती है। यही वजह है कि इस बार ठंड अपने तय समय से पहले दस्तक दे सकती है। अगस्त और सितंबर में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल में औसत से सात से आठ गुना ज्यादा बारिश हुई है। यह स्थिति मौसम के असामान्य स्थिति की ओर इशारा कर रही है। नमी से भरी जमीन और मानसून की विदाई के तुरंत बाद पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया तो उसकी नमी बर्फ में बदल सकती है और हिमाचल के नीचे के पर्वतों पर बर्फबारी समय से पहले भी हो सकती है। इस साल लगातार बरसात की वजह से पहाड़ी इलाकों में पाला और कोहरा भी समय से पहले पड़ सकता है। यह आभास हिमाचल के लोगों को पहले से होने लगा है। हिमाचल में ठंड समय से पहले पड़ने का असर मैदानी इलाकों पर भी पड़ेगा। पहाड़ी इलाकों में तो लोगों ने अभी से सर्दी के कपड़े पहनने शुरू कर दिए हैं। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक आमतौर पर मानसून की वापसी मध्य सितंबर से शुरू होकर महीने के अंत तक पूरी हो जाती है।          जारी...

 

30 दिन की जेल में चौपट हो जाएगा राजनैतिक भविष्‍य

     भाजपा की केन्द्र में विराजमान सरकार ने देश भर के जितने भी विरोधी पक्ष के नेताओं को जेल भेजा उनमें से लगभग सभी नेता बाइज्ज़त बरी हो गए हैं। इसका अल्पकालीन लाभ तो भाजपा ने उठा लिया लेकिन वह विरोधी पार्टी के नेताओं का स्थाई इलाज करने के मूड़ में दिख रही है। इसीलिए हाल ही में संपन्न हुए मानसून सत्र के अंतिम दिन भाजपा और उसके सहयोगियों ने एक नया बिल लोकसभा में पेश कर दिया। जिसमें यह प्रावधान रखा गया है कि प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री या किसी भी मंत्री को गिरफ्तारी या 30 दिन तक हिरासत में रहने के बाद अपना पद छोड़ना पड़ेगा। इस बिल में यह शर्त भी है कि जिस अपराध के लिए हिरासत या गिरफ्तारी हुई है, उसमें पांच साल या ज्यादा की सजा का प्रावधान होना चाहिए। गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में इससे संबंधित तीन बिल पेश किए। विपक्षी पार्टियों ने तीनों विधेयकों के खिलाफ लोकसभा में जमकर हंगामा भी किया। विपक्ष के सांसदों ने तीनों बिलों को वापस लेने की मांग करते हुए कुछ सांसदों ने गृहमंत्री अमित शाह के सामने बिल को फाड़ते हुए कागज के गोले फेंके बनाकर उन पर फेंके। कांग्रेस, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और सपा ने बिलों को न्याय विरोधी और संविधान विरोधी बताकर अपना विरोध दर्ज करवाया। गृहमंत्री अमित शाह ने तीनों बिलों को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने की बात कही। यानि अब यह बिल अगले शीतकालीन सत्र में सदन में लाया जा सकता है।        जारी

 

पाकिस्‍तान में आतंकी गतिविधियां फिर तेज

     ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी पाकिस्तानी की आतंकवादी गतिविधियों में कोई कमी नहीं आई है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि पाकिस्तान को जो आईएमएफ का लोन आपरेशन सिंदूर के समय मंजूर हुआ था उसका एक हिस्सा पाकिस्तान की सरकार ने भारतीय सेना के हमले में तबाह हुए आतंकवाद के शिविरों को पुनर्स्थापित करने के लिए दिया था। अब जैश-ए-मोहम्मद ने पाकिस्तान की डिजिटल वॉलेट सेवाओं ईजीपैसा और सादापे के जरिए फंड जुटाने का कार्य शुरू कर दिया है। एक बार फिर पाकिस्तान की आतंक पर कथित कार्रवाई का सच सामने आ रहा है। कहते हैं भारत की खुफिया एजेंसियों की जांच में खुलासा हुआ है कि जैश-ए-मोहम्मद ने पाकिस्तान की डिजिटल वॉलेट सेवाओं ईजीपैसा और सादापे के जरिए करीब 3.91 अरब रुपए (पीकेआर 391 करोड़) का फंड जुटाने का अभियान शुरू कर दिया है। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने पाकिस्तान में अपनी गतिविधियों को फैलाने के लिए गुप्त रूप से एक बड़े फंडरेजिंग अभियान की साजिश भी रची थी। खुफिया सूत्रों के अनुसार, संगठन का मकसद पीकेआर 3.91 अरब रुपए जुटाकर पाकिस्तान भर में 313 नए मरकज (ट्रेनिंग कैंप और सुरक्षित ठिकाने) स्थापित करना था। जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर और उसके भाई तल्हा अल सैफ ने अभियान का नेतृत्व किया और समर्थकों से बढ़-चढ़कर दान करने की अपील की है। इसके लिए आतंकी संगठन डिजिटल वॉलेट्स जैसे ईजीपैसा और सदापे का इस्तेमाल कर रहे है ताकि इसके किसी भी लेन-देन को एफएटीएफ की निगरानी से बचाया जा सके।        जारी

संपाकीय          नेहरू की अंदेखी का पापकाल

     आज भारत जिस भी बुरी स्थिति में है उसे पं. जवाहर लाल नेहरू के अंदेखी का पापकाल भी कहा जा सकता है। नेहरू के समय में भारत के जो दुश्मन देश थे आज भी वह भारत के दुश्मन ही हैं। रूस भारत का पहले भी मित्र था और अब भी है। कहा जा सकता है कि पं. नेहरू की अनदेखी का पापा आज भारत वर्ष पूरे विक्राल रूप में देख रहा है। फर्क इतना भर है कि इस समय देश का नेतृत्व श्री नरेन्द्र मोदी के हाथ में है जो देश के लांकतंत्र तो क्या अपनी पार्टी के लोकतंत्र से भी भटक चुके हैं और कदम कदम पर गलत फैसले लिए जा रहे हैं।
     जब देश आजाद हुआ था तो पं. नेहरू ने देश का संचालन अंग्रेजों को कोसने से शुरू नहीं किया था। उन्होंने देश के चारों कोने में विकास के नए नए मील के पत्थर स्थापित किए जिसमें सबसे बड़ काम देश के जल प्रबंधन को देश के चारों कोनों में बांध बनाने की योजना से शुरू किया। स्वास्थ्य सेवाएं देशवासियों को निशुल्क मिल सकें इसके लिए आईडीपीएल जैसी सरकारी दवा कंपनी और एम्स जैसे अस्पताल देश के चारों हिस्सों में स्थापित किए। युवाओं की उच्च शिक्षा के लिए आईआईटी चारों कोनों में स्थापित की। परमाणू शक्ति बनाने वाले संस्थान, सेना को मजबूत बनाने वाले संस्थान पं. नेहरू की ही देन थी। बाकि पं. नेहरू के काम अब कांग्रेस पार्टी देश भर में गिना ही रही है।
     उपरोक्त बातों से अंदाज लगाया जा सकता है कि पं. नेहरू भूखे नंगे देश को क्या बनाना चाहते थे। गांधी जी के सपनों की बात हम इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनके सपनों के भारत का कत्ल उसी दिन हो गया था जब नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मार कर हत्या कर दी थी। अब देश को बनाने की जिम्मेदारी पं. नेहरू के कंधों पर आ गई थी। सरदार पटेल भी 1950 में भारत के संविधान के लागू होने के कुछ दिन बाद ही इस दुनियां को अलविदा कह गए थे।     .....जारी

 

अपने घर में ही घिर गए हैं डोनाल्‍ड ट्रंप

     अपनी गलत नीतियों की वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने घर में ही धिर गए हैं और उन्हें विरोध का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी राजनेताओं और विशेषज्ञों ने ट्रंप की टैरिफ नीतियों और भारत पर लगाए गए शुल्कों की कड़ी आलोचना की है। भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लागू होने के बाद कई अमेरिकी सांसदों, राजनयिकों और विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह कदम की सबसे महत्त्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारियों में से एक को नुकसान पहुंचा सकता है। कहते हैं कि भारत पर मोटा टैरिफ लगाकर ट्रंप ने भारत-अमेरिकी संबंधों को भी ताक पर रख दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल की खरीद कर यूक्रेन युद्ध में रूस की आर्थिक मदद का आरोप लगाते हुए अब भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। वहीं अमेरिकी दल ने भारत के साथ ट्रेड डील को लेकर चल रही बातचीत के अगले दौर को भी स्थगित कर दिया है। ट्रंप के इस कदम से जहां भारत में खलबली मची हुई है वहीं अमेरिका में भी लोग चिंतित हैं। हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के डेमोक्रेट्स ने कहा है कि अमेरिका के इस कदम से चीन को फायदा मिल सकता है। एक पोस्ट में समिति ने आरोप लगाया कि सिर्फ भारत को निशाना बनाया जाना बिल्कुल सही नहीं है। पोस्ट में उन्होंने लिखा कि टैरिफ के साथ सिर्फ भारत पर ध्यान केंद्रित करने का ट्रंप का फैसला अमेरिकियों को नुकसान पहुंचा रहा है और इस प्रक्रिया में अमेरिका-भारत संबंध खराब हो रहे हैं।       जारी

 

चीन और भारत दुश्‍मन नहीं हैं : जिनपिंग

     चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई बातचीत में कहा कि चीन और भारत दुश्मन नहीं हैं। दोनों देश साझेदार हैं और दोनों एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं बल्कि विकास के लिए अवसर हैं। पिछले कई वर्षां से भारत और चीन के रिश्तों में काफी कटुता आ गई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वेषपूर्ण व्यवहार के चलते भारत के लिए जरूरी हो गया था कि वह अपने पुराने मित्र रूस के साथ संबंध सुधारे और चीन को भी साथ ले। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चीन दौरे में शी जिनपिंग ने भारत के प्रति अपने रूख से सबको हैरान कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक दोनों देश अपने रिश्तों को सुधारने की दिशा में काम करते रहेंगे, तब तक हम विकास करते रहेंगे। शी ने कहा कि चीन और भारत को अच्छे पड़ोसी और एक-दूसरे की सफलता में मदद करने वाले दोस्त बनना चाहिए। मीटिंग में जिनपिंग ने कहा कि उन्हें पीएम मोदी से मिलकर खुशी हुई। शी जिनपिंग ने इच्छा जताई कि ड्रैगन (चीन) और हाथी (भारत) को साथ आना चाहिए। वह कहते हैं कि भारत-चीन संबंधों को दीर्घकालिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। जिनपिंग ने दोनों देशों से रणनीतिक संवाद बढ़ाने, विश्वास मजबूत करने, बहुपक्षीय सहयोग में भागीदारी बढ़ाने और वैश्विक दक्षिण की एकजुटता को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।      जारी

 

स्‍कूली बच्‍चों को चिकन पनीर तो मिलेगा, कोच नहीं मिलेगा

     हिमाचल प्रदेश में जहां एक ओर स्कूली खिलाड़ियों की डाइट में चिकन और पनीर शामिल किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर हैरानी की बात यह है कि अधिकतर स्कूलों में विद्यार्थियों की खेल गतिविधियां चलाने वाले कोच या शिक्षक ही नहीं हैं। हिमाचल में सरकारी स्कूलों के छात्र एवं छात्रा खिलाड़ियों की डाइट में अब चिकन और पनीर शामिल हो गया है। हिमाचल सरकार ने डाइट मनी को 120 रुपए प्रतिदिन प्रति छात्र से बढ़कर 250 रुपए प्रतिदिन प्रति छात्र कर दिया है। इसके बाद अब इसी अनुसार इनके मेस मेनू को बदल दिया गया है। यह नया मेनू कोचिंग कैंप से लेकर टूर्नामेंट में भी लागू रहेगा। यह लिखित आदेश स्कूल शिक्षा निदेशक की ओर से सभी जिलों के उप निदेशकों को जारी किए गए हैं। नए निर्देशों के मुताबिक अंदर 14 लड़के और लड़कियां के लिए मैस मैन्यू भी नोटिफाई किया गया है। पहले स्कूली बच्चों को टूर्नामेंट में ले जाने के लिए सामान्य शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी जाती थी, पर अब उस पर भी रोक लगा दी गई है। ऐसे में बच्चे टूर्नामेंट के लिए कैसे अभ्यास करते होंगे इसका अंदाजा भी सहजता से लगा जा सकता है। ऐसे में खिलाड़ियों की डाइट मनी बढ़ाने से कोई अव्वल खिलाड़ी सरकारी स्कूलों से निकलने वाला नहीं है। इसका कारण यह बताया गया है कि पांच साल से शारीरिक शिक्षकों की स्कूलों में न तो भर्ती हुई है और न ही पदोन्नति ही हुई है। ऐसे में प्रदेश शारीरिक शिक्षक संघ ने सरकार और विभाग पर शारीरिक शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप भी लगाया है।      जारी

 

सरकार ने जीएसटी से कदम पीछे खींचे

     प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के साथ ही भारत सरकार ने जीएसटी की लूटपाट को बंद करने के लिए अपने कदम वापस खींच लिए हैं। पिछले करीब एक दशक से देश भर में जीएसटी की कड़ी आलोचना हो रही थी। अब सरकार ने लोगों को कुछ राहत देने का प्रयास शुरू किया है। शायद लोग भी अब कुछ राहत महसूस करेंगे। पिछले दिनों जीएसटी काउंसिल की हुई 56वीं बैठक में स्लैब को लेकर यह बड़ा फैसला कर दिया गया था कि अब सिर्फ तीन जीएसटी स्लैब होंगे। पांच फीसदी और 18 फीसदी के साथ लग्जरी आइटमों के लिए 40 फीसदी का नया टैक्स स्लैब बनाया गया है। लग्जरी आइटमों में शराब, तंबाकू और इससे जुड़े उत्पादों को शामिल किया गया है। अब 12 और 28 फीसदी के जीएसटी स्लैब को खत्म कर दिया गया है और इनमें शामिल ज्यादातर चीजें सिर्फ मंजूर किए गए दो टैक्स स्लैब के अंदर आ जाएंगी। इसके चलते कई सामान सस्ते होने भी शुरू हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 15 अगस्त को जीएसटी रिफॉर्म को लेकर कुछ संकेत दिए थे। जिसके बाद पहली काउंसिल बैठक हुई।  जिसमें यह बड़े फैसले लिए गए हैं। बताया जा रहा है कि दो जीएसटी स्लैब किए जाने से 175 आइटम्स सस्ती हो जाएंगी, इनमें फूड इंग्रेडिएंट्स, बादाम, स्नैक्स, रेडी-टू-ईट आइटम, जैम, घी, मक्खन, अचार, मुरब्बा, चटनी, ऑटोमोबाइल, ट्रैक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स, एसी और रेफ्रिजरेटर आदि चीजें शामिल हैं।     जारी

 

सोलन समाचार

 

हिमाचल समाचार

सोलन में पेयजल संकट लगने लगा है एक प्रशासनिक बहाना

आरबीआई गवर्नर ने सोलन में दी लोगों को जानकारी

पिछले वर्ष के मुकाबले कम सेब पहुंच रहा है सोलन मंडी में

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बीपीएल के बाद सस्‍ता राशन वालों की शामत

विमल नेगी मामले में एक गिरफ्तारी हुई

हिमाचल प्रदेश के 141 कालेजों की रैंकिग की जा रही है

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