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हिन्‍दी साप्‍ताहिक समाचार पत्र

Hindi Weekly News Paper of India

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संविधान छोड़ा, लोगों ने राहुल को छोड़ दिया

     कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने हरियाणा चुनाव में संविधान का साथ छोड़ा तो लोगों ने उनका साथ छोड़ दिया। जो कां्रग्रेस हरियाणा चुनाव में भाजपा का सफाया करने जा रही थी उसका बुरी तरह सफाया हो गया। अब कुछ गलत निर्णयों के लिए राहुल गांधी की जमकर चैतरफा आलोचना हो रही है कि वह हरियाणा को संभालने में पूरी तरह विफल रहे हैं। इससे पहले हुए लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी जिस भी जनसभा को संबोधित करने के लिए जाते थे तो भारत के संविधान की किताब का पाकेट एडीशन लेकर जाते थे। वह लोगों के सामने संविधान की किताब को लहराते हुए कहते थे कि इस संविधान की रक्षा करो। इसका अच्छा परिणाम भी उन्हें लोकसभा चुनाव में मिला। हरियाणा चुनाव में उन्होंने न तो भारत के संविधान की किताब लहराई और न ही भारत के संविधान के बारे में बात की। शायद उन्हें यह जानकारी ही नहीं है कि भारत के संविधान में क्या लिखा है। यह भी कहा जा सकता है कि राहुल गांधी भारत के संविधान के लहराए जाने की ताकत को समझ नहीं पाए।       जारी..

 

सुप्रीम कोर्ट से मिली पत्रकार को राहत

     सुप्रीम कोर्ट ने एक पत्रकार को गिरफ्तारी से राहत प्रदान करते हुए कहा है कि एक पत्रकार की रचना को सरकार की आलोचना के रूप में देखा जाता है। देश में लेखक के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज नहीं चलाया जाना चाहिए। पत्रकारों के अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत सुरक्षित हैं। फिर भी आजकल सरकार के खिलाफ लेख लिखे जाने पर पत्रकारों को गिरफ्तार करने का एक सिलसिला शुरू हो गया है। केन्द्र ही नहीं राज्य सरकारों ने भी पत्रकारों को इस प्रकार के दबाव में लेना शुरू किया हुआ है। पत्रकारों को सरकार के खिलाफ लिखने पर सरकारें उनकी आर्थिक हालात पर तो प्रहार करती ही हैं। अब तो पत्रकारों को गिरफ्तार करने तक बात चली गई है। शायद सरकार में बैठे लोगों की मानसिकता यह हो गई है कि पत्रकार को गिरफ्तार करके उसे कड़ा सबक सिखाया जाए और अगर वह कुछ दिन जेल में रहकर छूट जाए तो उसके लिए इतनी प्रताड़ना भी काफी है।      जारी...

 

अनमोल रत्‍न चला गया

     देश का अनमोल रत्न इस दुनियां को अलविदा कहकर चला गया। आजादी के आंदोलन से लेकर आज तक टाटा समूह ने जहां जमकर व्यापार किया वहीं जमकर देश सेवा भी की है। पूरा देश आज इस समाजसेवी के निधन पर मौन है। देश के अनमोल रत्न और जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा का मुंबई के वर्ली स्थित श्मशान घाट में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उन्होंने 86 वर्ष की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली थी। अंतिम संस्कार के पहले उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। कोलाबा स्थित टाटा के आवास से लेकर एनसीपीए (राष्ट्रीय प्रदर्शन कला संस्थान) और फिर श्मशान घाट तक लोगों की भारी भीड़ उनके अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी और फिर वर्ली स्थित श्मशान घाट में उन्हें पंचतत्व में विलीन किया गया। शवदाह गृह में मौजूद एक धर्म गुरु ने बताया कि अंतिम संस्कार पारसी परंपरा के अनुसार किया गया। उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार के बाद दिवंगत उद्योगपति के दक्षिण मुंबई के कोलाबा स्थित बंगले में तीन दिन तक अनुष्ठान किए जाएंगे। रतन टाटा के निधन के बाद उनका नाम देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के लिए प्रस्तावित कर दिया गया है।        जारी...

 

नरेन्‍द्र मोदी से पहले राजनाथ सिंह की विदाई जरूरी

     जिस प्रकार की जानकारियां सोशल मीडिया से मिल रही हैं। उससे लगता है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से दो दो हाथ करने को तैयार बैठी है। लेकिन उससे पहले भाजपा नेता केन्द्रीय मंत्री और पूर्व भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को दरकिनार करना जरूरी हो जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि राजनाथ ने ही अपने अध्यक्षीय काल में सभी नियमों परंपराओं को ताक पर रखते हुए नरेन्द्र मोदी को सबसे आगे कर दिया था। बात वर्ष 2013 के बाद जब नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार बनाया जा रहा था तो राजनाथ सिंह ने ही पूरी भाजपा को नरेन्द्र मोदी के चरणों में डाल दिया था। राजनाथ सिंह ने ही अमहदाबाद में हुए एक समारोह में सभी परंपराओं को ध्वस्त करते हुए मोदी को भाजपा से भी ऊपर खड़ा कर दिया था। यह भाजपा के स्थापना दिवस का समारोह था। अब तो मोदी वैसे भी भाजपा से ऊपर पहुंच गए हैं और यह बात आरएसएस को तब चुभने लगी है जब पिछले लोकसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी पूरी पार्टी को अकेले हांकते हुए पूर्णबहुमत तक नहीं ला सके थे।       जारी...

 

नोबल विजेताओं ने दुनियां को हैरान किया

     केमिस्ट्री और फिजिक्स के नोबल पुरस्कार विजेताओं ने पूरी दुनियां को हैरान कर दिया है। इन दोनों विषयों के वैज्ञानिकों ने दुनियां को एक नई देन प्रदान की है। प्राइज की घोषणा रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस ने स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में की है और पूरी दुनियां को पुरस्कार विजेताओं की उपलब्धि के बारे में बताया है। केमिस्ट्री के नोबेल प्राइज इस साल तीन वैज्ञानिकों को मिला है। इनमें अमेरिकी वैज्ञानिक डेविड बेकर, जॉन जंपर और ब्रिटिश वैज्ञानिक डेमिस हसाबिस शामिल हैं। फिजिक्स का नोबेल प्राइज इस बार एआई के गॉडफादर कहे जाने वाले जैफ्री ई. हिंटन और अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन जे होपफील्ड को मिला है। केमिस्ट्री के प्राइज को दो हिस्सों में बांटा गया है। पहला हिस्सा डेविड बेकर को मिला है, जिन्होंने नई तरह के प्रोटीन का निर्माण किया। प्रोटीन डिजाइन एक तकनीक है जिसमें प्रोटीन की संरचना में बदलाव कर नए गुण वाले प्रोटीन तैयार किए जाते हैं। इससे दवा और वैक्सीन बनाने में मदद मिलती है। प्राइज का दूसरा हिस्सा डेमिस और जॉन जंपर को मिला जिन्होंने एक ऐसा एआई मॉडल बनाया, जिसने कॉम्प्लेक्स प्रोटीन के स्ट्रक्चर को समझने में मदद की। गौर हो कि प्रोटीन मनुष्य के शरीर के लिए केमिकल टूल की तरह काम करता है।         जारी...

 

कांग्रेस ने सीतारमण के इस्‍तीफे की मांग की

     लोकसभा चुनावों से पहले केन्द्रीय वित्त मंत्री कह रही थी कि भाजपा यदि सत्ता में वापस आई तो चुनावी बॉन्ड को फिर से शुरू करेगी। अब बंगलुरु में निर्मला सीतारमण के खिलाफ दर्ज एफआईआर को लेकर कांग्रेस केन्द्र सरकार और भाजपा के खिलाफ आक्रामक हो गई है। कांग्रेस ने इसे चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कथित रूप से धन उगाही बताया है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस पर कहा कि इसने भाजपा के असली चरित्र को बेनकाब हो गया है। धन उगाही का यह मामला कुल 8000 करोड़ का है। एक प्रेस कान्फ्रेंस में सिंघवी कहते हैं कि भाजपा की योजना काफी भयावह थी और चुनावी बॉन्ड ने कुछ फर्मों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ अपने मामले को आसान बनाने या हिरासत से बाहर निकलने में मदद की थी। इसके बाद केन्द्रीय मंत्री सीतारमण के इस्तीफे की मांग भी जोर पकड़ने लगी है। इस एफआईआर के बाद भाजपा बचाव की मुद्रा में आ गई है। कांग्रेस के नेता अब इस प्रचार में जुट गए हैं कि भाजपा का असली चेहरा यही है। सुप्रीम कोर्ट ने जब चुनावी बॉन्ड के रहस्य को एसबीआई से बाहर निकलवाया तब मीडिया ने चुनावी बॉन्ड से जुड़े कई तथ्यों को अपने अखबारों में छापा तथा उनकी रिपोर्टिंग की।    जारी...

 

हिमाचल में कोर्ट से आए फैसलों पर जल्‍दी दिखानी होगी

     अब हिमाचल सरकार को कोर्ट से आए फैसलों पर जल्दी दिखानी होगी। विभिन्न अदालतें सरकार को आदेश जारी करती रहती हैं और सरकारें अदालती आदेशों की परवाह नहीं करती हैं। याचिकाकर्ता अदालत से फैसला आ जाने के बाद भी विभागों के चक्कर लगाते रहते हैं। ऐसे में वह अवमानना याचिका लगाने पर मजबूर हो जाते हैं या फिर कई मामले मियाद खत्म हो जाने के बाद खत्म हो जाते हैं। इससे लोगों का अदालतों से विश्वास खत्म होता जाता है। अब हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक व्यवस्था बनाने का प्रयास किया है। हिमाचल हाई कोर्ट ने रिपोर्टिंग की व्यवस्था बदलने के लिए एक नोटिफिकेशन जारी की है। इस नोटिफिकेशन के तहत एडवोकेट जनरल फिस के लिए यह जरूरी कर दिया है कि किसी भी केस में फैसला आने के बाद तीन दिन के भीतर ऑर्डर की कॉपी के साथ राज्य सरकार को बताया जाना आवश्यक होगा। इसके लिए रूल्स में ही संशोधन किया गया है। कई बार यह भी देखने में आया है कि अवमानना यचिका में भी अदालत को गुमराह करते हुए कह दिया जाता था कि उन्हें फैसले की कापी ही नहीं मिली है। अदालतों के सामने यह जांच का विषय बन जाता था कि फैसले की कापी किस आथरिटी को कितने समय में भेज देनी चाहिए थी। इससे याचिकाकर्ता को न्याय देने में काफी विलंब हो जाता था। हलांकि फैसले के बाद कम्प्लायंस रिपोर्ट अदालत में भेजनी जरूरी होती है।        जारी

 

शराब पीकर वाहन चलाने वालों की अब खैर नहीं

     शराब पीकर वाहन चलाने वालों की अब खैर नहीं इसके लिए हिमाचल प्रदेश पुलिस ने साप्ताहिक अभियान की शुरुआत कर दी है। अक्तूबर तक चले एक साप्ताहिक अभियान में विभिन्न जिलों में शराब पीकर वाहन चलाने वालों के लिए कुल 46901 वाहनों की जांच की गई। इस अभियान के तहत विभिन्न जिला में नाके लगाकर वाहनों को रोका गया और इस बात की जांच की गई कि कोई व्यक्ति शराब पीकर वाहन तो नहीं चला रहा है। पुलिस ने शराब पीकर वाहन चलाते हुए पकड़े गए 1,246 चालान काटे। कहते हैं इस साप्ताहिक अभियान से पहले औसत प्रति सप्ताह 195 चालान जारी किए जाते रहे हैं। इसका अर्थ यही निकाला जा रहा है कि लोग काफी संख्या में शाराब पीकर वाहन चलाते हैं और अपनी व अन्य लोगों की जान के लिए खतरा बनते हैं। शराब पीकर वाहन चलाने के लिए एमवी अधिनियम की धारा 202 के तहत 290 व्यक्तियों को गिरफ्तार भी किया गया। इस अभियान से पहले इस वर्ष भर में कुल 51 गिरफ्तारियां ही हुई थीं। पुलिस ने इस अभियान के दौरान शराब पीकर वाहन चलाने के लिए संबंधित लाइसेंसिंग अधिकारियों को 483 ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित करने की सिफारिश की है। जबकि इससे पहले 2032 ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित किए थे। इससे यह बात तो साबित हो गई है कि काफी लोग हिदायतें दिए जाने के बावजूद शराब पीकर वाहन चलाने से बाज नहीं आते हैं।       जारी

संपाकीय          कांग्रेस बड़ी पार्टी, पर ईमानदार नहीं

     वास्तव में कांग्रेस देश में सबसे बड़ी पार्टी है, पर ईमानदार नहीं है। जब भी कांग्रेस पार्टी की बात की जाती है तो उसे गांधी-नेहरू परिवार तक सीमित कर दिया जाता है। जहां तक आज के गांधी-नेहरू परिवार की बात की जाती है तो राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी तक को बेइमान नहीं कहा जा सकता। लेकिन इसके नीचे के कांग्रेसजनों की बात की जाए तो उनमें से अधिकतर पूरी तरह से ईमानदार नहीं हैं। इसके और नीचे तक जाया जाए तो एक से एक बेइमान पार्टी पर कुंडली जमाए बैठे हैं। यहां बेइमान से हमारा अभिप्राय घोटालेबाजी से नहीं है। कम से कम कांग्रेस विचारधारा के प्रति कोई ईमानदार नहीं है।
     कांग्रेस में बेइमानों का जमावड़ा कोई नई बात नहीं है। यह तो महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बहुत पहले कह दिया था कि कांग्रेस में अंग्रेजों के पिट्ठू घुस आए हैं और उनसे सावधान रहने की जरूरत है। आजादी मिलने के बाद बहुत से लोग जो अंग्रेजों की तिमारदारी किया करते थे वह कांग्रेस पार्टी में आ गए थे। आज आलम यह है कि कांग्रेस पार्टी में पार्टी के लिए समर्पित शायद ही कोई नेता बचा होगा। यदि बचा भी होगा तो किसी कोने में दुबक कर बैठा होगा और उसे कोई नहीं पूछ रहा होगा।
     हरियाणा चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी की जो परतें खुलने लगी हैं उससे उसी बात का बोध होने लगता है कि कांग्रेस में वहीं लोग हावी हो गए हैं जो अंग्रेजों के पिट्ठुओं वाली मानसिकता के थे। वह अंग्रेजी हुकूमत से लाभ लेते थे और कांग्रेस के साथ भी खड़े नजर आते थे। हरियाणा में तो पूरी तरह वही दृष्य दिखाई दिए कि नेता तो कांग्रेस के मंच पर खड़े थे और फायदा भाजपा को पहुंचाने का प्रयास कर रहे थे। वरना जिस प्रकार के चुनाव परिणाम सामने आए हैं उसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी।      ...जारी

 

हिमाचल की चोटियों में बर्फबारी अनुमान से पहले ही शुरू हुई

     जबरदस्त गर्मी के बाद अब मैदानी इलाकों जहां आजकल सुहावनी ठंडी हवाओं की बयार बहनी शुरू हो गई है वहीं हिमाचल के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कड़ाकें की सर्दी पड़नी शुरू हो गई है। किन्नौर सहित हिमाचल के जनजातीय क्षेत्रों में बरसात की बूंदों के साथ बर्फ गिरनी भी शुरू हो गई है। यहीं से यहां के लोगों का कठिन जीवन शुरू हो जाता है। इन दिनों लोग घास की कटाई करते हैं और सर्दियों में अपने और अपने पशुओं के लिए खाने पीने का सामान जमा करते हैं। धीरे धीरे पूरा इलाका शीत लहर में पूरी तरह गुमसुम हो जाता है। आजकल अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों के सेब उत्पादकों को यह चिंता भी सता रही है कि मौसम एकदम बदलता रहा तो बर्फबारी अभी से नीचे वाले सेब उत्पादन इलाकों तक पहुंच जाएगी। यदि ऐसा होता है, तो सेब की फसल सहित पौधों को भी भारी नुकसान होने का खतरा पैदा हो जाएगा है। इससे निचले और मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश होने के साथ-साथ ऊंची चोटियों पर बर्फ की सफेद चादर में बिछनी शुरू हो गई है। किन्नौर की ऊंची चोटियों जैसे किन्नर कैलाश सहित हिमालयन रेंज की सभी पहाड़ियां बर्फ से लबालब हो गई हैं और नीचे के इलाकों में भी मौसम बर्फबारी वाला बनने लगा है। मौसम में आए इस बदलाव के चलते ठंड ने भी पूरे क्षेत्रों को अपने आगोश में ले लिया है।          जारी

 

बुलंदियों को छूने को आतुर कसौली इंटरनेशनल पब्लिक स्‍कूल

     सोलन के धर्मपुर गड़खल रोड पर सनावर में स्थित कसौली इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल बुलंदियों को छूने को आतुर है। इस स्कूल की विशेषता यह है कि स्थानीय ग्रामीणों ने एक संस्था बनाकर देश विदेश के बच्चों के लिए सभी सुविधाओं से युक्त जमा दो तक शिक्षा प्रदान करने के लिए एक स्कूल बनाया है। स्कूल के प्रबंध निदेशक हीरा ठाकुर हैं। जिन्होंने अपना जीवन स्कूल को देने का संकल्प लिया है। अब इसी माह की 19 अक्तूबर को यहां एक वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह रखा गया है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी यहां भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। जिसमें स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के परिजनों और कई गणमान्य व्यक्तियों को बुलाया गया है। इसी कार्यक्रम में स्कूल प्रबंधन इस बात का ब्यौरा उपस्थित लोगों के बीच रखेगा। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के जज जस्टिस वीरेन्द्र सिंह करेंगे। जाहिर है जब हाई कोर्ट के एक जज बच्चों के बीच अपना उद्बोधन करेंगे तो वह बच्चों को भारत के संविधान और कानून की जानकारी के साथ उनके नागरिक अधिकार और कर्तव्य के बारे में बताएंगे। पिछले वर्ष भी स्कूल प्रबंधन ने अपने वार्षिक समारोह में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के सिटिंग जज को ही मुख्य अतिथि बनाया था। शायद यह बच्चों की कानून और संविधान की सबसे बड़ी पाठशाला होती है।         जारी

 

क्‍या हिमाचल अब भी बिजली उत्‍पादन का बड़ा राज्‍य है

     हिमाचल एक बड़ा बिजली उत्पादक राज्य माना जाता है। लेकिन यह बात पूरी तरह से सच नहीं है। सर्दियों के मौसम में हिमाचल प्रदेश को बिजली के लाले पड़ जाते हैं। इसीलिए हिमाचल सरकार को आगामी सर्दियों के लिए बिजली की जरूरत पर कुछ राहत केन्द्र से मिली है। राज्य के आग्रह पर केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने करीब 500 मिलियन यूनिट बिजली हिमाचल को देने पर हामी भर दी है। यह पावर अनएलोकेटेड रिजर्व से मिलेगी। इसलिए यह बाजार के भाव से सस्ती होगी। हिमाचल को सर्दियों में अक्तूबर से लेकर मार्च तक बिजली की कमी पूरा करने के लिए बैंकिंग करनी पड़ती थी या फिर महंगी बिजली खरीदनी पड़ती थी। हिमाचल कई साल से बैंकिंग की प्रथा को जारी रखे हुए था। सुक्खू सरकार बैंकिंग को फायदे का सौदा नहीं मानती है। इसलिए पूरी प्रक्रिया में बदलाव करते हुए सर्दियों की बिजली का इंतजाम नहीं हो पाया। बिजली बोर्ड का लारजी पावर हाउस बरसात में बंद हो गया था। इसी जरूरत को देखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिल्ली दौरे के दौरान केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की थी। इसमें यह आग्रह किया गया था कि हिमाचल को सर्दियों के लिए अनएलोकेटेड रिजर्व से ऊर्जा मंत्रालय बिजली दे।      जारी

 

मस्जिद विवाद कानून की शक्‍ल में सामने आया

     हिमाचल प्रदेश में संजौली मस्जिद से उठा विवाद अब नियम कानून की शक्ल में बाहर आने लगा है। यहां हुए झगड़े के बाद संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण का मामला गरमा गया था। देखा देखी यह मामला एक वर्ग विशेष के खिलाफ कुछ लोगों ने भड़का दिया था। जबकि यह मामला कानून के दायरे में ही हल होना था। इस मामले में प्रदर्शनकारी इसलिए भी ठंडे पड़ गए क्योंकि इसकी आंच में पूर्व की सरकारें आने लगी थी। अधिकतर प्रदर्शनकारियों को संबंध राजनैतिक दलों से था इसलिए उन्होंने बात को आगे बढ़ाने के स्थान पर इसे ठंडा करने पर ही शुक्र मनाया। अब संजौली मस्जिद के कारण उठे बवाल को अब शांत कर लिया है। शिमला के संजौली स्थित मस्जिद में हुए अवैध निर्माण के मामले में नगर निगम ने अंतरिम फैसला सुना दिया है। नगर निगम आयुक्त के समक्ष हुई सुनवाई के बाद मस्जिद में अवैध निर्माण वाली तीन मंजिलों को गिराने की आदेश दिए गए हैं। मस्जिद कमेट यह अंडरटेकिंग पहले ही दे चुकी है कि वह अवैध निर्माण को स्वयं गिरवा देगी। इसलिए मस्जिद कमेटी को यह काम अपने खर्चे पर करना होगा। इसके लिए दो माह का समय दिया गया है।         जारी

 

सोलन समाचार

 

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