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संपाकीय

कांग्रेस बड़ी पार्टी, पर ईमानदार नहीं

     वास्तव में कांग्रेस देश में सबसे बड़ी पार्टी है, पर ईमानदार नहीं है। जब भी कांग्रेस पार्टी की बात की जाती है तो उसे गांधी-नेहरू परिवार तक सीमित कर दिया जाता है। जहां तक आज के गांधी-नेहरू परिवार की बात की जाती है तो राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी तक को बेइमान नहीं कहा जा सकता। लेकिन इसके नीचे के कांग्रेसजनों की बात की जाए तो उनमें से अधिकतर पूरी तरह से ईमानदार नहीं हैं। इसके और नीचे तक जाया जाए तो एक से एक बेइमान पार्टी पर कुंडली जमाए बैठे हैं। यहां बेइमान से हमारा अभिप्राय घोटालेबाजी से नहीं है। कम से कम कांग्रेस विचारधारा के प्रति कोई ईमानदार नहीं है।
     कांग्रेस में बेइमानों का जमावड़ा कोई नई बात नहीं है। यह तो महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बहुत पहले कह दिया था कि कांग्रेस में अंग्रेजों के पिट्ठू घुस आए हैं और उनसे सावधान रहने की जरूरत है। आजादी मिलने के बाद बहुत से लोग जो अंग्रेजों की तिमारदारी किया करते थे वह कांग्रेस पार्टी में आ गए थे। आज आलम यह है कि कांग्रेस पार्टी में पार्टी के लिए समर्पित शायद ही कोई नेता बचा होगा। यदि बचा भी होगा तो किसी कोने में दुबक कर बैठा होगा और उसे कोई नहीं पूछ रहा होगा।
     हरियाणा चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी की जो परतें खुलने लगी हैं उससे उसी बात का बोध होने लगता है कि कांग्रेस में वहीं लोग हावी हो गए हैं जो अंग्रेजों के पिट्ठुओं वाली मानसिकता के थे। वह अंग्रेजी हुकूमत से लाभ लेते थे और कांग्रेस के साथ भी खड़े नजर आते थे। हरियाणा में तो पूरी तरह वही दृष्य दिखाई दिए कि नेता तो कांग्रेस के मंच पर खड़े थे और फायदा भाजपा को पहुंचाने का प्रयास कर रहे थे। वरना जिस प्रकार के चुनाव परिणाम सामने आए हैं उसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी।
     हरियाणा को देखकर तो कांग्रेस पार्टी से अब उनके सहयोगी दल भी डरने लगे हैं कि कहीं कांग्रेस के लिए छोड़ी सीटें, गद्दारों के कारण भाजपा की झोली में न चली जाएं। बिहार में तो तेजस्वी यादव ने कह भी दिया था कि यदि कांग्रेस को वह अधिक सीटें न छोड़ते तो वह अकेले अपने दम पर ही सरकार बना लेते। कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पार्टी है और उसका मान रखने के लिए उसे सम्मानजनक सीटें मिलनी चाहिए। अब महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली में कांग्रेस को इसका नुक्सान उठाना पड़ेगा। भविष्य के लिए कांग्रेस को अपनी छवि को बेईमान कांग्रेस मुक्त बनाना होगा। तब तक उसे सहयोगियों की बात माननी चाहिए। बड़े पैमाने पर उच्च पदों पर बैठे कांग्रेसियों की छुट्टी करनी होगी और नए विकल्प खड़े करने होंगे।
     कांग्रेस को बदलना होगा या समाप्त हो जाने में ही देश की भलाई है। कोई कांग्रेसी कांग्रेस में ऐसा नहीं रहना चाहिए जो कांग्रेस के इतिहास को नहीं जानता हो और नए परिवेश में उसका इस्तेमाल करने के काबिल न हो। इसमें कांग्रेस को उन लोगों की मदद भी लेनी चाहिए जो कांग्रेस को जड़ से जानते हैं। यदि कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया तो फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बात सच साबित होने जा रही है कि कांग्रेस को खत्म हो जाना चाहिए।

 
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