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सोलन समाचार

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वार्ड पांच में बिना वीवीपैड के चुनाव करवा दिए

ईवीएम मशीन के साथ वीवीपैड मशीन अनिवार्य...

निजी संवाददाता

     सोलन : जिला प्रशासन ने वार्ड न.- पांच के चुनाव बिना वीवीपैड के करवा दिए। जबकि इससे पहले जब नगर निगम के चुनाव हुए थे तो भी ईवीएम के साथ वीवीपैड मशीन को नहीं जोड़ा गया था। जबकि सुप्रीम कोर्ट इस बार में पहले ही यह आदेश जारी कर चुका है कि ईवीएम मशीन बिना वीवीपैड के अधूरी है और इसे चुनाव करवाते हुए ईवीएम मशीन के साथ लगाया जाना जरूरी है।
     अभी पिछले दिनों सोलन के वार्ड न.- पांच में हुए उप-चुनावों में भाजपा के प्रत्याशी अमरदीप पांजा ने कांग्रेस के पुनीत नारंग को एक तरफा मुकाबले में हराकर पार्षद बनने का गौरव प्राप्त किया। कांग्रेस की सरकार ने इस चुनाव को गैरकानूनी तरीके से बिना वीवीपैड के करवा दिया और भाजपा ने यह चुनाव जीत लिया तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अहमियत ही खत्म हो गई। क्योंकि शिकायत करने वाला कोई बचा ही नहीं है। लोग तंज कसते हुए कहने लगे हैं कि सुप्रीम कोर्ट तो फैसले देता रहता है उसे मानना या न मानना सरकार की मर्जी पर निर्भर करता है।
     अखबारों में खबरें छपती रहती हैं उनकी परवाह कोई नहीं करता है। इस खबर को प्रकाशित किया जाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि लोगों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि चुनाव के समय बिना वीवीपैड के ईवीएम मशीन के कोई मायने नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट में भाजपा के नेता सुब्रामण्यम स्वामी ने एक जनहित याचिका लड़ी थी और इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया था कि ईवीएम के साथ वीवीपैड मशन होनी चाहिए। इसी फैसले के बाद विधानसभा और लोकसभा चुनावों में वीवीपैड मशीन का इस्तेमाल होने लगा था। यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में यदि ईवीएम के साथ वीवीपैड मशीन न लगी हो तो वह गैर कानूनी होगा और नगर निगम के चुनाव करवाने में बिना वीवीपैड के चुनाव कानूनी कैसे होगा, भगवान ही जाने।

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सस्‍ता एजुकेशन लोन लेने के लिए भी छात्र आगे नहीं आ रहे हैं

नौकरियां तो दे नहीं रहे लोन लेकर फंसना थोड़े ही है...

निजी संवाददाता

     सोलन : सस्ते एजुकेशन लोन के लिए भी छात्र आगे नहीं आ रहे हैं। इसका कारण शायद यही है कि बच्चे एजुकेशन लोन तो ले लेते हैं लेकिन नौकरियां न मिलने के कारण वह बैंकों का पैसा नहीं चुका पाते हैं। अब छात्र कहने लगे हैं कि एजुकेशन लोन लेकर बच्चे अपने मां बाप के सामने और बड़ी आफतें खड़ी करने की वजह बन जाते हैं।
     पता चला है कि हिमाचल में कांग्रेस सरकार की एक फ्लैगशिप स्कीम डाक्टर वाइएस परमार विद्यार्थी योजना में सस्ता एजुकेशन लोन लेने के लिए छात्र आगे नहीं आ रहे हैं। इस योजना में एक फीसदी ब्याज पर एजुकेशन लोन दिया जाता है। हाल ही में राज्य सरकार की कैबिनेट ने विदेश में पढ़ाई के लिए भी इस योजना के तहत लोन की अनुमति दे दी थी। अब शिक्षा विभाग का कहना है कि इस योजना में छात्र-छात्राएं आवेदन नहीं कर रहे हैं। इसलिए अब उच्च शिक्षा निदेशक ने स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी के कन्वीनर यूको बैंक को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें कहा गया है कि बैंक इस योजना की पब्लिसिटी अपने स्तर पर करे और यदि इस योजना के तहत कोई एजुकेशन लोन के लिए आवेदन करता है, तो ज्यादा फाॅर्मेलिटी किए बगैर लोन केस अप्रूव कर दिए जाएं। इसके बाद बैंक इंटरेस्ट सबसिडी के क्लेम राज्य सरकार को भेजेंगे। एक फीसदी ब्याज छात्र से लिया जाएगा, जबकि बाकी की ब्याज की राशि सबसिडी के तौर पर राज्य सरकार भरेगी।
     मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने पिछले बजट में इस स्कीम की घोषणा की थी। इसी महीने कैबिनेट में इस स्कीम को और विस्तार भी दिया गया है। अब विदेश में भी पढ़ाई के लिए भी इस योजना में लोन मिल जाता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में भी इसका प्रावधान किया गया है।
     सरकार की एजुकेशन लोन की नई योजना के फेल होने का कारण छात्र अपने सीनियरस को मानते हैं वह कहते हैं कि उनके सीनियरस ने भी एजुकेशन लोन लेकर कई प्रोफेशनल डिग्रियां हांसिल की हैं। सरकार लोन तो आसानी से दिलवा देती है लेकिन इससे बच्चा लोन के चक्कर में ऐसा फंस जाता है कि उनका पूरा जीवन अंधकारमय हो जाता है। बैक वाले लोन वसूलने के चक्कर में पूरे परिवार को दुखी कर देते हैं। सरकार चाहे तो उनके लोन माफ करवा दे।

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कूड़े के हेरफेर में नगर निगम को जुर्माना

पैसे ले रहे हैं, कूड़े का सही निष्‍पादन नहीं कर रहे...

निजी संवाददाता

     सोलन : सोलन के लोगों से घरों का कचरा उठाने की एवज में हजारों रुपए नगर निगम एकत्र कर रहा है। फिर भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की फटकार का नगर निगम पर कोई असर नहीं हो रहा है। अब परेशान होकर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सलोगड़ा स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में कचरे के सही निस्तारण न होने पर नगर निगम सोलन को नौ लाख 90 हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया है।
     परवाणू प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक अभियंता अनिल राव कहते हैं कि नगर निगम सोलन के सलोगड़ा स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का निरीक्षण किया था। इस दौरान कई खामियां पाई गई थी। इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजकर जुर्माना प्रस्तावित किया था। वहां से प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद निगम को यह जुर्माना का लगाया है। 15 दिन में जुर्माना अदा करना होगा अन्यथा आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी, जो इससे भी कठोर होगी।
     इससे पहले भी कई बार तत्कालीन नगर परिषद व वर्तमान नगर निगम के कार्यकाल में सलोगड़ा स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के चलते कोर्ट से जुर्माना लग चुका है। यह प्लांट हमेशा से ही सवालों के घेरे में रहा है। कभी कचरा प्रबंधन को लेकर टेंडर और कभी कचरे के सही निष्पादन न होने पर। इस प्लांट के लिए हुए टेंडर में दो वर्ष के भीतर लिगेसी वेस्ट को हटाया जाना था, जो अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। सवाल यह उठता है कि जब नगर निगम ने घरों और दुकानों से कूड़ा उठाने के रेट तय किए थे तो उसके निष्पादन का खर्च उसमें नहीं जोड़ा था। जबकि कांग्रेस ने तो लोगों का कूड़ा फ्री में उठाने की बात कही थी।

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छात्र को थप्‍पड़ मार दिया

निजी संवाददाता

     सोलन : कहते हैं पिछले दिनों सोलन कालेज में एक प्रोफेसर ने छात्र को थप्पड़ जड़ दिया। जैसे ही यह खबर छात्रों में पहुंची कालेज में हंगामा हो गया, छात्रों ने कालेज में जमकर रोष प्रदर्शन किया गया और परिसर में नारेबाजी होनी लगी। मामला इतना बढ़ गया कि मौके पर पुलिस को बुलाना पड़ा। साथ ही छात्रों ने कक्षाओं का भी बहिष्कार कर दिया।
     बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं प्रिंसीपल आॅफिस के बाहर इकट्ठा हो गए। काफी देर तक छात्रों ने यहां जमकर कालेज प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की। पुलिस के दखल के बाद मामले को शांत करवाया गया। गुस्साए छात्रों ने प्रोफेसर पर कई संगीन आरोप लगाए हैं। छात्रों ने आरोप लगाया है कि कालेज के एक प्रोफेसर ने छात्र को पहले बुरा-भला कहा और बाद में थप्पड़ मार दिया। कुछ छात्राओं ने भी प्रोफेसर पर आरोप लगाया कि उक्त प्रोफेसर छात्राओं के साथ भी अभद्र भाषा का प्रयोग करता है। हकीकत क्या है यह जांच में पता चलेगा।

 
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