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        ग्रास साप्ताहिक, निर्मल निवास, सपरून, सोलन
        (हि.प्र.) 
        न.-9418104770  | 
           
         
    
        सोलन में पेयजल संकट लगने लगा है एक 
        प्रशासनिक बहाना 
    
        सोलन का पानी सरकारी संरक्षण में 
        चोरी हो रहा है... 
        
    
    
    निजी संवाददाता 
    
    
         सोलन :  
        पिछले करीब दो माह से 
    सोलन में व्याप्त पेयजल संकट पर अब स्थानीय लोग मुखर होने लगे हैं। नगर निगम 
    सोलन में बात शुरू हुई थी मुफ्त पेयजल देने से और अब पेयजल न मिलने तक आ पहुंची 
    है। अधिकतर लोग सोलन में उपजे पेयजल संकट को एक प्रशासनिक बहाना मानने लगे हैं। 
     पिछले कई दशकों से सोलन में पेयजल संकट को लेकर एक 
    रटा-रटाया जवाब प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा दिया जाता रहा है कि अश्विनी और 
    गिरी नदी में बरसात के कारण गाद आ जाने के कारण पेयजल आपूर्ती नहीं की जा सकती 
    है। लेकिन अब लोगों को यह दलीलें एक बहाना लगने लगी हैं। लोगों का कहना है 
    हिमाचल में सतलुज, व्यास और रावि जैसी नदियों से भी पेयजल नगरों को दिया जा रहा 
    है लेकिन वहां गाद जैसी कोई बहानेबाजी नहीं की जाती है। फिर अश्विनी और गिरी 
    नदी में गाद आ जाने का बहाना हर बार के लिए ढूंढ लिया गया है। 
     लोगों ने साफ तौर पर कहा है कि यदि ऐसा है तो योजना बनाने 
    में इंजीनियरों ने योजना सही ढंग से नहीं बनाई होगी। उनके खिलाफ कार्यवाही की 
    जानी चाहिए। मुख्य आरोप जिला प्रशासन पर यह लगाया जा रहा है कि जब गिरी नदी का 
    सारा पानी ही चोरी कर लिया गया हो तो सोलन नगर में पेयजल संकट व्याप्त होना ही 
    है। जल शक्ति विभाग से प्रशासन को पूछना चाहिए कि जब गिरी पेयजल योजना सोलन के 
    लोगों को समर्पित की जा चुकी है और उसकी मालिक सोलन की जनता हो चुकी है। तो 
    उससे कहीं और पाने देना क्या पानी की चोरी नहीं है। 
     लोग कहते हैं सोलन को दिए जाने वाले पानी में जानबूझकर 
    गाद छोड़ी जा रही है ताकि लोगों को विश्वास हो जाए कि नदी में वास्तव में कितनी 
    गाद आ गई है। जबकि वैल में ही इसे शुद्ध करने की विधियां हैं। जल शक्ति विभाग 
    गंदे पानी की लिफिटिंग कर रहा है जिससे मोटरें आए दिन फुंक रही हैं।
        
        
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    आरबीआई गवर्नर ने सोलन में दी लोगों को जानकारी 
    
    
    
    पीएनबी के कार्यक्रम में आए थे संजय मल्होत्रा 
    
    
    
    
    निजी
    
    संवाददाता 
    
    
    
         
    सोलन : 
    भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा 
    ने कहा कि देश की प्रत्येक पंचायत में बैंक की शाखा खोली जाएगी ताकि लोगों को 
    अपने घरद्वार पर बैंकिंग सुविधाएं व सेवाएं प्राप्त हो सकें। आरबीआई गवर्नर 
    सोलन के कोठों स्थित कला केंद्र के सभागार में पीएनबी के वित्तीय समावेशन 
    संतृप्ति कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। 
     संजय मल्होत्रा ने कहा कि यह सुनिश्चित बनाया जा रहा है 
    कि 500 की जनसंख्या वाले क्षेत्र की पांच किलोमीटर की परिधि में भी बैंकिंग 
    सुविधाएं प्राप्त हों। हिमाचल सहित पहाड़ी क्षेत्रों का विशेष ध्यान रखा गया है। 
    500 की आबादी वाले प्रत्येक गांव के पांच किलोमीटर के दायरे में बैंकिंग सेवा 
    उपलब्ध है। यही कारण है कि देश की आबादी से अधिक बैंक खाते खुल गए हैं। डिजिटल 
    क्रांति के साथ बैंकिंग क्षेत्र में डिजिटल फ्रॉड के मामले में भी बढ़े हैं। 
    उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन भी फ्रॉड एक बड़ा कारण है, इसलिए अपना फोन कभी किसी 
    को न दें या फिर केवल अपनी निगरानी में ही दूसरे को अपना फोन इस्तेमाल करने 
    दें। 
     आरबीआई गवर्नर ने हिमाचल प्रदेश के लोगों की सराहना करते 
    हुए कहा कि प्रदेश ने साक्षरता व बैंकिंग क्षेत्र में बहुत तरक्की है। प्रदेश 
    की साक्षरता दर जहां 100 प्रतिशत तक पहुंच गई है, वहीं, डिजिटल बैंकिंग भी 100 
    फीसदी है। हिमाचल 100 फीसदी वित्तीय डिजिटल साक्षरता वाले राज्यों में शुमार 
    है। वह बताते हैं कि प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत देश में करीब 55 करोड़ बैंक 
    खाते खोले गए हैं। इसमें से अभी तक 11 करोड़ खातों की रि-केवाईसी नहीं हुई है। 
    उन्होंने इस कार्यक्रम के माध्यम से देश के सभी बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों 
    को इन खातों की रि-केवाईसी करने के निर्देश भी दिए। 
        
        
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        पिछले वर्ष के मुकाबले कम 
        सेब पहुंच रहा है सोलन मंडी में 
        
        
        ज्यादातर सेब पेड़ों से झड़ कर बगीचों में ही गिर गया... 
        
        
        निजी संवाददाता 
        
        
            
        सोलन : सब्जी मंडी 
        सोलन में इस बार उतना सेब नहीं पहुंच पा रहा है जितना पिछले वर्षों में 
        पहुंचता था। बंपर फसल के बावजूद सेब की बोरियां सड़कों के किनारे पड़ी हैं। 
        लगातार बारिश और बंद पड़ी सड़कों के कारण सेब की ढुलाई नहीं हो पा रही है। कई 
        स्थानों पर सेब बगीचों में गिरने और झड़कर सड़ने की कगार पर पहुंच गया है। 
        अधिकतर सड़कें अवरुद्ध होने से बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। 
     सोलन की सब्जी मंडी में सेब आ तो रहा है पर उन इलाकों से 
        जहां ढुलाई की कुछ व्यव्स्था हो रही है। लगातार हो रही बारिश ने प्रदेश भर 
        में खूब तबाही मचाई है, जिसे सोशल मीडिया में लगभग सभी लोगों ने देख लिया 
        है। बारिश का सिलसिला थोड़ा थमने से सेब उत्पादक किसानों ने थोड़ी राहत महसूस 
        की है। बागवानों ने बारिश रुकते ही अपने सेब के बागीचों का रुख किया। 
        बागीचों में पेड़ों से सेब का भारी मात्र में गिरना बागवानों के लिए परेशानी 
        बन गया। इससे बागवानों को काफी बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। बागवानों का 
        कहना है कि भारी बारिश और बंद पड़ी सड़कों के कारण सेब का सीजन इस साल बुरी 
        तरह प्रभावित हो गया है। 
     बागीचों में सेब पूरा तैयार है लेकिन सड़कें बंद होने से 
        फसल को मंडियों तक पहुंचाने में असमर्थ हैं। सोलन की सेब मंडी सेब बेचने के 
        लिए सबसे उपयुक्त स्थान है, जहां से तेज गति से सेब देश की मंडी में जा 
        सकता है। हिमाचल में सेब का सीजन पीक पर है और मार्ग अवरुद्ध हैं। सरकार 
        लाख प्रयास भी कर ले तो भी सड़कों को इतनी जल्दी ठीक करना काफी मुश्किल काम 
        है। बागवानों का जो सेब बचा भी है उसे औने पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर 
        हैं। यदि सेब 10-15 दिन में नहीं बिका तो सेब और पक जाएगा और यह सेब कोई 
        खरीदने को तैयार नहीं होगा। 
     सोलन की फल और सब्जी मंडी से अब तक लाखों पेटी सेब देश भर 
        की मंडियों में चला जाता था लेकिन इस बार यह आंकड़ा हजारों पर आ गया है। 
        मंडी में भले ही सेब का दाम अच्छा मिल जाए लेकिन उसे मंडी तक पहुंचाने में 
        जो कष्ट और परेशानी बागवानों को हो रही है उसके मुकाबले सेब का दाम कुछ भी 
        नहीं है। इस बार कुछ बागवानों के खर्चे भी निकल जाएं तो भी गनीमत है। 
    
        
        
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    सोलन में बड़ी तबाही नहीं हुई 
    
    
    
    
    निजी
    
    संवाददाता 
    
     
    
        
    सोलन : 
    
    
    
    सोलन नगर में इस बरसात में जबरदस्त मेघ बरसे लेकिन ऐसी तबाही कहीं देखने को 
    नहीं मिली जैसी हिमाचल प्रदेश में अन्य बड़े शहरों और कस्बों में देखने को मिली। 
    नगर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बरसात से किसानों की फसलों को जरूर 
    नुकसान पहुंचा है। लेकिन बड़े बड़े भवनों के ढह जाने की खबरें सोलन नगर में नहीं 
    मिली। जबकि पिछली बरसात में गांव शामती के समीप बड़े भवनों को बरसात ने हिलाकर 
    रख दिया था, पर वह क्षेत्र भी अभी हाल ही के वर्षों में नगर क्षेत्र में शामिल 
    किया गया था। 
     इस बात का श्रेय लोग नगर निगम के भवन निर्माण के लिए 
    अपनाई जा रही नीति को देते हैं। नगर में भवन निर्माण के लिए जो इंजीनीयर्स 
    मकानों के नक्शे बनाते हैं वह इस बात का ध्यान रखते हैं कि भवन छोटी मोटी बरसात 
    को झेलने लायक हो। हलांकि नगर में भवन निर्माण बेतरतीब हुआ है लेकिन गुणवत्ता 
    के लिहाज से भवनों का निर्माण काफी अच्छा है।
    
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