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बुलंदियों को छूने को आतुर कसौली इंटरनेशनल पब्लिक स्‍कूल

स्‍कूल के बच्‍चे हर फनमौला बनें : हीरा ठाकुर

विशेष संवाददाता

     सोलन : सोलन के धर्मपुर गड़खल रोड पर सनावर में स्थित कसौली इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल बुलंदियों को छूने को आतुर है। इस स्कूल की विशेषता यह है कि स्थानीय ग्रामीणों ने एक संस्था बनाकर देश विदेश के बच्चों के लिए सभी सुविधाओं से युक्त जमा दो तक शिक्षा प्रदान करने के लिए एक स्कूल बनाया है। स्कूल के प्रबंध निदेशक हीरा ठाकुर हैं। जिन्होंने अपना जीवन स्कूल को देने का संकल्प लिया है।
     अब इसी माह की 19 अक्तूबर को यहां एक वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह रखा गया है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी यहां भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। जिसमें स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के परिजनों और कई गणमान्य व्यक्तियों को बुलाया गया है। इसी कार्यक्रम में स्कूल प्रबंधन इस बात का ब्यौरा उपस्थित लोगों के बीच रखेगा। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के जज जस्टिस वीरेन्द्र सिंह करेंगे। जाहिर है जब हाई कोर्ट के एक जज बच्चों के बीच अपना उद्बोधन करेंगे तो वह बच्चों को भारत के संविधान और कानून की जानकारी के साथ उनके नागरिक अधिकार और कर्तव्य के बारे में बताएंगे। पिछले वर्ष भी स्कूल प्रबंधन ने अपने वार्षिक समारोह में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के सिटिंग जज को ही मुख्य अतिथि बनाया था। शायद यह बच्चों की कानून और संविधान की सबसे बड़ी पाठशाला होती है।
     स्कूल के प्रबन्ध निदेशक हीरा सिंह ठाकुर कहते हैं कि जबसे यह स्कूल शुरू किया गया है तब से इसी बात पर जोर दिया जा रहा है कि उनके स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे देश के अच्छे नागरिक और हरफनमौला बने और विभिन्न क्षेत्रों में जाकर वह अपने स्कूल और माता पिता का नाम रौशन करें। इसके लिए उन्हें स्कूल में हर प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है। शिक्षा के साथ साथ उनके खेल गतिविधियां चलाई जाती हैं बच्चों को विभिन्न स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए स्कूल से बाहर अन्य स्थानों पर भी भेजा जाता है। जब वहां से बच्चे पुरस्कार जीतकर आते हैं तो स्कूल प्रबन्ध को भी इस बात का संतोष होता है कि बच्चा हर दिशा में निपुण होने की ओर अग्रसर हो रहा है।
     श्री हीरा ठाकुर यह भी कहते हैं कि उनका कार्य यह है कि वह स्कूल में सबसे उम्मदा स्टाफ लेकर आएं। स्कूल के प्रिंसिपल से लेकर स्टाफ के सदस्य बच्चों की गतिविधियों पर पूरी नजर रखते हैं। एक स्वच्छंद वातावरण में बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया जाता है। प्राइमरी स्तर के बच्चे बोर्डिंग में बड़े बच्चों के साथ रहकर उनका अनुसरण करते हैं।

 
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