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हिमाचल की चोटियों में बर्फबारी अनुमान से पहले ही शुरू हुई

हिमाचल के जनजातीय क्षेत्रों में कठिन जीवन शुरू...

     जबरदस्त गर्मी के बाद अब मैदानी इलाकों जहां आजकल सुहावनी ठंडी हवाओं की बयार बहनी शुरू हो गई है वहीं हिमाचल के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कड़ाकें की सर्दी पड़नी शुरू हो गई है। किन्नौर सहित हिमाचल के जनजातीय क्षेत्रों में बरसात की बूंदों के साथ बर्फ गिरनी भी शुरू हो गई है। यहीं से यहां के लोगों का कठिन जीवन शुरू हो जाता है। इन दिनों लोग घास की कटाई करते हैं और सर्दियों में अपने और अपने पशुओं के लिए खाने पीने का सामान जमा करते हैं। धीरे धीरे पूरा इलाका शीत लहर में पूरी तरह गुमसुम हो जाता है।
     आजकल अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों के सेब उत्पादकों को यह चिंता भी सता रही है कि मौसम एकदम बदलता रहा तो बर्फबारी अभी से नीचे वाले सेब उत्पादन इलाकों तक पहुंच जाएगी। यदि ऐसा होता है, तो सेब की फसल सहित पौधों को भी भारी नुकसान होने का खतरा पैदा हो जाएगा है। इससे निचले और मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश होने के साथ-साथ ऊंची चोटियों पर बर्फ की सफेद चादर में बिछनी शुरू हो गई है। किन्नौर की ऊंची चोटियों जैसे किन्नर कैलाश सहित हिमालयन रेंज की सभी पहाड़ियां बर्फ से लबालब हो गई हैं और नीचे के इलाकों में भी मौसम बर्फबारी वाला बनने लगा है।
     मौसम में आए इस बदलाव के चलते ठंड ने भी पूरे क्षेत्रों को अपने आगोश में ले लिया है। जो लोग कुछ दिन पहले तक हल्के गर्म कपड़ों में घूम रहे थे वह भारी गर्म कपड़े लेने को मजबूर हो गए हैं। किन्नौर जिला में मौसम में आए इस बदलाव के चलते सेब कारोबारियों को भी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। किन्नौर जिला में सेब सीजन इस दिनों पूरे यौवन पर होता है। यह सेब देश भर में सबसे अच्छा सेब माना जाता है। इसके दाम भी देश भर के अन्य सेबों से कहीं अधिक होते हैं। प्रति दिन हजारों की संख्या में सेब की पेटियां मंडी में पहुंचाई जा रही हैं।
     कहते हैं देश के सबसे ठंडे इलाके में पैदा होने वाला यह सेब गुणवत्ता में अन्य सभी प्रकार के सेब को पछाड़ देता है। इसकी खास बात यह है कि इसकी फसल तब बाजार में आती है जब सब जगह का सेब बाजार में आना बंद हो जाता है। इसी के साथ इन दिनों किन्नौर में घास कटाई का भी दौर चल रहा है। बारिश के चलते घास सड़ने का भी खतरा बना हुआ है। वैसे भी इस वर्ष जिला किन्नौर में कम बारिश होने के कारण घास की पैदावार बहुत कम देखी जा रही है। इससे बर्फबारी के मौसम में यहां रहने वाले लोग कैसे अपने पशुओं का पेट भर पाएंगे। इसके बाद अब भयंकर बर्फबारी के कारण सभी लोग अपने घरों में दुबक जाएंगे। यहां का जनजीवन पूरी तरह से घरों के भीतर सिमट जाएगा। मार्च माह के बाद ही यहां जीवन फिर से लौटने लगेगा।
     कुल मिलाकर इसी प्रकार का जीवन हिमाचल के अधिक बर्फबारी वाले क्षेत्रों में हैं। हलांकि पर्यटकों के लिए हिमाचल यह क्षेत्र काफी लोकप्रिय हैं लेकिन तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे पहुंच जाने के कारण यहां आसान नहीं है। हिमाचल के कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ही लोगों को बर्फबारी का आनंद लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। हिमाचल में बर्फबारी के साथ ही यहां आने के लिए पर्यटक उत्सुक हो जाते हैं।

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