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    बरसात के बाद शीत लहर की चपेट में आ जाएगा हिमाचल 
    
    
    
    लोगों को अभी से महसूस होने लगी है सर्दी... 
    
    
    विशेष संवाददाता 
    
         
    शिमला : इस बार बरसात के तुरंत बाद ही हिमाचल और देश के पहाड़ी इलाके शीत लहर की 
    चपेट में आ जाएंगे। शिमला और आसपास के क्षेत्रों में लोगों ने अभी से सर्दी 
    महसूस करनी शुरू कर दी है। मौसम विभाग कह रहा है कि हिमाचल और उत्तर भारत में 
    हो रही भारी बारिश और बाढ़ का असर अब अगले मौसम पर भी दिखने लगा है। मौसम 
    वैज्ञानिकों का कहना है कि सितंबर में सामान्य से ज्यादा बारिश होने पर तापमान 
    तेजी से गिरने लगता है। 
        
    अगर मानसून की विदाई के तुरंत बाद पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया तो उसकी नमी 
    जल्दी बर्फ में बदल सकती है। यही वजह है कि इस बार ठंड अपने तय समय से पहले 
    दस्तक दे सकती है। अगस्त और सितंबर में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल में औसत से 
    सात से आठ गुना ज्यादा बारिश हुई है। यह स्थिति मौसम के असामान्य स्थिति की ओर 
    इशारा कर रही है। नमी से भरी जमीन और मानसून की विदाई के तुरंत बाद पश्चिमी 
    विक्षोभ सक्रिय हो गया तो उसकी नमी बर्फ में बदल सकती है और हिमाचल के नीचे के 
    पर्वतों पर बर्फबारी समय से पहले भी हो सकती है। 
        
    इस साल लगातार बरसात की वजह से पहाड़ी इलाकों में पाला और कोहरा भी समय से पहले 
    पड़ सकता है। यह आभास हिमाचल के लोगों को पहले से होने लगा है। हिमाचल में ठंड 
    समय से पहले पड़ने का असर मैदानी इलाकों पर भी पड़ेगा। पहाड़ी इलाकों में तो लोगों 
    ने अभी से सर्दी के कपड़े पहनने शुरू कर दिए हैं। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक 
    आमतौर पर मानसून की वापसी मध्य सितंबर से शुरू होकर महीने के अंत तक पूरी हो 
    जाती है। लेकिन इस बार हालात बताते हैं कि उत्तर भारत में लगभग एक सप्ताह देर 
    तक थोड़ी बहुत बारिश रह सकती है। 
        
    शिमला में सितंबर के शुरुआती दो दिनों में ही औसत से दो सौ प्रतिशत अधिक बारिश 
    दर्ज की जा चुकी है। इसका मतलब है कि मिट्टी और हवा में नमी सामान्य से कहीं 
    ज्यादा बनी रहेगी। जैसे ही तापमान गिरेगा, यह नमी पहाड़ों में बर्फबारी को जन्म 
    दे सकती है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अब भी पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता 
    बनी रहेगी, जिससे पहाड़ों में बर्फबारी 10 से 15 दिन पहले प्रारंभ हो सकती है। 
    ऐसे में दीपावली से पहले कड़ाके की ठंड का अहसास होने लगेगा। अगर अक्टूबर के 
    पहले सप्ताह में पश्चिमी विक्षोभ आ गया तो हिमाचल के तराई वाले क्षेत्रों में 
    भी तापमान तीन से पांच डिग्री तक नीचे जा सकता है। 
        
    आइएमडी के आंकड़े भी यही संकेत देते हैं कि पहाड़ों में सर्दी का कैलेंडर बदल रहा 
    है। 2021 में अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही हिमाचल, उत्तराखंड और कश्मीर की 
    ऊंचाइयों पर बर्फ गिर चुकी थी। 2022 में तो 20 सितंबर को ही केदारनाथ और 
    यमुनोत्री बर्फ की चादर से ढक गए थे। आंकड़े बताते हैं कि जब-जब सितंबर में 
    सामान्य से अधिक बारिश हुई है, अक्टूबर की शुरुआत में ही ठंडक महसूस होने लगी 
    है। 
        
    हिमाचल प्रदेश में इस बार बाढ़ और भारी बरसात ने जबरदस्त तांडव मचाया है। राहत 
    कार्य भी काफी धीमी गति से चल रहे हैं और सर्दी भी एक दम तेजी से अपने पैर 
    पसारने लगी है। सरकार को सर्दी आने से पहजे ही तमाम राहत कार्यों को पूरा कर 
    लेना चाहिए अन्यथा यह पीड़ितों पर दोहरी मार होगी और सरकार के दुगनी परेशानी हो 
    जाएगी। 
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