Home Page
 

हिमाचल समाचार

यदि आप ग्रास साप्ताहिक अपने घर पर मंगवाना चाहते हैं तो कृपया 300 रु. सदस्ता शुल्क हम तक पहुंचाने का कष्ट करें । आपके सदस्ता शुल्क पर हम आपको 52 संस्करण डाक द्वारा भेजेंगे। इसके लिए कार्यालय में संपर्क करें -
ग्रास साप्ताहिक, निर्मल निवास, सपरून, सोलन (हि.प्र.) न.-9418104770

क्रसना लैब ने फिर मरीज को गलत रिपोर्ट थमाई

दूसरी लैब की रिपोर्ट से खुली पोल...

निजी संवाददाता

     शिमला : एक बार फिर क्रस्ना लैब विवादों के घेर में खड़ी है। अब गलत रिपोर्ट देने का एक और मामला आईजीएससी शिमला में सामने आया है। जिसमें मरीज की ब्लड (कंप्लीट हिमोग्लोबिन) की रिपोर्ट पूरी गलत दे दी गई। जब यही टेस्ट मरीज ने निजी लैब में करवाया तो पोल खुल गई कि ब्लड से संबंधित कोई भी रोग मरीज को है ही नहीं। हिमाचल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के टेस्ट करने का ठेका क्रस्ना लैब को दे रखा है। कई जिला अस्पतालों में क्रस्ना लैब ने गलत रिपोर्टस पूर्व में भी दी हैं।
     ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिरकार लैब की ओर से इस तरह की गलत रिपोर्ट क्यों दी जा रही है। इसको सही तरह से जांचा क्यों नहीं जाता है। सबसे बड़ा सवाल ये भी है कि बार-बार अगर क्रस्ना लैब की ओर से गलतियां की जा रही हैं तो इस लैब पर इतनी मेहरबानी क्यों? स्वास्थ्य विभाग के लगभग सभी जिला अस्पतालों में अपनी टेस्टिंग लैबस भी हैं लेकिन क्रस्ना लैब को लाभ पहंुचाने के लिए कई अस्पतालों में दोपहर से पहले टेस्ट सरकारी अस्पताल की लैब में किए जाते हैं और दोपहर के बाद क्रस्ना लैब में। कहा जा सकता है कि सरकार के पास टेस्टिंग की अपनी अलग से व्यवस्था भी है।
     यह जांच का विषय है कि जब सरकार के पास अपनी टेस्ट करने की प्रयोगशालाएं हैं तो वह इस व्यवस्था को और मजबूत क्यों नहीं करती है। वैसे भी महंगे टेस्ट क्रस्ना लैब में नहीं होते हैं और मरीजों को भारी पैसा खर्च करके यह टेस्ट बाहर से करवाने पड़ते हैं। जबकि क्रस्ना लैब के बोर्ड पर लिखे कई टेस्ट हैं जिन्हें वह नहीं करते हैं। न जाने सरकार में ऐसे कौन लोग हैं जो निजी लैबस को भारी मुनाफा करवा रहे हैं और सरकारी व्यवस्था को मजबूत नहीं होने दे रहे हैं।
     स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल इस मामले में रटा-रटाया जवाब देते हुए कहते हैं कि इस पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की जाएगी। गलतियां कहां हो रही है इस बारे में क्रस्ना लैब के अधिकारियों से बात की जाएगी। मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पहले भी जब इस प्रकार की रिपोर्टस सामने आई थी तो स्वास्थ्य विभाग की ओर से कुछ ऐसे ही बयान जारी किए गए थे। पिछली गलत रिपोर्टस देने पर अस्पताल प्रशासन ने क्या कार्यवाही पहले की है, इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है। लोग अब यह भी कहने लगे हैं कि हिमाचल में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है और दवाओं से लेकर इलाज तक के मामलों में हिमाचल सरकार कानों में रुई डाल कर सो रही है।

---------------------------------------

ड्रग्‍स के खिलाफ हिमाचली युवाओं में अभी चेतना नहीं

एक बच्‍चे की मौत, आरोप भी हिमाचली युवाओं पर...

निजी संवाददाता

     शिमला : अब हिमाचल के युवा पंजाब यूनिवर्सिटी में ड्रग्स लेते हुए पकड़े गए हैं। जिनमें से एक युवक की मौत हो गई है। हिमाचल में ड्रग्स के खिलाफ पुलिस ने बड़ा अभियान छेड़ रखा है। लेकिन जब कोई खबर हिमाचल के युवाओं के बारे में बाहर के राज्यों से आती है तो लगता है कि युवा वर्ग में अभी इतनी चेतना नहीं आई है कि वह ड्रग्स की लत से दूर रहें। अब जिस युवक की जान गई है वह भी हिमाचल से था और जिन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है वह भी हिमाचल के ही हैं।
     घटना यूं बताई जा रही है कि पंजाब युनिवर्सिटी के ब्वायज होस्टल में पिछले दिनों कुल्लू के युवक विकास की हुई संदिग्ध मौत को लेकर पुलिस जांच में ड्रग्स की ओवरडोज के कारण मौत हुई थी। चंडीगढ़ पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनकी पहचान कुल्लू के ही आर्यन प्रभात और शिमला के परीक्षित कौशल के रूप में हुई है। अब यह बात तो आगे जांच में पता चलेगी कि पकड़े गए युवकों का मृतक युवक की मौत में कितना कसूर था। पर इतना कहा जा सकता है कि पंजाब में भी हिमाचल के युवक ड्रग्स के चक्कर में फंस जाते हैं। इसमें हिमाचल की सरकार और पुलिस कुछ भी नहीं कर सकती है।
     इस घटना के बाद इतना तो कहा जा सकता है कि हिमाचल में ड्रग्स के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान से युवा प्रेरणा नहीं ले रहे हैं। अभी भी आए दिन ड्रग्स के मामले में गिरफ्तारियां हो रही हैं। यदि अभियान के सार्थक परिणाम निकलते तो हिमाचल के युवा ड्रग्स के संपर्क में ही न आते। इसके लिए उन परिजनों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है जिनके बच्चे प्रदेश के बाहर शिक्षा ग्रहण करने के लिए गए हैं। यह बात भी सभी जाते हैं कि जब किसी का बच्चा इस प्रकार के ड्रग्स के मामले में संलिप्त पाया ता है तो सबसे बड़ी प्रताड़ना भी माता पिता को ही मिलती है। इसलिए उन्हीं की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बच्चों को यह बात भी सिखाएं कि वह जहां भी शिक्षा लेने जाएं इस प्रकार के कार्यों से दूर रहे। अब इन पकड़े गए बच्चों को इस आरोप का सामना भी करना पड़ेगा कि दोनों ने मृतक विकास को ड्रग्स दिया, जिसके कारण उसकी जान गई।

---------------------------------------

सीपीएस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

अगली सुनवाई 20 जनवरी 2025 को होगी...

निजी संवाददाता

     शिमला : सुप्रीम कोर्ट ने छह मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) को हटाए जाने वाले हिमाचल हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के सीपीएस नियुक्ति एक्ट 2006 को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था। साथ ही सभी छह मुख्य संसदीय सचिवों को पद से हटाने और सभी सुविधाएं वापस लेने के आदेश जारी किए थे। हलांकि राज्य सरकार ने भी मुख्य संसदीय सचिवों को हटा दिया था।
     हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रतिवादियों के खिलाफ नोटिस जारी किया है। तब तक हिमाचल हाई कोर्ट की जजमेंट के पैरा 50 के ऑपरेशन पर भी रोक रहेगी। इस पैरा में हिमाचल हाई कोर्ट ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से 1971 के एक्ट से मिली प्रोटेक्शन को हटा दिया था। इसमें विधायकी छीने जाने की ओर बात ले जाने का प्रयास किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की बैंच ने इस मामले पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में अब 20 जनवरी 2025 को अगली सुनवाई होगी। कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी हिमाचल सरकार की ओर से इस केस में पैरवी कर रहे हैं।

---------------------------------------

धमकाने वाली महिला निलंबित

निजी संवाददाता

     शिमला : कांगड़ा में एक समुदाय विशेष के फेरीवालों से अभद्र व्यवहार करने पर बवाल खड़ा हो गया था। पंचायत समिति सदस्य को जिलाधीश के आदेशों के बाद निलंबित कर दिया गया है। बीडीसी सदस्य सुषमा देवी ने गांव में आए फेरीवालों को हिमाचल में न आने की हिदायत दी थी। साथ ही उन्हें जय श्रीराम के नारे लगाने के लिए कहा था। यदि सरकार ने पहले इस प्रकार की गतिविधियों पर कड़ा संज्ञान लिया होता तो शायद यह घटना घटित न होती।
     वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद फेरीवालों ने पुलिस चैकी आलमपुर में एफआईआर दर्ज करवाई थी। बीडीओ की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए डीसी कांगड़ा ने पंचायत समिति सदस्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। पंचायत समिति सदस्य का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया। डीसी ने निलंबन आदेश में कहा है कि सदस्य ने अपने कर्तव्य का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया है।

 
Home Page