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हिन्‍दी साप्‍ताहिक समाचार पत्र

Hindi Weekly News Paper of India

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बिहार के बाद मचेगा असली बवाल

     बिहार चुनाव परिणाम के बाद असली बवाल मचने की संभावना है। क्योंकि बिहार चुनावों से सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने कई उम्मीदें लगा रखी हैं। अभी भाजपा को अपना सबसे पेचिदा मामला हल करना है। उसे अपना नया अध्यक्ष बनाना है। बिहार में 14 नवंबर को चुनाव परिणाम सामने आ जाएंगे। इसमें इंडिया गठबंधन चुनाव जीते या एनडीए इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। ऐसा भी नहीं है कि अगर बिहार चुनाव में भाजपा येनकेन प्रकारेण चुनाव जीत गई तो आरएसएस पूरी भाजपा को टीम मोदी और उनके साथियों के हवाले करके किनारे हो जाएगी। आरएसएस को हर हाल में भाजपा को अपने कब्जे में रखना है। आएएसएस अपने आदमी को भाजपा का अध्यक्ष बनाने पर अड़ी हुई है। बिहार चुनाव से केन्द्र में सांसदों की संख्या में कोई बदलाव नहीं आने वाला है। यह भी कहा जा सकता है कि बिहार चुनावों के बाद केन्द्र में एनडीए सांसदों की संख्या ही घट जाए। यह बात भी एनडीए खेमें को पता है कि आरएसएस बिहार में सबसे अधिक कमजोर है। यदि आरएसएस बिहार में मजबूत होती तो वह कबकि वहां सरकार बना चुकी होती।      जारी..

 

सरकार ने मानदेय बढ़ाए

     पंचायती चुनावों को देखते हुए हिमाचल सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों तथा शहरी निकाय के प्रतिनिधियों को मिलने वाले मानदेय में भी बढ़ोत्तरी कर दी है। इसे सुक्खू सरकार की ओर से दीपावली का तोहफा भी कहा जा रहा है। अब जिला परिषद अध्यक्ष का मानदेय एक हज़ार रुपए बढ़ाकर 25,000 रुपए, उपाध्यक्ष के मानदेय एक हज़ार रुपए बढ़ाकर 19000 रुपये, जिला परिषद के सदस्यों के मानदेय में 500 रुपए की वृद्धि के बाद 8300 रुपए, पंचायत समिति अध्यक्ष के मानदेय में 600 रुपए की वृद्धि के साथ इसे 12 हज़ार रुपए, उपाध्यक्ष पंचायत समिति के मानदेय में 600 रुपए बढ़ाकर 9000 रुपए, सदस्य पंचायत समिति के मानदेय में 300 रुपए वृद्धि कर 7500 रुपए, ग्राम पंचायत प्रधान के मानदेय में 300 रुपए की वृद्धि के साथ 7500, उप प्रधान के मानदेय में 300 रुपए की बढ़ोत्तरी कर इसे 5100 रुपए, ग्राम पंचायत सदस्य के मानदेय में 600 रुपए की बढ़ोत्तरी कर इसे 2100 रुपए किया गया है। नगर निगम के मेयर के मानदेय में एक हज़ार रुपए की बढ़ौतरी कर इसे 25 हज़ार रुपए, डिप्टी मेयर के मानदेय में एक रुपए बढ़ाकर 19 हज़ार रुपए, पार्षदों के मानदेय में एक हज़ार रुपए बढ़ौतरी कर 9400 रुपए किया है। जारी

 

बिहार विधानसभा चुनाव 6 और 11 नवंबर को

     भारत वर्ष का सबसे बड़ा विवादास्पद विधानसभा चुनाव अब छह नवंबर को शुरू होगा। भारतीय निर्वाचन आयोग ने बिहार चुनावों की घोषणा कर दी है। दो चरणों में होने जा रहे इस चुनाव के लिए मतदान छह और 11 नवंबर को होगा। फैसला भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिन पर 14 नवंबर को होगा। निर्वाचन आयोग की इस घोषणा के बाद बिहार के चुनाव में उबाल आ गया है। जिस प्रकार बिहार चुनाव की मतदाता सूची को लेकर कानूनी जंग सुप्रीम कोर्ट में लड़ी गई उससे इस चुनाव में भारत ही नहीं पूरे विश्व की नजरें टिक गई हैं। देश में पहली बार एसआईआर के नाम पर मतदाताओं की नागरिका पर प्रश्नचिन्ह भारतीय निर्वाचन आयोग ने खड़ा कर दिया। इसमें चुनाव आयोग ने 11 दस्तावेज के आधार पर मतदाता सूची बनाने के आदेश जारी कर दिए जिनमें आधार कार्ड को मान्य नहीं रखा गया। सुप्रीम कोर्ट के बार बार आग्रह के बाद भी चुनाव आयोग आधार कार्ड को मान्य दस्तावेज मानने को तैयार नहीं था। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट को आदेश पारित कर आधार कार्ड को मान्यता प्राप्त दस्तावेज बनाना पड़ा। इस पूरे घालमेल के बाद चुनावों की तारीख घोषित कर दी गई है।     जारी...

 

सोलन में बन रहा है जहर, सरकार खामोश

     हिमाचल की घरती पर जहर बन रहा है और सरकार खामोश है। खांसी की दवा पीने से मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में 11 और राजस्थान में दो बच्चों की मौत हो गई है। हिमाचल प्रदेश की पांच दवा कंपनियां जांच के घेरे में आ गई हैं और प्रदेश सरकार खामोश है। जबकि इस दुर्घटना के हो जाने के बाद स्वास्थ्य मंत्री और सोलन के विधायक कर्नल धनीराम शांडिल को तो अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए था। क्योंकि पहले भी उनके पास हिमाचल में फर्मा उद्योग में बन रही नकली दवाओं की जानकारी जाती रही है लेकिन वह कारगर कदम उठाने में नाकामयाब रहे हैं। वैसे अब राजस्थान और मध्य प्रदेश की बनी कफ सिरप भी विवादों के घेरे में आ गई ले लेकिन हिमाचल की बनी सिरप से मासूमों की मौतों के बाद फिर ड्रग कंट्रोलर की पिटी पिटाई कार्यवाही शुरू हो गई है। एहतियात के तौर पर नेक्सा डीएस खांसी की सिरप का उत्पादन तत्काल रोक दिया गया है, सप्लाई चेन को बंद करने के आदेश जारी हुए हैं और कंपनियों को संदिग्ध दवाओं को बाजार से रिकॉल करने के निर्देश दिए गए हैं। जबकि इस संगीन मामले में ड्रग इंस्पेक्टर को प्रदेश सरकार द्वारा गिरफ्तार किया जाना चाहिए था। उसकी देख रेख में यह जहरनुमाद दवा बाजार में कैसे पहुंच गई, जिसके कारण बच्चों की मौत हो गई है।     जारी...

 

पेयजल के पैसों से आलीशान रेस्‍ट हाउस बना दिए

     हिमाचलियों की प्यास बुझाने के लिए केंद्र से जल जीवन मिशन के तहत आए पैसे से रेस्ट हाउसों का निर्माण कर दिया गया है। यह आरोप पूर्व भाजपा की जयराम ठाकुर की सरकार पर लगाया जा रहा है। नगर निगम सोलन का पानी चोरी का आरोप भी जयराम सरकार पर लगाया गया है। अब इससे भी बड़ा आरोप जयराम सरकार पर लगाया जा रहा है। आरोप यह है कि प्रदेश में रेस्ट हाउस बनाने के लिए कुल 120 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। कहते हैं अब हिमाचल में बनाए गए इन रेस्ट हाउस के कारण केंद्र की मोदी सरकार ने पैसे का भुगतान रोक दिया है। साथ ही यह फटकार भी लगाई है कि जल जीवन मिशन के तहत रेस्ट हाउस बनाने का कोई प्रावधान ही नहीं है। ऐसे में रेस्ट हाउस बनाने पर खर्च किए गए 120 करोड़ का भुगतान मिशन को जारी हो रहे केंद्रीय फंड से नहीं किया जा सकता है। बताया यह भी जा रहा है कि राज्य की वर्तमान सरकार ने इस मसले को केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सीआर पाटिल के समक्ष भी उठाया था। अब राज्य सरकार को यह निर्देश दिए गए हैं कि रेस्ट हाउस बनाने के लिए लगाए गए पैसे का भुगतान अपने वितीय संसाधनों से करें। लोग भी कहने लगे हैं कि प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार के कुकर्म का दंश हिमाचल के लोग झेल रहे हैं। केंद्र सरकार ने इस मामले के सामने आने के बाद जल जीवन मिशन के तहत अब तक जारी हुए 4667 करोड़ की राशि में वित्तीय अनियमितताओं सहित सब स्टैंडर्ड सामग्री के प्रयोग की शिकायतों को आधार मानते हुए जांच बिठा दी है।      जारी...

 

सोनम वांगचुक ने सोलन में चौथी क्‍लास तक पढ़ाई की थी

     विश्व विख्यात पर्यावरणविद और विवादों में चल रहे लद्दाख के रहने वाले सोनम वांगचुक ने अपना बचपन सोलन में बिताया है। वह यहां के प्रतिष्ठित सेंट ल्यूक्स स्कूल में पहली क्लास में दाखिल हुए थे और चौथी क्लास में वह यहां से धर्मशाला चले गए थे। उनके पिता ने वहां दलाई लामा के सुरक्षा अधिकारी की नौकरी कर ली थी। सोनम वांगचुक का जन्म 1964 में हुआ था और 1969 में उनके माता-पिता उन्हें सोलन लेकर आ गए थे। पांच साल के सोनम को उनके माता पिता ने सेंट क्यूक्स में दाखिल करवाया। वह 1973 तक सोलन में रहे तब वह चौथी क्लास में थे कि उनके पिता ने धर्मशाला में दलाई लामा के स्क्योरिटी आफिसर की नौकर कर ली। धर्मशाला में उन्हें सेक्रेड हार्ट हाई स्कूल में दाखिला लिया। यहां दलाई लामा के संपर्क में आने के बाद ही उनके मन में गांधीवाद और दलाई लामा की तरह शांतिदूत की छाप मन में घर कर गई थी। सोनम वांगचुक धर्मशाला में भी बहुत समय तक नहीं रह पाए और दो वर्ष बाद 1975 में उनके पिता का तबादला दिल्ली के लिए हो गया और सोनम को धर्मशाला भी छोड़ना पड़ा। दिल्ली में बाराखंबा रोड क्षेत्र के मॉडर्न स्कूल में उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई की। बाद में दिल्ली के श्री वेंकटेश्वरा कॉलेज से उन्होंने स्नातक की। सोनम को लेह में एक प्रदर्शन के बाद हुई हिंसा के बाद लाकर जोधपुर जेल में डाल दिया गया है। पूरा विश्व उनकी गिरफ्तारी की आलोचना कर रहा है।          जारी...

 

बिहार में 10 हजार में महिलाओं के वोट खरीदने का आरोप

     बिहार में विधानसभा का चुनाव भाजपा के लिए जीने मरने का खेल हो गया है। बिहार की महिलाओं को वोट के बदले रिश्वत दिए जाने का सीधा आरोप विपक्ष लगा रहा है। भारतीय चुनाव आयोग हर बार की तरह मौन मुद्रा में बैठा नजर आ रहा है। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि महिलाओं के खाते में सीधा 10 हजार रुपए डालने का यह कौन सा नायाब रोजगार है। क्या यह 10 हजार रुपए स्वरोजगार देने की पहली किश्त है या सीधा चुनावी घूस है। हैरानी इस बात पर जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार में ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ का शुभारंभ किया और 75 लाख महिलाओं के बैंक खातों में सीधे 10,000 रुपए की राशि हस्तांतरित की, जिसकी राशि 7,500 करोड़ रुपए है। इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार की एक महिला को रोजगार शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। प्रधानमंत्री कहते हैं कि 10,000 रुपए का प्रारंभिक अनुदान प्रदान किया जा रहा है और यदि आवश्यक होगा तो रोजगार शुरू होने के बाद दो लाख रुपए तक की अतिरिक्त सहायता भी दी जाएगी। विरोधी कहते हैं कि यह कैसा रोजगार है कि यह भी नहीं पता कि कौन सी महिला क्या रोजगार करना चाहती है। देश में कोई भी रोजगार करने के लिए करंट खाता खुलवाना पड़ता है और यहां गजब की उल्टी गंगा बह रही है कि भारत सरकार बचत खातों में रोजगार के लिए सीधा पैसे डलवा रही है।        जारी

 

चुनाव आयोग कोई भी हो सुधर जाए, यह हो नहीं सकता

     निर्वाचन आयोग सुधर जाए यह कभी हो नहीं सकता। हिमाचल में पंचायती राज चुनाव करवाने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने पता नहीं कहां से मतदाता सूची उठा ली और उसे अंतिम प्रकाशन के लिए लोगों के सामने रख दिया। स्वाभाविक है कि राज्स चुनाव आयोग ने यह गारंटी कहीं नहीं दी है कि पहले जो अनियमितताएं चुनावों में होती रही हैं वह अब नहीं होंगी। बिहार में मतदाता सुचियां तैयार करने में आ रही गड़बडियों से हिमाचल के निर्वाचन आयोग ने कुछ नहीं सीखा है। अब कहा जा रहा है कि मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन 13 नवंबर 2025 या इससे पूर्व कर दिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी निकायों के सामान्य निर्वाचन निकट भविष्य में होने हैं, जिसके लिए वार्ड और मतदान केंद्र स्तर पर ड्राफ्ट मतदाता सूचियां तैयार की जा चुकी हैं। लेकिन राज्य चुनाव आयोग ने यह नहीं बताया कि यह मतदाता सूची बीएलओज ने घर घर जाकर बनाई हैं या कहीं से कट पेस्ट के जुगाड़ से तैयार की गई हैं। भले ही राज्य निर्वाचन आयोग यह बात छुपा रहा है कि बीएलओज ने मतदाता सूची घर घर जाकर बनाई हैं या नहीं लेकिन मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन में इस बात का भंड़ा फूट जाएगा कि बीएलओज मतदाता सूची बनाने घर घर नहीं गए हैं जब अधिकांशतः यह पाया जाएगा कि एक ही परिवार के मतदाता एक साथ नहीं मिल रहे हैं।        जारी

संपाकीय          संविधान के मार्ग पर आना होगा

     सरकारें कितनी भी उछल कूद कर लें उन्हें एक न एक दिन तो संविधान के मार्ग पर आना ही पड़ेगा। मौजूदा मोदी सरकार पर संविधान को छोटा मानकर चलना कभी भी भारी पड़ सकता है। यह भी सर्वविदित है कि एक आदमी की सत्ता हमेशा नहीं रहती है। एक न एक दिन उसे सत्ता से बाहर जाना ही पड़ता है। वह दिन संविधान तोड़ कर सरकार चलाने वालों पर बहुत भारी पड़ता है। संविधान में अपने अनुकूल संशोधन करके भी ज्यादा दिन तक सरकारें नहीं चलाई जा सकती हैं। भले ही पूरा तंत्र सरकार के कब्जे में क्यों न आ जाए।
     भारत सरकार को संविधान से टकराव करने पर उतारू नहीं होना चाहिए। सबसे बुरी बात यह है कि जब सुप्रीम कोर्ट किसी याचिका पर संविधान की व्याख्या कर देता है तब सरकार को संविधान संशोधन करने की युक्ति क्यों सूझती है। क्या सरकार को इस बात का पता पहले ही नहीं चल जाता है कि जो योजना वह देश के नागरिकों के लिए बनाने जा रही है उसमें कहीं भारत के संविधान का उलंग्घन तो नहीं हो रहा है। यदि सरकार पहले संविधान संशोधन करे और फिर योजना को लागू करे तो उसे कम से कम अदालतों में होने वाली फजिहत से बचा जा सकता है। साथ ही लोगों में यह संदेश भी जाएगा कि सरकार भारत के संविधान के तहत अपने कार्यों को अंजाम दे रही है।
     एक लोकप्रिय सरकार उसे ही कहा जा सकता है जो देशवासियों के बनाए संविधान पर शत प्रतिशत खरी उतरती है। यदि सरकार को संविधान के उलंग्घन के मामले में कोई नागरिक पकड़ लेता है तो उसे कम से कम लोकप्रिय कतई नहीं कहा जा सकता है। भले ही कितनी भी तिकड़में लगाकर कोई अपने आपको संविधान का हितैषी क्यों न बताता रहे। लोग सरकार से अधिक विश्वास न्यायालयों पर करते हैं। लेकिन अगर न्यायालयों से भी जनता की अपेक्षाएं समाप्त हो जाती हैं तब भी संविधान की सीमाओं को नहीं लांघा जा सकता है। सरकार को इस आलोचना का शिकार भी होना पड़ता है कि वह संविधान के प्रति ईमानदारी नहीं बरत रही है। यह एक सभ्य सरकार पर बहुत बड़ा आरोप होता है। यह तभी संभव हो सकता है जब देश की संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष के लोग भारत के संविधान में पारंगत हों।
   .....जारी

 

रूस के पुतिन दिसंबर में भारत आएंगे

     रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तेल खरीद के मुद्दे पर अमेरिकी दबाव की आलोचना की और कहा कि भारत झुकने वाला नहीं है। उन्होंने सोची शहर में आयोजित वाल्दाई पॉलिसी फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कभी भी ऐसा फैसला नहीं करेंगे, जो भारत की संप्रभुता के खिलाफ हो। इससे पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी कह चुके हैं कि चीन और भारत दुश्मन नहीं हैं। पुतिन ने आगे कहा है कि भारतीय लोग अपना अपमान कभी बर्दाश्त नहीं करते। टैरिफ लगाते हुए ट्रंप की भाषा ने भारतीयों के सम्मान को ठेस पहुंचाई है। पुतिन ने कहा कि अगर रूस के ट्रेड पार्टनर्स पर ऊंचे टैरिफ लगाए गए तो इसका असर पूरी दुनियां की ऊर्जा कीमतों पर पड़ेगा। कीमतें बढ़ेंगी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व को मजबूरी में ब्याज दरें ऊंची रखनी होंगी, जिससे अमेरिकी अर्थ व्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। पुतिन के बयान के बाद चीन और रूस के संबंधों को लेकर नई अंतरराष्ट्रीय चरचा छिड़ गई है। इसी बीच मास्को से यह खबर भी मिली है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर की शुरुआत में शिखर वार्ता के लिए भारत आएंगे। श्री पुतिन के इस दौरे में कुछ महत्त्वपूर्ण समझौतों के होने की उम्मीद है। उनका भारत का यह दौरा करीब चार साल बाद हो रहा है।    जारी

 

पाक सेना ने विनाशकारी युद्ध की चेतावनी दी

     भारत की ओर से पाकिस्तान को चेतावनी दिए जाने के बाद पाकिस्तान तिलमिला उठा है। उसने जवाबी हमला करते हुए कहा कि अब बहुत विनाशकारी युद्ध होगा। आरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में काफी दरारें आ गई थीं। यहां तक कि भारत में पाकिस्तान के साथ विदेश की धरती पर भी क्रिकेट मैच खेलने पर भी बहुत बड़ा विवाद चलता रहा। हाल ही में भारत ने पाकिस्तान को ऑपरेशन 2.0 की चेतावनी और पाकिस्तान को नक्शे से मिटाने वाले बयान दिए। इस पर तिलमिला उठे पाकिस्तान ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अगर दोनों देशों के बीच भविष्य में कोई युद्ध हुआ तो वह बहुत विनाशकारी होगा। पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने कहा कि पाकिस्तान की सेना शत्रु के हर इलाके में लड़ाई करने में सक्षम है। हलांकि उनका इस प्रकार का बयान भारत के लिए कोई नया नहीं है। ऐसे बयान पहले भी वह देते रहे हैं। पाकिस्तान सेना ने अपने बयान में कहा कि भारतीय रक्षा मंत्री और सेना व वायुसेना प्रमुखों के बयानों को देखते हुए हम चेतावनी दे रहे हैं कि भविष्य में किसी भी तरह का संघर्ष बहुत विनाशकारी हो सकता है। अगर शत्रुता का नया दौर शुरू हुआ तो पाकिस्तान पीछे नहीं हटेगा। हम बिना हिचकिचाहट और बिना संयम के कड़ा जवाब देंगे। पाकिस्तान सेना ने आगे कहा कि भारत की चेतावनी काफी गंभीर है।    जारी

 

क्‍या कर्नल शांडिल की टीम का विदेशी दौरा गैर जरूरी था

     पिछले दिनों भारी फजिहत होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने अपना विदेश दौरा फिलहाल रद्द कर दिया। शायद हिमाचल सरकार की ओर से स्वास्थ्य मंत्री और उनके 10 सहयोगियों के लिए तैयार किया गया विदेशी दौरा गैर जरूरी थी तभी इसे सरकारी खर्च पर स्वेच्छा से तैयार किया गया और बिना किसी ठोस कारण बताए इसे रद्द भी कर दिया गया। अगर यह दौरा इतना जरूरी होता तो मंत्री जी भले ही इससे अपना नाम वापस ले लेते पर बाकि टीम को इस दौरे पर जरूर जाना चाहिए था। इससे पता चलता है कि सुक्खू सरकार में कोई भी विदेशी दौरा बिना वजह बन जाता है और बिना वजह रद्द कर दिया जाता है। कहा जा सकता है कि सरकार बड़ी बेदर्दी से टेक्स पेयर का पैसा उड़ाने की इजाजत दे देती है। कहते हैं कि स्वास्थ्य मंत्री का यह दौरा पिछले दिनों सोशल मीडिया पर किरकिरी और विपक्ष के तानों के बाद फिलहाल स्थगित कर दिया है। अच्छा ही हुआ यह दौरा रद्द हो गया। वरना यहां हिमाचल में बनी कफ सिरप पीने से छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत का मामला गरम है। यदि शांडिल इस विदेशी दौरे पर चले गए होते तो उनकी क्या फजिहत होती इसका अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्री का बेटा भी विदेश दौरे पर जाने वालों की इस सूची में शामिल था। बेटे को ले जाने पर मचे बवाल के बाद अब यह दौरा टाल दिया गया है।      जारी

 

अब गैस एजेंसी से परेशान होने की जरूरत नहीं

     अब गैस एजेंसी से परेशान होने कर जरूरत नहीं है। अब कुछ ही दिनों में मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की तरह लोग रसोई गैस की कंपनी को भी बदल सकेंगे। सरकार ने कहा है कि ग्राहकों को जल्द ही अपने मौजूदा कनेक्शन को बदले बिना एलपीजी वितरक के साथ ही अब उपभोक्ता तेल कंपनी बदलने का भी विकल्प मिलेगा। इससे उन्हें रसोई गैस सिलेंडर प्राप्त करने के लिए ज्यादा विकल्प उपलब्ध होंगे और बेहतर सेवा मिल सकेगी। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने टिप्पणियां आमंत्रित करते हुए तेल नियामक पीएनजीआरबी ने हितधारकों और उपभोक्ताओं से उनकी मांगी राय मांगी है। इस फैसले से ग्राहकों को सिलेंडर प्राप्त करने के ज्यादा विकल्प के साथ बेहतर सेवा भी मिल सकेगी। विभाग ने एक नोटिस में कहा है कि जहां किसी स्थानीय वितरक को परिचालन संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है वहां पर उपभोक्ताओं के पास अक्सर सीमित विकल्प होते हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं को एलपीजी कंपनी और डीलर चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने अक्तूबर 2013 में 13 राज्यों के 24 जिलों में एलपीजी कनेक्शन की पोर्टेबिलिटी को लेकर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था और जनवरी, 2014 में इसका विस्तार पूरे देश में किया गया। उस समय उपभोक्ताओं को केवल अपने डीलर बदलने के सीमित विकल्प दिए गए थे। नाखुश होने के बावजूद ग्राहक तेल कंपनी नहीं बदल सकता था।     जारी

 

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