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    क्या कर्नल शांडिल की टीम का विदेशी दौरा गैर 
    जरूरी था 
    
    सुक्खू सरकार में विदेशी दौरा बिना 
    वजह बन जाता है 
    
    विशेष संवाददाता 
    
    
        
    
    
     शिमला
    : पिछले दिनों भारी फजिहत होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री कर्नल 
    धनीराम शांडिल ने अपना विदेश दौरा फिलहाल रद्द कर दिया। शायद हिमाचल सरकार की 
    ओर से स्वास्थ्य मंत्री और उनके 10 सहयोगियों के लिए तैयार किया गया विदेशी 
    दौरा गैर जरूरी थी तभी इसे सरकारी खर्च पर स्वेच्छा से तैयार किया गया और बिना 
    किसी ठोस कारण बताए इसे रद्द भी कर दिया गया। अगर यह दौरा इतना जरूरी होता तो 
    मंत्री जी भले ही इससे अपना नाम वापस ले लेते पर बाकि टीम को इस दौरे पर जरूर 
    जाना चाहिए था। 
     इससे पता चलता है कि सुक्खू सरकार में कोई भी विदेशी दौरा 
    बिना वजह बन जाता है और बिना वजह रद्द कर दिया जाता है। कहा जा सकता है कि 
    सरकार बड़ी बेदर्दी से टेक्स पेयर का पैसा उड़ाने की इजाजत दे देती है। कहते हैं 
    कि स्वास्थ्य मंत्री का यह दौरा पिछले दिनों सोशल मीडिया पर किरकिरी और विपक्ष 
    के तानों के बाद फिलहाल स्थगित कर दिया है। अच्छा ही हुआ यह दौरा रद्द हो गया। 
    वरना यहां हिमाचल में बनी कफ सिरप पीने से छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत का मामला 
    गरम है। यदि शांडिल इस विदेशी दौरे पर चले गए होते तो उनकी क्या फजिहत होती 
    इसका अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्री का बेटा भी विदेश 
    दौरे पर जाने वालों की इस सूची में शामिल था। बेटे को ले जाने पर मचे बवाल के 
    बाद अब यह दौरा टाल दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल स्वयं इस 
    मामले में सफाई देते हुए कहते हैं कि वह अभी विदेश यात्रा पर नहीं जा रहे हैं 
    बल्कि हालात सामान्य होने पर छह महीने बाद जाएंगे। शायद वह मानते हैं कि इस 
    विवादास्पद दौरे के कारण हालात काफी असमान्य हो गए थे। 
     प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से चरमरा जाने के 
    बावजूद मंत्री कहते हैं कि विदेशों में स्वास्थ्य सेवाओं में अच्छा काम हो रहा 
    है और वहां से तकनीक सीखकर उसे हिमाचल में लागू किया जाएगा। जबकि प्रदेश के बड़े 
    अस्पतालों में अभी वह स्वास्थ्य सेवाएं भी विकसित नहीं हो पाई हैं जो भारत वर्ष 
    में ही मौजूद हैं। प्रदेश के बड़े अस्पताल में पैट स्कैन अब लगाया गया है जबकि 
    यह भी देश में बीस वर्ष पहले आ चुकी थी। हैरानी की बात यह है कि बेटे के साथ 
    विदेश जाने को लेकर वह कहते हैं कि बेटा-बहू निजी खर्च पर भी जा सकते हैं। 
    स्वास्थ्य कारणों से बेटे को साथ ले जाना कोई गलत बात नहीं है। उन्हें अपने इस 
    बयान पर कोई क्षोभ नहीं है। जबकि उनका बेटा और बहू स्वतंत्र रूप से किसी भी 
    विदेशी दौरे पर जा सकते हैं उन्हें राज्य की टीम में शामिल क्यों किया गया यह 
    बात समझ से परे है। अगर मंत्री महोदय का स्वास्थ्य इतना खराब है तो उन्हें लंबी 
    यात्रा करने से वैसे भी परहेज करना चाहिए। 
     इस पर मंत्री जी ने अपनी गलती स्वीकार ने के स्थान पर छपी 
    खबरों पर आपत्ति जताई और कहा कि पत्रकारों को ऐसे मुद्दों पर नहीं, बल्कि 
    ज्वलंत समस्याओं पर लिखना चाहिए। इस बात में वह सिर्फ अपनी खीज निकाल रहे थे और 
    पत्रकारों को पत्रकारिता का ज्ञान भी दे रहे थे। प्रदेश भर के पत्रकार प्रतिदिन 
    दर्जनों खबरें स्वास्थ्य विभाग से संबंधित प्रकाशित करते हैं लेकिन एक भी खबर 
    पर यदि स्वास्थ्य मंत्री ने संज्ञान लिया हो तो उन्हें बताना चाहिए। 
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