दीपक जलाने के
लिए भी कई मान्यताएं बताई जाती हैं
दीपावली को दीपों का त्योहार भी
कहा जाता है। अब तो बाजार में तरह तरह के रंगबिरंगे बिजली से चलने वाले दीपक भी
आ गए हैं। दीपावली पर मोमबत्ती जलाकर प्रकाश करने की परंपरा भी विकसित हो चली
है। इसके अतिरिक्त रंगबिरंगा प्रकाश देने वाली तरह लरह की लाइटें भी दीपावली पर
खूब जलाई जाती है। दीपावली पर प्रकाश फैलाना शुभ माना जाता है लेकिन दीपक जलाने
की कुछ परंपराओं पर लोग बहुत ध्यान देते हैं।
कहा तो यह भी जाता है कि भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए
तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है। यदि आप मां
लक्ष्मी की अराधना करते हैं और चाहते हैं कि उनकी कृपा आप पर बरसे तो उसके लिए
आपको सातमुखी तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। देवी के हमेशा तिल के तेल ही
दीपक जलाना चाहिए, साथ में गाय के घी का भी जलाना चाहिए। दाएं तरफ घी का और
बांए तरफ तिल के तेल का दीपक रखना चाहिए। इसके अलावा इन बातों पर भी ध्यान देना
चाहिए:-
’ यदि आपका सूर्य ग्रह कमजोर है तो उसे बलवान करने के लिए
आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें और साथ में तिल के तेल का दीपक जलाएं।
’ आर्थिक लाभ पाने के लिए आपको नियमित रूप से शुद्ध देशी गाय के
घी का दीपक जलाना चाहिए।
’ शत्रुओं व विरोधियों के दमन हेतु भैरव जी के समक्ष तिल के तेल
का दीपक जलाने से लाभ होगा।
’ शनि की साढ़ेसाती व अढैय्या से पीड़ित लोग शनि मन्दिर में शनि
स्त्रोत का पाठ करें और तिल के तेल का दीपक जलाएं।
सरसों के तेल का दीपक न जलाएं
आजकल सरसों के तेल में दीपक जलाने की
प्रथा है लेकिन सरसों तेल नाम किसी भी पुराण आदि नहीं है क्योंकि सरसों बहार से
आया हुआ बीज है। यह भारत की संस्कृति से अलग है। इसका प्रारंभ काल, मात्र 85
वर्ष का ही है और इस बीज की उत्पत्ति अंग्रेजी शासन काल में ही हुई थी। अतः यह
औषधियों एवं धार्मिक कार्यो के लिए उचित नहीं है। अतः साधक अपने विवेक तथा
साधना सिद्धि के अनुसार उत्तरदायी है।
’ पति की आयु व अरोग्यता के लिए महुये के तेल का दीपक जलाने
से अल्पायु योग नष्ट होता है।
’ शिक्षा में सफलता पाने के लिए सरस्वती जी की आराधना करें और
दो मुखी घी वाला दीपक जलाने से अनुकूल परिणाम आते हैं।
’ मां दुर्गा या काली जी प्रसन्नता के लिए एक मुखी दीपक गाय के
घी में और एक मुखी तिल के तेल का जलाना चाहिए।
’ भोले बाबा की कृपा बरसती रहे इसके लिए आठ या बारह मुखी तिल के
तेल वाला दीपक जलाना चाहिए।
’ भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए सोलह बत्तियों वाला गाय के
घी का दीपक जलाना लाभप्रद होता है।
’ हनुमान जी की प्रसन्नता के लिए तिल के तेल आठ बत्तियों वाला
दीपक जलाना अत्यन्त लाभकारी रहता है।
’ पूजा की थाली या आरती के समय एक साथ कई प्रकार के दीपक जलाये
जा सकते हैं।
’ संकल्प लेकर किया गये अनुष्ठान या साधना में अखण्ड ज्योति
जलाने का प्रावधान है।
अग्नि पुराण, ब्रम्हवर्तक पुराण, देवी पुराण, उपनिषदों
तथा वेदों में गाय के घी तथा तिल के तेल से ही दीपक जलाने का विधान है। धार्मिक
अनुष्ठानों में अन्य किसी भी प्रकार के तेल या ज्वलन पदार्थ से दीपक जलाना या
ज्योति को प्रज्वलित करना निषेध माना गया है। समय के साथ साथ यह बदलाव देखने को
मिल रहे हैं। आधुनिकता के इस युग में कुछ लोग प्राचीन परंपराओं का भी ध्यान
रखते हैं।
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