ग्रामीण
क्षेत्रों में पानी का पैसा वसूली अच्छा कदम नहीं है
आजादी पर विस्टन चर्चिल का वाक्या याद आ गया...
विशेष संवाददाता
शिमला : हिमाचल सरकार एक बार फिर से ग्रामीण हलकों में पीने के पानी का पैसा
वसूल करके अच्छा नहीं कर रही है। जबकि शहरी इलाकों में तो पीने के पानी की लूट
यथावत जारी है। सरकार ने पिछले दिनों फैसला लिया था जिसे जलशक्ति विभाग ने अब
लागू कर दिया है। जलशक्ति विभाग गांव में रहने वाले लोगों से तीन महीने का बिल
एक साथ वसूल करेगा।
इस सूचना के बाद वह वाक्या याद आ गया जब भारत आजाद हुआ था और ब्रिटिश
पार्लियमेंट में इस पर बहस चल रही थी। तब वहां के विपक्ष के नेता बिस्टन चर्चिल
ने तत्तकालीन प्रधानमंत्री जॉन क्लेमेंट एटली की आलोचना करते हुए कहा था कि
तुमने किन जाहिलों को आजाद कर दिया यह तो हवा और पानी पर भी टैक्स लगा देंगे।
आजाद भारत की पंडित जवाहर लाल नेहरू सरकार ने भारत के संविधान में इस बात को
शामिल किया और इसे अनुच्छेद 21 के साथ जोड़ते हुए ‘पब्लिक ट्रस्ट डॉक्ट्रिन’ में
हवा, पानी और पार्क को इंसानी जीवन के लिए जरूरी बताया। भारत सरकार ने तब यह
कहा था कि इन तीनों का व्यवसायिकरण नहीं होगा।
पंडित नेहरू तो मर गए और देश धीरे धीरे विस्टन चर्चिल वाले जाहिलों के हाथ में
चला गया। आज देश में हवा और पानी पर कितना टैक्स लिया जा रहा है यह बात किसी से
छुपी हुई नहीं है। जब कांग्रेस की सरकारें भारत के संविधान के खिलाफ जाकर कोई
कार्य करती है तो बस पं. नेहरू याद आ जाते हैं। जिन्होंने एक शानदार संविधान
देशवासियों को बनवाकर दिया। हमारी सरकारों ने लोगों की अज्ञानता का लाभ उठाकर
संविधान की बेदर्दी से धज्जियां उठाई और लोगों को लूटना शुरू किया।
अब हिमाचल सरकार ने पानी के प्रति कनेक्शन 100 रुपए की राशि ग्रामीणवासियों से
वसूल करेगी। गांव में करीब 17 लाख पेयजल उपभोक्ताओं को जलशक्ति विभाग नवंबर से
पानी के बिल जारी करने जा रहा है। लोगों को अक्तूबर, नवंबर और दिसंबर का पानी
का बिल अभी एक साथ चुकाना होगा। शहरी इलाकों में तो जहां जिसकी मर्जी वैसा बिल
नागरिकों को थमा दिया जाता है। बिल अदा न करने पर भारत के संविधान के अनुच्छेद
21 के खिलाफ जाकर भी पानी का कनेक्शन काट दिए जाने की धमी दी जाती है।
कहा जा सकता है कि पानी का देश में शुद्ध रूप से व्यवसायिकरण हो चुका है। पूर्व
जयराम सरकार ने सभी के लिए पानी मुफ्त दिया था मगर वर्तमान सरकार ने इसमें
गरीबों को छूट देकर दो तरह के नागरिक प्रदेश में बना दिए हैं एक छूट लेने वाले
और एक छूट न लेने वाले। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 की धज्जियां उठाने
वाला फरमान ही है।
हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 17 लाख घरों में पानी के कनेक्शन हैं।
सबसे अधिक चार लाख पानी के कनेक्शन जिला कांगड़ा में हैं। 2019 में हिमाचल में
जल जीवन मिशन योजना लागू हुई थी, इससे पहले प्रदेश में करीब 7.63 लाख पानी के
कनेक्शन थे। जल जीवन मिशन लागू होने के बाद करीब 9.50 लाख घरों में पानी के नल
लगे। अब सहजता से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार पानी के नाम पर किस प्रकार
के व्यवसाय को जन्म दे रही है, जो भारत के संविधान के खिलाफ है।
सरकार के इस प्रकार के फैसलों को देखकर इतना तो कहा ही जा सकता है कि सरकार में
बैठे लोगों को भारत के संविधान का ज्ञान नहीं है या फिर सरकार मुनाफाखोरी के
चक्कर में फंसी हुई है। सरकार ‘पब्लिक ट्रस्ट डॉक्टरिन’ के सिद्धांत को तोड़कर
देश को उन्हीं जाहिलों की श्रेणी ले जा रही है जिसका जिक्र विस्टन चर्चिल ने
अपनी स्पीच में भारतीयों को बेज्जत करते हुए किया था।
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