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चंद्रचूड़ से निराशा

विशेष संवाददाता

     शिमला : यह बात भी सत्य है कि जितनी लेकप्रियता मुख्य न्यायधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने के बाद बटोरी वह निराशा में बदल गई। उनके प्रशंसक भी हैरान है कि आखिर उन्हें क्या हो गया है।
     एक जज के तौर पर उनका जीवन बहुत शानदार था और वह अब बिन बुलाई आफतों से घिरते जा रहे हैं। आखिर सेवानिवृति के कुछ दिन पहले उन्हें ऐसे वक्तव्य देने की क्या जरूरत आन पड़ी कि देश दुनियां के सामने सवालों के कटघरे में घिर गए हैं। अब वह अपनी सेवानिवृति 10 नवंबर 2024 के बाद क्या कहेंगे या किस प्रकार का आचरण उनका रहेगा इसी से लोग अंदाजा लगाएंगे कि उनकी बातों पर विश्वास किया जाए या नहीं।
     राम मंदिर का फैसला पूर्व मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की सेवानिवृति के बाद उन पर लगे ढेरों आरोपों के बाद दफन हो गया था। लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसे फिर से कयामत के लिए खड़ा कर दिया है। आखिर उन्हें क्या जरूरत पड़ी थी इस मामले में हाथ डालकर अपने हाथ जलाने की। लगता है उनकी मजबूरी एक न एक दिन देश की जनता के सामने जरूर आएगी। लोगों में इस बात की जिज्ञासा है कि एक काबिल आदमी इस तरह की बातें कैसे कर सकता है।
     अब वह लगभग सेवानिवृत हो चुके हैं एक सप्ताह में यदि वह कुछ और गलत आचरण भी कर लेंगे तो कोई नई बात नहीं होगी। देखना यह है कि भाजपा उन्हें अपने साथ लेकर किस राजनैतिक बिसाद को बिछाती है और उन्हें इस खेल में क्या मिलता है। फिलहाल यह सभी को पता है कि महाराष्ट्र में ऐसे निर्णायक चुनाव हो रहे और जस्टिस चंद्रचूड़ भी महाराष्ट्र से हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वह काफी घनिष्ठ गणपति पूजा पर ही साबित हो चुके हैं। अब देखना यह रह गया है कि इस पूरे खेल में कोई बड़ा गेम जस्टिस चंद्रचूड़ खेल रहे हैं या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, यह भी तय मानिए इसके पीछे बड़ी गेम तो है।

 
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