सर्दी में हिमाचल
के लोगों को लगेगा बिजली का जोरदार करंट
पर्यावरण बिगड़ेगा और पर्यावरण सेस लिया जाएगा...
विशेष संवाददाता
शिमला : इन सर्दियों में हिमाचल सरकार लोगों को तगड़ा बिजली का करंट लगाने जा रही
है। हिमाचल जैसे गरीबबहुल्य ग्रामीण प्रांत में लोग पांच रुपए 36 पैसे प्रति
युनिट बिजली खरीदने की ताकत नहीं रखते हैं। हलांकि सरकार का दावा है कि 125
युनिट मुफ्त बिजली सुविधा प्राप्त करने वालों पर कोई अतिरिक्त खर्चा नहीं लगाया
गया है।
हिमाचल में कड़ाके की सर्दी शुरू हो गई है और 125 युनिट मुफ्त बिजली से किसी का
भी गुजारा होना कठिन है। इन दिनों हिमाचल में हीटर, ब्लोअर और सर्दी से बचने के
लिए कई उपकरण चलते हैं। लोग ठंडे पानी से स्नान भी नहीं सकते हैं। जाहिर है कि
ग्रामीण क्षेत्र में लोग बिजली के इस सरकारी प्रकोप से बचने के लिए जंगलों की
लकड़ी जलाकर गुजारा करेंगे। यहां प्रश्न यह खड़ा होता है कि एक ओर तो सरकार ने
बिजली की दरों में पर्यावरण को ठीक रखने के लिए दरें बढ़ा दी हैं और दूसरी ओर
लोगों को जंगल की लकड़ी काटकर उसे जलाकर जिंदा रहने के लिए छोड़ दिया है। सरकार
का पर्यावरण बचाने का यह नायाब तरीका सभी की समझ से बाहर है।
यही नहीं हिमाचल प्रदेश में बिजली के बिल पर लगाए गए मिल्क सेस व पर्यावरण सेस
से सरकार ने करीब 50 से 60 करोड़ रुपए सालाना कमाई करने की उम्मीद लगा रखी है।
सरकार का बहाना बड़ा जोरदार है वह कहती है कि अभी सरकार ने 125 यूनिट तक बिजली
उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं पर इसे नहीं लगाया है। परंतु जब 125 यूनिट फ्री
बिजली एक ही मीटर पर उपभोक्ता को मिलेगी तो फिर बहुत से लोग इसे दायरे में आ
जाएंगे। यहां यह बात भी स्पष्ट हो जाती है कि अमीर मकान मालिक ही अपने एक मीटर
पर 125 यूनिट फ्री बिजली का ही इस्तेमाल करेगा और गरीब किराएदार बिजली का पूरा
बिल भरेगा। अब सरकार किस बुद्धि से कार्य करती है यह तो भगवान ही जाने।
पर्यावरण सुधार के लिए चलाए जा रहे इलेक्ट्रिक व्हीकल की चार्जिंग से भी सरकार
मोटी कमाई करने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है। इसमें छह रुपए पर्यावरण के नाम पर
शुल्क वसूल किया जाएगा। हिमाचल सरकार ने विधानसभा के मॉनसून सत्र में विद्युत
शुल्क संशोधन विधेयक को पारित कर लिया था ताकि सर्दी के दिनों में इससे सरकार
को मोदी कमाई शुरू हो सके। इस बिल को राज्यपाल से भी मंजूरी मिल चुकी है और इसे
अब अधिसूचित भी किया जा चुका है। अधिसूचना जारी होने के साथ ही यह प्रदेश के
लोगों पर लागू हो चुका है। उपभोक्ताओं को अब बिजली बिल में मिल्क सेस व
पर्यावरण उपकर लगकर ही बिल आएगा। मिल्क सेस के रूप में सरकार ने प्रति यूनिट 10
पैसे बढ़ा दिए हैं। इस राशि का उपयोग सरकार दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने और दुग्ध
उत्पादकों के उत्थान के लिए खर्च करेगी।
पर्यावरण उपकर लघु उद्योगों को 0.02 पैसे प्रति यूनिट, मध्यम उद्योगों को 0.04
पैसे प्रति यूनिट, बड़े उद्योगों को 0.10 पैसे प्रति यूनिट, वाणिज्यिक
उपभोक्ताओं को 0.10 पैसे प्रति यूनिट, अस्थायी कनेक्शन पर दो रुपए प्रति यूनिट,
स्टोन क्रशरों से दो रुपए प्रति यूनिट की राशि वसूल की जाएगी। इलेक्ट्रिक
व्हीकल का टैरिफ बढ़कर छह रुपए प्रति यूनिट हो जाएगा। बड़े उद्योगों पर सरकार ने
सबसिडी भी एक रुपया कम कर दी है। हालांकि मामला अभी अदालत में चल रहा है। इसे
लेकर अभी सरकार के सामने विरोध भी हो सकता है। पर्यावरण कर की राशि का उपयोग
सरकार को पर्यावरण संरक्षण के लिए ही करना होगा।
घरेलू उपभोक्ताओं का बिजली टैरिफ फिलहाल पांच रुपए 26 पैसे प्रति यूनिट से बढ़कर
पांच रुपए 36 पैसे प्रति यूनिट तक होगा। जब सरकार एक रुपए सबसिडी को वापस ले
लेगी तो यही दरें प्रति यूनिट पांच रुपए 36 पैसे तक पहुंच जाएगी। आने वाले समय
में बिजली की दरों को लेकर कई तरह के निर्णय होने हैं सर्दी में ठिठुरने वाले
उपभोक्ताओं को भले ही कई प्रकार दिक्कतें पेश आ जाएं लेकिन सरकार को तो नए नए
तरीके निकाल कर बड़ी धन उगाही करनी है।
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