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मोदी सरकार के लिए नया खतरा बने शिंदे

सात लोकसभा सांसद हैं एकनाथ शिंदे के पास...

विशेष संवाददाता

     शिमला : केन्द्र में मोदी सरकार के लिए महाराष्ट्र शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे नया खतरा बन गए हैं। उनकी नाराजगी के पीछे कई कारण हैं। अब शिंदे की गिनती नितीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान जैसे नेताओं में हाने लगी है।
     महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को बना दिया गया है। उनके साथ अजीत पवार और शिंदे को उप-मुख्यमंत्री बना दिया गया है। कहते हैं कि शिंदे को इसलिए मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया क्योंकि शिंदे की पार्टी छोटी है और भाजपा उनकी पार्टी से बड़ी पार्टी है। शिंदे गुट का तर्क है कि उनकी पार्टी तो तब भी छोटी थी जब उन्हें महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया गया था।
     कई वजहों से शिंदे भाजपा नेतृत्व से नाराज चल रहे थे और उन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर भी जताई है। कहते हैं फिलहाल शिंदे को विश्वास में लेकर ही महाराष्ट्र की सरकार बनाई गई है। उन्हें करीब 13 मंत्रालय भी दे दिए गए हैं। यह भी कहा जा रहा है कि जो शिंदे ने मांगा वह भाजपा ने नहीं दिया। शिंदे के पास कोई विकल्प नहीं था इसलिए वह चुपचाप बैठ गए।
     अब शिंदे को इस निगाह से देखा जाने लगा है कि उनके पास लोकसभा में सात सांसद हैं। इसलिए यदि निकट भविष्य में केन्द्र की मोदी सरकार को हटाने का प्रयास एनडीए के घटक दलों में होता है तो शिंदे विरोधियों से हाथ मिला सकते हैं। इसलिए शिंदे की गिनती अब नितीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान जैसे नेताओं में होने लगी है। जो केन्द्र में मोदी सरकार को कभी भी झटका दे सकते हैं।
     शिंदे की राजनीति आगे कैसे चलेगी यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन इतना कहा जा सकता है कि उनके पास अब खोने को कुछ नहीं रह गया है। कयास तो यह भी लगाए जा रहे हैं कि नितीश कुमार की तरह शिंदे की पार्टी को भी भाजपा आलाकमान तोड़ लेगी। परंतु अभी तक न तो नितीश की पार्टी के टूटने की कोई खबर बाहर आई है और न ही किसी और एनडीए घटक दल की। बिहार में अब चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और नितीश कुमार, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी जैसे नेताओं को अपनी राजनीति को सेट करना है।
     यह भी माना जा रहा है कि बिहार में भी भाजपा वही खेला करने की तैयारी में है जो उसने हरियाणा और महाराष्ट्र में किया है। कच्चे धागे पर चल रही बिहार की राजनीति में यदि एनडीए का धागा टूट गया तो शिंदे भी उसके सिरे को लंबा करने का काम कर सकते हैं। आगे क्या होगा कहा नहीं जा सकता लेकिन केन्द्र को सरकार बचाने लिए अब शिंदे के रूप में सोचने के लिए एक नया नेता मिल गया है।

 
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