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दीपावली

अंधकार से टकराने का पर्व

भगवान राम पर आस्‍था का पर्व है...

     आज पूरी दुनियां एक घने अंधकार के दौर से गुजर रही है। भारत वर्ष भी अपनी दुख पीड़ा और संकट काल के अंधेरे में डूबा हुआ है। खसकर देश का युवा जिसे अपना भविष्य अंधकारमय प्रतीत होने लगा है। ऐसे में पूरी दुनियां सहित भारत वर्ष को भी अंधकार से प्रकाश में लाने की नितांत आवश्यकता है। ऐसे में हम दीपावली के दिनों से गुजर रहे हैं।
     प्रत्येक व्यक्ति ईश्वर से यही दुआ कर रहा है कि हमें इस अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। भले ही दीपावली हिन्दुओं का सबसे बड़ा पर्व है लेकिन संचार माध्यमों के जरिए यह पर्व पूरे विश्व में लोकप्रिय होता जा रहा है। अब दीपावली के बारे में सिर्फ हिन्दुओं का पौराणिक ज्ञान ही इस महान पर्व से नहीं जोड़ा जाता है। ईसाई, मुसलमान और दुनियां भर के सभी धर्म अपने आपको इसके आसपास महसूस करते हैं। हिन्दुओं में जहां ‘ज्योति’ को ज्ञान का सबसे बड़ा स्त्रोत माना जाता है वहीं ईसाई भी ज्योति को ज्ञान का स्वरूप मानते हैं। वह मोमबती जलाकर अपने ईश्वर को याद करते हैं और वह भी अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की प्रार्थना ईश्वर से करते हैं। इस्लाम में भी ज्योति का वैसा ही महत्व है जैसा हिन्दुओं में है। दुआ करने के तरीके भले ही अलग अलग हों लेकिन सब दुनियां भर में सुख शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। कहा जा सकता है कि अंधकार से टकराने का पर्व दीपावली ही है। जिसका सरल शब्दों में मतलब है कि हमें अज्ञानता से ज्ञान की ओर जाने का मार्ग तलाशना है।
     आज पूरा विश्व ज्ञान के अंधकार से बाहर निकलने की जुगत में लगा हुआ है। मानवता को श्रेष्ठ बनाने में ज्ञान का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यह भी बहुत से विद्वान मानते हैं कि ज्ञान ही पूरे विश्व को एक सूत्र में बांध सकता है। जिसका प्रचण्ड रूप ज्योति के रूप में आज पूरे विश्व के सामने है। विश्व के अध्यातमवाद में ज्योति पर जितनी भी बहस हुई है उसमें लगभग सभी धर्म एक ओर जाते हुए प्रतीत होते हैं। कहा जा सकता है कि कम से कम इस शब्द पर भी धर्म एक ही बात करते हैं। सभी ज्योति को ज्ञान का मुख्य प्रतिबिम्ब मानते हैं।
     यही वजह है कि दीपावली के पर्व पर दुनियां भर के सभी लोग इसमें शामिल होने को लालायित रहते हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, चीन, जर्मनी, फांस और यहां तक कि यूरोप के अश्वेतों में भी दीपावली के बारे में जानने की जिज्ञासा बड़ी है। व्हाईट हाउस में जहां अमेरिका के राष्ट्रपति दीपावली के पर्व को धूमधाम से मनाते रहे हैं। वहीं ब्रिटेन के राजमहल में भी दीपावली की ज्योति प्रज्जवलित होते हुए देखी जाती है। जर्मनी के लोग तो पहले से ही दीपावली के महत्व को जानते हैं और हमारा स्वास्तिक का चिन्ह उनके लिए पूजनीय रहा है। कहा जा सकता है कि दीपावली ही दुनियां में एक मात्र ऐसा पर्व है जो प्रेम, भाई चारे और ज्ञान का वरदान मांगने के रूप में मनाया जाता है।
     भारत में इसे अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होने के पर्व के रूप में मनाया जाता है। जिसका सीधा अर्थ है हे ईश्वर मुझे अज्ञानता के अंधकार से निकाल कर ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले चलो...। इस दिन लोग अपने घरों में रौशनी करके ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं। लक्ष्मी पूजा करके घर घर में संपन्नता के वास के लिए पूजा अर्चना की जाती है। लोग एक दूसरे को मिठाइयां और अन्य भेंट देकर अपनी खुशियों का इजहार करते हैं और सभी को अपनी खुशी में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं। भारत के लोगों को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि वह एक ऐसे ज्ञान को अपनी परंपराओं में समेटे हुए हैं जिसे आज पूरी दुनियां सलाम कर रही है।

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