1st Choice of Indian Politicians

हिन्‍दी साप्‍ताहिक समाचार पत्र

Hindi Weekly News Paper of India

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लोकतंत्र का बलात्‍कार

     बिहार चुनाव को लेकर जिस तरह की खबरें आ रही है वह यह बताने के लिए काफी हैं कि लोकतंत्र का बलात्कार खुले आम हो गया। जिन पर लोकतंत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी वही लोकतंत्र के बलात्कार के आरोपी साफ तौर पर नजर आ रहे हैं। लोकतंत्र की पहली कड़ी देश के नागरिक को ही माना गया है। भारतीय गणराज्य के एक सदस्य राज्य बिहार में जिस प्रकार नागरिकों की संप्रभुता का चीरहरण किया गया उसके सबूत मीडिया में वीडियो के रूप में मौजूद हैं और पूरा विश्व उसे देख रहा है। एसआईआर ने नाम पर मतदाता सूची में जिस प्रकार छलकपट और जबरन नागरिकों के वोट करने के अधिकार को छीनने के प्रयास का आरोप लगाया गया है वह लोकतंत्र की हत्या और बलात्कार ही है। जिस प्रकार एक पत्रकार अजीत अंजुम के चुनावी धांधली को उजागर करने पर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और वह किसी जघन्य अपराध से कम नहीं है। एफआईआर तो उन बीएलओ के खिलाफ होनी चाहिए जो मतदाता सूची देखकर मतदाताओं के फार्म पर जाली हस्ताक्षर करवा कर वोट बनाने या काटने की प्रक्रिया में संलिप्त हैं। एफआईआर तो उन अधिकारियों के खिलाफ होनी चाहिए थी जिनकी देखरेख में लोकतंत्र के चीरहरण की पटकथा लिखी जा रही थी। आखिर बीएलओ सहित वहां मौजूद सभी अधिकारी भी भारत के नागरिक हैं और वह भारत के संविधान के खिलाफ कैसे गैर कानूनी काम में अपनी भूमिका निभा रहे थे। इस मामले में बिहार के तमाम बीएलओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और उनके बयान के बाद अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए। इस आलोकतांत्रिक जांच की शुरुआत सभी बीएलओ से की जानी चाहिए, क्योंकि सारे षड़यंत्र का खुलासा उनके कृत्य और सबूतों से हो रहा है।      जारी..

 

बेचारा उप राष्‍ट्रपति

संजय हिंदवान

     अभी तक माना जाता था कि उप-राष्ट्रपति बनना बड़े गौरव की बात होती है। लेकिन पिछले दिनों उप-राष्ट्रपति पद पर आसीन जगदीप धनकड़ के साथ जो हुआ, उसे देखकर अब उप-राष्ट्रपति को बेचारा न कहा जाए तो और क्या कहा जाए। पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला में जबसे वह पूर्व मुख्य न्यायधीश टी.एस. ठाकुर से मिलकर गए तब से उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूटना शुरू हो गया था। अब नया उप-राष्ट्रपति नौ सितंबर को आने वाला है। खबरों के मुताबिक मौनसून सत्र के पहले दिन ही धनखड़ पर दबाव डाला गया कि वह मोदी सरकार के हिसाब से कार्य नहीं कर रहे हैं इसलिए वह पद को छोड़कर चले जाएं। लोग उनके आचरण को इस बात से भी जोड़कर देख रहे हैं कि कहीं जस्टिस ठाकुर से मिलने के बाद उनका हृदय परिवर्तन तो नहीं हो गया था। यह वही जस्टिस ठाकुर हैं जिन्होंने केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के सुप्रीम कोर्ट में पसीने छुड़ा दिए थे। बहस देश भर में यह भी छिड़ी हुई है कि यदि धनखड़ सरकार के कहने पर अपना इस्तीफा नहीं देते तो ज्यादा से ज्यादा क्या हो जाता, उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता ताकि वह तुरंत कुर्सी छोड़ दें। यदि वह इस्तीफा न देते तो अविश्वास प्रस्ताव के लिए सत्तारूढ़ पक्ष को तुरंत राज्यसभा का सभापति बनाना पड़ जाता जो अविश्वास प्रस्ताव की अध्यक्षता करता।     जारी

 

लंगड़ी शिक्षा व्‍यवस्‍था को घसीट रही सरकार

     हिमाचल प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल सिर्फ मौजूदा सरकार ने ही नहीं किया है। बल्कि पूर्व सरकारों की गलत शिक्षा नीति का भुगतान अब पूरे प्रदेश को करना पड़ रहा है। अब मौजूदा लंगड़ी शिक्षा व्यवस्था को घसीटने के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने नया तुगलकी फरमान जारी कर दिया है कि शिक्षा विभाग में नियुक्त स्कूल प्रवक्ताओं को अब छठी से दसवीं तक की कक्षाएं भी पढ़ानी होंगी। देश भर में शिक्षा का अधिकार कानून को बने भी अब लगभग दो दशक का समय बीत चुका है और हिमाचल की सरकार इस दौरान भांग खाकर बैठी रही। प्रदेश सरकार पिछले 20 वर्षों में एक मान्यता प्राप्त एनटीटी संस्थान नहीं खोल पाई, जो एनसीटीई से मान्यता प्राप्त हो। अब सरकार को प्री-प्राईमरी शिक्षकों की भर्ती करनी अनिवार्य है तो सरकार आएंबांए बगले झांक रही है, उल्टी सीधी बयानबाजियां कर रही है। प्राइमरी में पढ़ने वाले बच्चों के लिए पूर्व सरकारों ने नया गैर कानूनी शब्द ‘अगेन्स्ट जेबीटी’ खोज निकाला और बीएड शिक्षकों को जेबीटी शिक्षकों की जगह भर्ती कर डाला। जबकि जेबीटी टीचर 5वीं और बी.एड. टीचर दसवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए रखे जाते हैं। जमा दो के बच्चों के लिए स्कूल लेक्चरर की नियुक्ति प्रदेश सरकार ने की। सरकार ने अपने उदंड दिमाग से बी.एड. टीचर जो प्राइमरी कक्षाओं को पढ़ा रहे थे उन्हें ट्रेड ग्रेजुएट टीचर (टीजीटी) बना दिया।      जारी...

 

सोलन से होनी चाहिए नेशनल हाई-वे की जांच

     हिमाचल के मंत्री और नेशनल हाई वे अथॉरिटी (एनएचएआई) के इंजीनियर के बीच हुई कथित मारपीट का परिणाम यह निकला है कि अब प्रदेश सरकार ने एनएचएआई द्वारा शिमला जिला में किए जा रहे नुक्सान पर कार्यवाही शुरू कर दी है। हलांकि इस प्रकार की जांच पूरे प्रदेश में किए जाने की जरूरत है। क्योंकि एनएचएआई ने सबसे अधिक कार्य सोलन जिला में किया है तो इस प्रकार की जांच सोलन जिला से की जानी चाहिए थी। वरना यही संदेशा जाएगा कि मंत्री अनिरुद्ध सिंह के साथ हुई अभद्रता का हिमाचल की सुक्खू सरकार बदला ले रही है। एनएचएआई का रिकार्ड सबसे अधिक सोलन में खराब हुआ है, जहां फोरलेन बनाने का कार्य पूर्ण होने की घोषणा एनएचएआई कर चुका है। इसी आधार पर एनएचएआई ने टोल टैक्स वसूलना भी शुरू कर दिया है। जबकि एक सप्ताह भी पूरी फोरलेन कभी पूर्णतया नहीं चल पाई है। जहां एक तरफ कोई मिट्टी गिर जाने या पहाड़ टूटकर सड़क पर आ जाने के कारण अवरोध पैदा हो जाता है तो सड़क को दूसरी तरफ के टूलेन से चला दिया जाता है। बस इसी तरह टू लेन चलाकर इसे फोरलेन नाम दे दिया गया है। एनएचएआई के निर्माण कार्य से जो परवाणू से सोलन जिला की शिमला से छू रही सीमा तक जो लोगों को नुक्सान हुआ है और लोगों ने जो शिकायतें की थी उस पर आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।  जारी...

 

बाढ़ से गांव के गांव तबाह हुए पर राजनैतिक ड्रामा जारी है

     हिमाचल में आई बाढ़ से जहां गांव के गांव तबाह हो गए हैं वहीं राजनैतिक लोगों का ड्रामा भी यथावत जारी है। मंडी जिले का सराज जो पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का चुनाव क्षेत्र है और सांसद कंगना रणौत के संसदीय क्षेत्र में पड़ता है वहां जमकर राजनीति हो रही है। राहत पहुंचाने में सरकार लोगों की मदद कर रही है। इस प्राकृतिक आपदा की भरपाई कैसे होगी इस पर किसी का कोई ध्यान नहीं है। इस बार भी हिमाचल में मानसून के चलते आई आपदा से बड़ा नुकसान हुआ है। सुप्रीम कोर्ट भी इस बार हिमाचल में हो रहे प्राकृतिक विनाश को लेकर चिंतित दिखाई दिया। सुप्रीम कोर्ट ने तो यहां तक कह दिया कि एक दिन हिमाचल पूरी तरह खत्म हो जाएगा। यह बात प्रदेश सरकार के लिए ही नहीं राज्य सरकार के लिए भी गंभीर चिंता का विषय होनी चाहिए। कहते हैं कि अभी पिछले वर्ष की प्राकृतिक आपदा की क्षतिपूर्ति तक नहीं हुई है और पता चला है कि अभी तक नुकसान का प्रारंभिक आंकलन ही हो सका है। कुछ दिन पहले की रिपार्ट के अनुसार 739.12 करोड़ रुपए की क्षति प्रदेश की संपत्ति को हो चुकी थी। यह नुक्सान अगस्त महीने में भी जारी है। अनुमान यह लगाया जा रहा है कि नुकसान दो हजार करोड़ से अधिक भी हो सकता है। शुरू में ही इस आपदा में 1353 भवनों को नुकसान पहुंचा था जिसमें से 431 मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके थे।      जारी...

 

बीपीएल परिवारों की सूची को मजाक बनाकर रख दिया है

     प्रदेश सरकार ने बीपीएल परिवारों की सूची को मजाक बनाकर रख दिया है। सिर्फ दो लाख लोगों का नाम बीपीएल सूची में आने की संभावना है। पंचायती राज चुनाव भी प्रदेश में होने वाले हैं और बीपीएल सूची इन चुनावों में गंभीर मुद्दा बनकर उभरेगी। विभागीय सूत्र बताते हैं कि पहले यह सूची जुलाई माह में जारी हो जानी चाहिए थी। फिर इसे अगस्त तक खिसकाने की बात कही गई और अब कहा जा रहा है कि यह सूची अक्तूबर माह तक बनकर तैयार होगी। लेकिन यह भी पक्की तरह नहीं कहा गया है कि अक्तूबर में हिमाचल प्रदेश के बीपीएल परिवार को सरकारी सहायता मिलने लगेगी। सरकार की ओर से पिछले सप्ताह ही कहा गया है कि हिमाचल की ग्राम पंचायतों में बीपीएल के चयन की प्रक्रिया में अभी और समय लग सकता है। पंचायती राज विभाग ने पहले जुलाई की डेडलाइन रखी थी लेकिन इस प्रक्रिया को अब अक्तूबर तक पूरा किया जा सकेगा। अभी कई जिलों में वेरिफिकेशन चल रही है जबकि कई जिलों में ग्राम सभा की बैठकें होना शुरू हो गई है। ग्राम सभा से रेकमेंडेशन के बाद भी एसडीएम की कमेटी ने इन्हें वेरिफाई करना है इसलिए इस प्रक्रिया में अभी समय लगेगा। यहां सवाल यह उठाया जा रहा है कि यदि अभी सूची की जांच चल रही है तो जुलाई माह तक इसे पूरा करने की तारीख क्यों दी गई और अब अतूबर माह की तारीख किन तथ्यों के आधार पर दी जा रही है। कहा जा सकता है कि गरीब लोगों के सब्र को टिकाए रखने के लिए एक माह फिर दो माह इंतजार करने को कहा जा रहा है।          जारी...

 

हिमाचल में वाहनों का चालान करने में पुलिस ने अति कर दी

     हिमाचल पुलिस ने वाहनों के चालान करने में अति कर दी है। कहा जा सकता है कि वाहनों के चालान से ही हिमाचल प्रदेश के बजट में करोड़ों रुपए एकत्र हो जाते हैं। जब वाहनों के चालान से ही प्रदेश सरकार को करीब 100 करोड़ के राजस्व का लाभ प्राप्त होता है तो इसकी बजट में विशेष रूप से चरचा होनी चाहिए। जिस प्रकार से आंकड़े सामने आ रहे हैं उसे देखकर लगता है कि चालान की मार प्रदेश में आने वाले पर्यटकों पर सबसे ज्यादा पड़ती है। हिमाचल पुलिस भले ही अपराधियों को पकड़ने में ढीली ढाली रही हो लेकिन वाहनों के चालान काटने में वह देश की अव्वल पुलिस कही जा सकती है। प्रदेश भर में वर्ष 2025 में जनवरी से जून माह अर्थात आधे वर्ष में ही 7,09,026 वाहनों के चालान कर डाले हैं। कहा जा सकता है कि वर्ष पूरा होते होते यह आंकड़ा 14 लाख चालान से आगे निकल जाएगा। इन चालानों में से 1,94,076 वाहनों के चालानों का निपटारा करके पुलिस ने 19 करोड़ 93 लाख 151 रुपये जुर्माने के रूप में वसूल किए हैं। पिछले वर्ष 2024 के मुकाबले में इस वर्ष 2025 में चालानों का आंकड़ा अब तक दो गुण बढ़ गया है। पिछले पूरे वर्ष 2024 में 4,12,050 चालान किए गए थे और इस वर्ष 2025 में छह माह में ही 7,09,026 वाहनों के चालाना किए जा चुके हैं। करीब दो लाख चालान का निपटारा करके ही पुलिस ने करीब 20 करोड़ रुपए कमा लिए थे।            जारी

 

हिमाचल को बिहार न बनने दे चुनाव आयोग

     बिहार में जहां राज्य विधानसभा चुनावों के लिए वोटर लिस्ट बनाने और बीएलओ की कार्य प्रणाली को लेकर बवाल मचा हुआ है वहीं हिमाचल में अब पंचायत, नगर निकाय और नगर निगम चुनाव के लिए वोटर लिस्ट बनाने का कार्य प्रगति पर है। प्रदेश में 20 जुलाई से वोटर लिस्ट बनाने की घोषणा हो चुकी है। लेकिन राज्य चुनाव आयोग ने यह बात स्पष्ट नहीं की है कि बीएलओ घर घर जाकर वोटर लिस्ट बनाएंगे या पहले की तरह कटपेट करके वोटर लिस्ट जारी कर दी जाएगी। राज्य चुनाव आयोग ने सभी जिलाधीशों को इस संबंध में साफ कर दिया है कि जो शेड्यूल है, उसके मुताबिक ही काम करना है। 15 जुलाई तक इन्हें आपत्तियों का निपटारा करना है तो वहीं 20 जुलाई को वोटर लिस्ट बनाने का काम शुरू हो जाएगा, जिसके लिए निर्देश दे दिए गए हैं। यहां चुनाव आयोग ने यह बाद स्पष्ट रूप से सार्वजनिक नहीं की है कि नए सिरे से वोटर लिस्ट बनाने के लिए जिलाधीशों को क्या निर्देश दिए गए हैं। वोटर लिस्ट किस तरह से बनाई जाएगी इसकी सार्वजनिक घोषणा की जानी चाहिए। इसे आम लोगों के लिए सार्वजनिक करने की जरूरत इसलिए आन पड़ी है कि पिछले निकाय चुनावों में यह आरोप लगते आए हैं कि चुनाव लड़ने के इच्छुकों ने एक ही घर में 50-100 वोट बनवा लिए, जिसकी ठीक से पड़ताल नहीं की गई। इसका कारण यह रहा कि नई वोटर लिस्ट के नाम पर पुरानी वोटर लिस्ट से ही कटपेस्ट का खेल कर दिया और बीएलओ को घर-घर नहीं भेजा गया।   जारी

संपाकीय          सौ बार कहा हिन्‍दू-मुस्लिम न करो

     देश के समझदार लोगों ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से सौ बार कहा कि देश में हिन्दू-मुस्लिम न करो। लेकिन देश की सड़कों पर इस प्रकार के प्रदर्शन बंद नहीं हुए। यह प्रदर्शन बड़े शहरों और महानगरों तक ही सीमित नहीं रहे हिमाचल जैसे छोटे राज्य के छोटे छोटे गांवों तक में यह नफरती भाषा फैल गई। फेरी लगाकर अपना पेट पालने वालों तक को इन नफरती सोच का शिकार होना पड़ा। मामला यहीं नहीं थमा पहलगांव में चार मुस्लिम आतंकवादियों ने 26 लोगों से नाम पूछा और हिंदू होने पर उन्हें गोली मार दी। भारत सरकार ने इसे पड़ोसी देश पाकिस्तान की साजिश और कत्ले आम बताया।
     यह हिंदू मुस्लमान यहीं नहीं थमा भारत सरकार ने इसे भारत पर पाकिस्तान का हमला बताया और इससे निपटने के लिए आपरेशन ‘सिंदूर’ तैयार कर लिया गया। भारत की सेना ने पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तानाबूद कर दिया। यह सैन्य कार्यवाही एक युद्ध के रूप में परिवर्तित हो गई। पाकिस्तान की सेना भी इसके लिए तैयार बैठी थी और उन्होंने भी भारत के कई शहरों को निशाने पर ले लिया। भारत के डिफेंस सिस्टम सेना के पराक्रम ने पाकिस्तान के मनसूबों पर पानी फेर दिया और भारत के किसी भी शहर को पाकिस्तान के हमले का शिकार नहीं होने दिया। यदि यह हमला सफल हो जाता तो भारत के कई शहरों में त्राहिमाम त्राहिमाम हो जाता।
     अचानक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का संदेश पूरी दुनियां में फैल गया जिसमें कहा गया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रुकवा दिया है। पहले तो यह बात सबको अजीब लगी कि अमेरिका के राष्ट्रपति भारत और पाकिस्तान के बीच बिना बात के युद्धविराम करवाने वाले और इसकी घोषणा करने वाले कौन होते हैं। लेकिन एक दो दिन तक भारत की ओर से कोई हमला पाकिस्तान पर नहीं किया गया तो सबको यकीन हो गया कि युद्धविराम हो गया है। वरना लोग तो इंतजार कर रहे थे कि भारतीय वायुसेना पाकिस्तान में मौजूद सभी आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करके ही चैन से बैठेगी।        
.....जारी

 

हिमाचल प्रदेश में सेब की फसल पर चल रही आरी रुकी

     हिमाचल प्रदेश में सेब की खड़ी फसल पर चलने वाली आरी फिलहाल रुक गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाकर बागवानों को राहत प्रदान कर दी है। वन भूमि से अवैध कब्जे हटा जाने को लेकर सेब के पेड़ों पर आरी चला दी गई थी। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट इस बारे में पहले भी कई बार प्रदेश सरकार को आदेश कर चुका था लेकिन इस बार सख्ती से आदेश लागू करने के कारण सेब की खड़ी फसल पर ही सरकारी अधिकारियों ने आरी चलवा दी है। हाई कोर्ट का आदेश सिर्फ शिमला तक ही सीमित नहीं रहा है। जहां भी वन भूमि पर कब्जा किया गया है उसे हटाने के सख्त आदेश प्रदेश सरकार और विभागों को दिए गए हैं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है और मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल जाने के बाद बागवानों को इतनी राहत मिल गई है कि वह अपनी इस बार की फसल को बेच सकेंगे। वन भूमि पर अवैध कब्जों को हटाए जाने को लेकर सेब की खड़ी फसल को काटने की पीड़ा जहां उस अवैध वन भूमि पर सेब का बगीचा लगाने वालों को हो रही थी। वहीं प्रदेश सरकार में भी हाई कोर्ट के आदेश से खलबली मची हुई थी। प्रदेश सरकार के राजनेता से लेकर कानूनविद इस युक्ति में लगे हुए थे कि किस प्रकार हिमाचल हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की जाए ताकि बागवानों को हाई कोर्ट के सख्त आदेश से कुछ राहत मिल सके।         जारी

 

अब रूस भी शांति समझौते को तैयार है

     रूस ने कहा है कि पुतिन यूक्रेन संकट का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं लेकिन रूस अपने लक्ष्यों से पीछे नहीं हटेगा। रूस ने एक बार फिर यूक्रेन युद्ध पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन रूस अपने रणनीतिक लक्ष्यों से पीछे नहीं हटेगा। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब बहुत लंबा खिंच चुका है और इसमें बहुत बड़ी मात्रा में जानमाल का नुक्सान भी हो चुका है। यह अब चौथे साल में प्रवेश कर चुका है और अभी तक दोनों देशों के बीच युद्धविराम नहीं हो पाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 50 दिन का अल्टीमेटम दिया था। रूस ने पहले बयान दिया कि उसे ट्रंप की धमकियों की कोई परवाह नहीं लेकिन अब वह बातचीत के लिए तैयार हो रहा है। क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि शांति संभव है, लेकिन हमारे लक्ष्य सर्वापरि हैं। अब इस युद्ध के रुकवाने के लिए किस प्रकार मध्यस्तता की जाती है यह आने वाले दिन बताएंगे। डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि यदि रूस 50 दिन के भीतर युद्धविराम पर सहमत नहीं होता है तो अमेरिका और सख्त प्रतिबंध लगाएगा। इस पर रूस की ओर से कहा गया कि रूस अपने हितों की रक्षा करना जारी रखेगा और पश्चिमी दबाव में नहीं आएगा। क्रेमलिन प्रवक्ता ने आगे कहा कि दुनियां अब ट्रंप की कभी-कभार कठोर बयानबाजी की अभ्यस्त हो चुकी है।      जारी

 

राहत देने में हिमाचल को भूल जाता है केन्‍द्र

     हिमाचल प्रदेश बिजली बैंकिंग की ओर फिर से बढ़ने लगा है। इसी के तहत अब हिमाचल ने पंजाब और छत्तीसगढ़ को बिजली बेचना शुरू कर दिया है। अब हिमाचल गर्मियों में बिजली मैदानी इलाकों को बेचेगा और सर्दियों में उनसे बिजली खरीदेगा। ऐसा हिमाचल पहले भी करता था और अब इसे फिर से शुरू किया जा रहा है। अभी दोनों राज्यों को करीब 60 लाख यूनिट बिजली रोजाना दी जाएगी। जून माह में इसे और बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। कहा जा रहा है कि दोनों राज्यों के साथ बिजली को लेकर अक्तूबर महीने तक का करार कर लिया गया है। आने वाले दिनों में दोनों राज्यों को 100 100 लाख यूनिट बिजली रोजाना बेची जा सकेगी। इसके साथ कुछ दूसरे राज्यों के साथ भी नए करार किए जा सकते हैं। इसके लिए स्टेट लोड डिस्येच सेंटर टेंडर निकालेगा। फिलहाल हिमाचल में बिजली उत्पादन चढ़ा हुआ है। प्रदेश की बिजली परियोजनाओं में सौ फीसदी उत्पादन होना शुरू हो गया है। हिमाचल प्रदेश के लिए राहत की बात यह है कि अब उसे बाहर से बिजली नहीं लेनी पड़ रही, बल्कि अगले करीब पांच महीने तक वह दूसरे प्रदेशों को बिजली बेच सकेगा। जिस तरह से आजकल बारिश का दौर जारी है, उससे बिजली उत्पादन के लिए परियोजनाओं को भरपूर पानी मिल रहा है। पहले ऐसा भी समय था जब बिजली उत्पादन पांच से 10 फीसदी तक रह गया था।     जारी

 

आर. प्रगनानंदा ने कार्लसन को 39 चालों में ही निपटा दिया

     शतरंज में भारत के खिलाड़ी अपना लोहा मनवा रहे हैं। डी गुकेश के बाद अब आर प्रगनानंदा ने अपने जौहर दिखाने शुरू कर दिए हैं। भारत के ग्रैंडमास्टर प्रगनानंदा ने लास वेगास में फ्रीस्टाइल चेस ग्रैंड स्लैम टूअर में दुनियां के नंबर-1 मैग्नस कार्लसन को हरा दिया है। शतरंज की दुनियां में कार्लसन एक बड़ा नाम है और उन्हें मात देना कोई सरल कार्य भी नहीं माना जाता है। लेकिन 19 साल के प्रगनानंदा ने पांच बार के वर्ल्ड चौंपियन कार्लसन को केवल 39 चालों में मात देकर टपर्सनसमेंट में सनसनी फैलादी। मैग्नस कार्लसन को प्रगनानंदा ने टूर्नामेंट के ग्रुप स्टेज के चौथे राउंड में हराया। इस टूर्नामेंट में हर खिलाड़ी को 10 मिनट का समय और हर चाल पर 10 सेकंड अतिरिक्त मिलते हैं। नॉर्वे के ग्रैंडमास्टर कार्लसन को हाल ही में भारत के मौजूदा वर्ल्ड चौंपियन डी. गुकेश भी लगातार दो बार हरा चुके हैं। हलांकि इससे पहले एक अन्य टूर्नामेंट में मैग्नस कार्लसन ने डी. गुकेश को हरा दिया था। इस बार के फ्रीस्टाइल चेस ग्रैंड स्लैम में प्रगनानंदा ने टूर्नामेंट की शुरुआत उज्बेकिस्तान के नोदिरबेक अब्दुसत्तोरोव के खिलाफ ड्रॉ खेलकर की थी। इसके बाद दूसरे राउंड में उनका सामना असाउबायेवा से हुआ था, जिसमें वह जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे।     जारी

 

सोलन समाचार

 

हिमाचल समाचार

जनगणना न होने की मार पड़ रही है नगर निगम सोलन को

सजा हो रही है फिर भी नहीं रुक रहे चिट्टे वाले

नगर निगम चुनाव से तय हो जाएगी सोलन विधानसभा की सीट

  जारी...

 

इस बार भी बढ़ में लकड़ी के स्‍लीपर बहते हुए देखे गए

निगम कर्मचारियों को बैरंग वापस लौटना पड़ा

चीन ने 300 इंजीनियर्स को वापस बुलाया

  जारी...

सोलन (हिमाचल प्रदेश)

 

 

 

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