1st Choice of Indian Politicians

हिन्‍दी साप्‍ताहिक समाचार पत्र

Hindi Weekly News Paper of India

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तीन लोकसभा सीटें होंगी हिमाचल में

     वर्ष 2026 के बाद होने वाले राज्यों की सीटों के परिसीमन में हिमाचल में तीन लोकसभा सीटें रह जाएंगी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2003 में भारत के संविधान में संशोधन करके राज्यों के परिसीमन को 2026 तक टाल दिया था। अब जनसंख्या के आधार पर देश भर में लोकसभा और विधानसभा की सीटों का बंटबारा होगा। देश की जनसंख्या का जिस प्रकार से एक राज्य से दूसरे राज्य में पलायन हुआ है इसका असर विभिन्न राज्यों की जनसंख्या पर भी पड़ा है। कुछ राज्यों में जनसंख्या बहुत तीव्र गति से बढ़ गई है और कुछ में कम हो गई है। यूपी, बिहार जैसे जिन राज्यों में जनसंख्या तेजी से बढ़ी है वहां अब लोकसभा और विधानसभा की सीटें बहुत बढ़ जाएंगी जबकि केरल, हिमाचल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में सीटें घट जाएंगी। आजादी के बाद पं. जवाहर लाल नेहरू के सरकार ने 1951 में परिसीमन करवाया था। इसके बाद 1961 की जनगणना के बाद फिर पं. नेहरू सरकार ने परिसीमन करवाया था। इसके बाद 1971 की जनगणना के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनसंख्या के आधार पर किए जाने वाले परिसीमन को 30 वर्ष के लिए टाल दिया था। अब यह परिसीमन 2001 की जनगणना के बाद होना था। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस संवैधानिक बाद्यता को संविधान संशोधन करके 2026 तक टाल दिया था।     जारी..

 

सुक्‍खू ने जयराम पर किया एतिहासिक प्रहार

     पिछले दिनों मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर पर एतिहासिक कड़ा प्रहार करते हुए कह दिया कि ऐसा हिमाचल के इतिहास में कभी नहीं हुआ है। नेता प्रतिपक्ष की हर बात का जवाब देना जरूरी नहीं है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा है कि जयराम ठाकुर बिना तथ्यों के बात करते हैं। उनकी हर बात का जवाब देना वह जरूरी नहीं समझते हैं। पूर्व में जयराम ठाकुर जिस प्रकार बयान देते रहे हैं और उनके बयान जमीन पर धड़ाम से गिरे रहे हैं शायद इसलिए मुख्यमंत्री ने अब उनके बयान को हल्का साबित करने जैसा बयान दिया है। मुख्यमंत्री के बयान के बाद सत्तापक्ष के राजनैतिक हल्कों में यह चरचा तेज हो गई है कि नेता प्रतिपक्ष के बयान को अब कोई गंभीरता पूर्वक नहीं ले रहा है। पिछले वर्ष जयराम ठाकुर ने प्रदेश की पूर्णबहुमत सरकार को गिराने का जो विफल प्रयास किया और बेतुकी बयानबाजी की उससे उनकी विश्वसनीयता को धक्का लगा है। कहते हैं जयराम ठाकुर के गलत फैसले के कारण नौ विधायकों को सदन से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इनमें से पांच को तो अपने घर जाकर बैठना पड़ा है। प्रदेश सरकार को पलटने के जैसे बयान वह लंबे समय से देते चले आ रहे थे, जो बाद में औंधे मुहं गिरे हैं। अब जयराम ठाकुर के निर्णयों की समीक्षा उनकी पार्टी के भीतर भी होने लगी है और पार्टी के भीतर पुराने नेता बगावती सुर में बात कर रहे हैं।    जारी...

 

हिमाचल पुलिस कहां है

     हिमाचल में पुलिस कहां है किसी को पता नहीं है। जिस प्रकार बिलासपुर के एक पूर्व विधायक को गोली मार कर युवक फरार हो जाते हैं उससे लगता नहीं कि अपराधियों में पुलिस का कोई खौफ है। चिट्टा बेचने वालों को लोग सड़क पर धून रहे हैं पुलिस कहां है किसी को पता नहीं है। लोगों की छोटी मोटी शिकायतों पर तो पुलिस मौन ही रहती है। यह वही पुलिस है जिसके मौजूद रहते हुए हिमाचल के नौ विधायकों को दूसरे राज्य के पुलिस वाले तथाकथित पुलिस वाले अपनी गाड़ी में बिठकर हिमाचल से बाहर ले जाते हैं। विधानसभा के गेट को तोड़कर हथियारबंद सुरक्षा प्रदान करने वाले प्रदेश की विधानसभा में प्रवेश करते हैं हिमाचल पुलिस तब भी चुप थी और आज भी चुप है। हिमाचल पुलिस को इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि उसके कुछ बड़े अधिकारियों को कस्टोडियल डेथ में उम्र कैद की सजा हो चुकी है। हिमाचल पुलिस को आजकल सिर्फ चिट्टा बेचने वालों को पकड़ने का काम है। इस मामले में पुलिस ने कुछ उपलब्धियां जरूर हांसिल की हैं। लेकिन इस बात पर से भी नकाब उतर चुका है कि कुछ पुलिस वाले भी चिट्टा बेचने के आरोपी पाए गए हैं। जाहिर है कि प्रदेश में चिट्टा बेचने वालों को पुलिस का संरक्षण प्राप्त था। यही वजह है कि मां बेटी, वकील, डाक्टर, पटवारी तक चिट्टा बेचने के आरोप में पकड़े गए हैं।       जारी...

 

वोटर लिस्‍ट नए सिरे से बनाने की तैयारी कर लेनी चाहिए

     हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को प्रदेश में निकाय चुनावों के लिए वोटर लिस्टों को नए सिरे से बनाने का कार्य शुरू करवा देना चाहिए। ताकि प्रदेश में अब निकाय चुनाव असंवैधानिक तरीके से संपन्न न करवाए जाएं। पिछले करीब दो दशकों से जो वोटर लिस्ट चुनावों में उपयोग में लाई जा रही है उसे नए सिरे से बनाने का कार्य नहीं हुआ है। बीएलओ नियुक्त नहीं किए जाते हैं या वह अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं। वह घर घर जाकर वोट नहीं बना रहे हैं। जल्दबाजी में पुरानी लिस्ट को ही कट पेस्ट करके जबरन तैयार कर लिया जाता है। बाकि मतदाताओं को तहसील या जिलाशीश कार्यालय में बुलाकर वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने की अपील कर दी जाती है। नतीजा यह निकलता है कि चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता 400-500 वोट बनवा लेते हैं और मतदान के बाद वही विजयी घोषित हो जाते हैं। वैसे भी आजकल हरियाणा, दिल्ली और महाराष्ट्र के चुनावों में सबसे बड़ा मुद्दा राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट को ही बना रखा है, जिसमें शंका व्यक्त की जा रही है कि एक ही भवन में सैकड़ों वोट बनवा लिए जाते हैं। हिमाचल में इस प्रकार का कार्य पिछले कई वर्षों से होता चला आ रहा है।      जारी...

 

क्‍या हिमाचल के बागी नेता फिर बनाएंगे तीसरा मोर्चा

     क्या हिमाचल प्रदेश में बागी नेता फिर से कोई तीसरा मोर्चा बनाकर चुनाव मैदान में उतरेंगे। भाजपा की तरफ देखा जाए तो पार्टी के कुछ नेताओं ने अपने बगावती तेवर पार्टी आलाकमान को दिखाने शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस में भी ऐसे नेताओं की अब कमी नहीं है जो तीसरे मोर्चे की ओर लुढ़क सकते हैं। हलांकि हिमाचल में तीसरे मोर्चे के सत्ता में आ जाने की कोई संभवना नहीं है। कांगड़ा से भाजपा के नेता रमेश धवाला भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोले बैठे हैं। उनके साथ कुछ पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता भी कुछ इस तरह के संकेत दे रहे हैं कि वह कोई नई पार्टी भारतीय निर्वाचन आयोग में पंजीकृत करवा सकते हैं। हिमाचल प्रदेश में तीसरा मोर्चा बनाने के कई बार प्रयास हुए लेकिन सफल नहीं हो सके। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हिमाचल में जितने भी नेताओं ने तीसरा मोर्चा बनाने के प्रयास किए वह उनके निजी स्वार्थों पर टिके हुए थे। स्वार्थपूर्ति न होने और हार का सामना कर आखिरकार वह नेता अपनी पुरानी पार्टियों में लौट गए। इस बार भी जिस तीसरे मोर्चें के गठन की बात की जा रही है वह भी पुरानी तरह की ही मानसिकता से ग्रसित होकर सामने आ रही है। बगावती तेवर अपनाए हुए यह नेता भी प्रदेश में जाकर वही रोना रो रहे हैं कि उनकी पार्टी ने उनके साथ अन्याय किया है, जबकि प्रदेश की जनता को इनके रोने धोने से कोई लेना देना नहीं है।      जारी...

 

अब भारी भरकम बिजली के बिल थमा दिए उपभोक्‍ताओं को

     बिजली बोर्ड की तरफ से भारी भरकम बिल लोगों को थमा दिए गए हैं। इससे प्रदेश भर में हाहाकार मचा हुआ है। जिन घरेलु उपभोक्ताओं के घर सर्दियों में बंद रहे हैं उनसे भी न्यूनतम बिल 100 रुपया वसूल किया गया है। सर्दियों में वैसे भी सर्दी से बचने के लिए 125 यूनिट फ्री बिजली के कोई मायने नहीं रह जाते हैं। सरकार ने लोगों को आश्वासन दिया था कि बिजली की दरों में बेताहशा वृद्धि नहीं की जाएगी लेकिन अब बिल भरते हुए लोगों के पसीने छूट रहे हैं। ग्रास साप्ताहिक ने अपने दिसंबर के अंक में ही लोगों को बता दिया था कि इन सर्दियों में हिमाचल सरकार लोगों को तगड़ा बिजली का करंट लगाने जा रही है और यह बात अब सर्दी बीत जाने के बाद सत्य साबित हो रही है। हिमाचल जैसे गरीबबाहुल्य ग्रामीण प्रांत में लोग पांच रुपए 36 पैसे प्रति युनिट बिजली खरीदने की ताकत नहीं रखते हैं और अब 125 युनिट फ्री बिजली सुविधा के कोई मायने नहीं रह गए हैं। हलांकि सरकार ने कहा था कि फ्री बिजली प्राप्त करने वालों पर कोई अतिरिक्त खर्चा नहीं लगाया जाएगा और यह बात भी अब झूठी साबित हो रही है। हिमाचल प्रदेश में बिजली के बिल पर लगाए गए मिल्क सेस व पर्यावरण सेस से सरकार ने करीब 50 से 60 करोड़ रुपए सालाना कमाई करने की उम्मीद लगा रखी है। इससे भी बिजली के बिल काफी बढ़े हुए आ रहे हैं। सरकार कहती है कि अभी 125 यूनिट बिजली उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं पर इसे नहीं लगाया है।     जारी...

 

देख लिया विदेशी चुनावी फंडिंग का नतीजा

     भारत में विदेशी फंडिंग लेकर चुनाव में इस्तेमाल करने पर रोक थी, लेकिन भारत सरकार ने इलेक्टोरल बांड के जरिए चुनावी फंडिंग के साथ साथ विदेशी पैसे की चुनावी फंडिंग में लगी रोक को हटा दिया था। अब नतीजा यह निकला है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल भारत में हुए लोकसभा चुनावों में अमेरिकी फंडिंग होने का दावा करके भारत वर्ष में हड़कंप मचा दिया है। अमेरिकी एजेंसी यूएसएड द्वारा भारत में वोटिंग प्रतिशतता बढ़ाने के लिए कथित तौर पर 21 मिलियन डालर की फंडिंग रद्द किए जाने के बाद अब भारत सरकार भी बचाव की मुद्रा में आ गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम तक ले दिया है। अब विदेश मंत्रालय इस पर चिंता जताते हुए कह रहा है कि देश के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप की खबरें बहुत चिंताजनक और गंभीर हैं। हलांकि दोनों देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप तो उसी दिन से शुरू हो गया था जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका के एक मंच से नारा भी लगा दिया था कि ‘अबकि बार ट्रंप सरकार’। ट्रंप भी ‘हाउडी मोदी’ करते हुए भारत आए। ‘नमस्ते ट्रंप’ जैसे मामले भी आंतरिक मामलों में दखलंदाजी जैसी ही बात थी। डोनाल्ड ट्रंप ने यूएसएड की फंडिंग को रद्द करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि इस पैसे का इस्तेमाल भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए किया गया था।     जारी

 

सज्‍जन कुमार को आजीवन कारावास

     दिल्ली में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के एक और मामले में सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इससे पीड़ित परिवार का भारतीय न्याय व्यवस्था में विश्वास कायम तो जरूर हुआ है। लेकिन देरी से मिले न्याय की टीम सिख विरोधी दंगों के लिए उठ रही आवाजों को जरूर हुआ है। राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने पहली नवंबर, 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या के मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ सजा पर फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पहले ही सज्जन कुमार को अपराध के लिए दोषी ठहरा दिया था और तिहाड़ केंद्रीय कारागार के अधिकारियों से उसकी मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति पर रिपोर्ट मांगी थी। सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने से 41 साल बाद पीड़ितों को न्याय मिला है। सबसे पहले इस केस में पंजाबी बाग पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में एक विशेष जांच दल ने इसकी जांच अपने हाथ में ले ली थी। इस मामले को लेकर पीडित परिवार का आक्रोश भी समय समय पर बाहर आता रहा है। पीड़ित परिवार ने कई बार यह मांग भी उठाई कि उन्हें अदालत से न्याय जल्दी मिलना चाहिए। आखिर अब जाकर उनकी मुराद पूरी हुई है।     जारी

संपाकीय          औरंगजेब नहीं, जेब को देखो

     देश में अब जनता का ध्यान भटकाने के लिए औरंगजेब को आगे कर दिया गया है। लोगों को चाहिए वह औरंगजेब को नहीं अपनी जेब को देखें जो दिन प्रतिदिन खाली होती जा रही है। लोगों की जेब भरने के लिए सरकारों के पास कुछ भी नहीं है। देश को हर मोर्चे पर शिकस्त मिल रही है जिसके कारण लोग गरीबी के चक्रव्यूह में फंसते चले जा रहे हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो देश भुखमरी के दौर में पहुंच जाएगा। लोग खाना छीनकर अपना और अपने परिवार का पेट पालने की स्थिति तक पहुंच जाएंगे।
     औरंगाबाद महाराष्ट्र में खुल्दाबाद में औरंगजेब का प्राचीन किला है। इस किले में औरंगजेब की कब्र है। बस अब देश का ध्यान भटकाने और हिंदू मुसलमान का मुद्दा जिंदा रखने के लिए नया शगूफा छेड़ दिया गया है। औरंगाबाद जिसे संभाजीनगर भी कहा जाता है से करीब 11 किलोमीटर दूर यह औरंगजेब का किला है। लेकिन इसको लेकर उपद्रव नागपुर में मचाया जा रहा है जहां आरएसएस का मुख्य कार्यालय है। हिंदूवादी संगठनों ने इस औरंगजेब की कब्र को उखाड़ने का आंदोलन शुरू कर रखा है। इसकी हवा पूरे देश में सुनियोजित ढ़ंग से फैलाई जा रही है। वह भी ऐसे समय में जब लोग दो जून की रोटी कमाने के लिए दर दर भटक रहे हैं और पैसों को लेकर परेशान हैं।        
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स्‍थानीय विधायक को नहीं चढ़ने दिया गाड़ी में

     हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर में आयोजित समारोह में स्थानीय विधायक अनिल शर्मा को ही कांग्रेसी नेताओं ने मुख्यमंत्री के साथ गाड़ी में नहीं चढ़ने दिया। पिछले दिनों शिवरात्रि जातर के शुभारंभ पर निकली गई शाही जलेब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू खुली जीप में सवार हुए तो उनके साथ मंडी के हारे हुए नेता जीप में चढ़ गए। किसी भी कांग्रेसी नेता ने यह जहमत नहीं उठाई कि स्थानीय विधायक अनिल शर्मा को भी वह मुख्यमंत्री के साथ खुली जीप में स्थान दे देते। इस बार की शिवरात्रि समारोह के बाद यह बात क्षेत्र में चरचा का विषय बनी हुई है। स्थानीय लोग इस बात को बुरा होने का संकेत भी बता रहे हैं। उनका कहना है कि पहले मेले की जरेब में जो भी शामिल होने आता था वह पैदल शोभायात्रा में चलता था। उस दिन नजारा यह था कि खुली जीप में पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर, धर्मपुर के विधायक चंद्रशेखर, भोरंज से विधायक सुरेश कुमार, कांग्रेस नेत्री चंपा ठाकुर व कुछ अन्य नेता सीएम के साथ खुली जीप में सवार हो गए। यहां नेताओं की भीड़ देख मंडी सदर के विधायक अनिल शर्मा ने गाड़ी में चढ़ने से इन्कार ही कर दिया और वह पैदल चलना शुरू हो गए। जबकि जिस स्थान पर यह मेला आयोजित होता है वहां के विधायक अनिल शर्मा हैं। इसे लोगों ने प्रोटोकॉल के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह कोई अच्छा प्रदर्शन नहीं था।           जारी

 

नशे के खिलाफ जंग में मुख्‍यमंत्री सुखविंदर भी कूदे

     हिमाचल प्रदेश में नशे के खिलाफ चल रही जंग में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी कूद पड़े हैं। पिछले दिनों प्रदेश में जिस प्रकार से चिट्टे की ओवरडोज से कई युवाओं की मौत हो गई है उसे देखते हुए सरकार को कोई बड़ा कदम उठाने की जरूरत महसूस की जा रही थी। चिट्टे के व्यापार में जिस प्रकार सरकारी कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई उससे प्रदेश में बड़ा बवाल उठना स्वभाविक था। पुलिस ने जिस प्रकार बड़े चिट्टा तस्करों के गिरेबान में हाथ डाला है वह यह बताने के लिए काफी था कि प्रदेश में नशे का धंधा किस कदर परवान चढ़ रहा है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने पुलिस विभाग को राज्य में नशे के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए आगामी छः माह में व्यापक अभियान चलाकर खत्म करने के निर्देश दिए हैं। पुलिस व अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने नशा तस्करों की कमर तोड़ देने के निर्देश दिए हैं। इस तरह की अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए। उन्होंने कहा है कि जिन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ नशा तस्करी के सबूत मिले हैं उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाएगा। नशा तस्करों के खिलाफ पीआईटी-एनडीपीएस (स्वापक औषधियों और मनः प्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार की रोकथाम) अधिनियम को अक्षरशः लागू करने की बात भी मुख्यमंत्री ने कही।      जारी

 

सोलन की ज्‍योति से खेल प्रेमियों को स्‍वर्ण पदक की आशा

     सोलन की ज्योति ठाकुर का चयन एक बार फिर भारतीय महिला कबड्डी टीम में हुआ है। भारतीय महिला कबड्डी टीम में ज्योति एक ऑलराउंडर खिलाड़ी के रूप में शामिल हुई है। उसके शानदार खेल से देश भर के कबड्डी प्रेमियों को आशा है कि वह एक बार फिर भारत की झोली में स्वर्ण पदक डालने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। एक संतुलित टीम में रेडर्स और डिफेंडर्स दोनों का ही काफी महत्व होता है। ज्योति ठाकुर से यह उम्मीद इसलिए भी लगाई जा रही है क्योंकि जब चीन में आयोजित एशियन गेम्स 2023 में भारतीय कबड्डी टीम को स्वर्ण पदक तक पहुंचने के लिए एक अंक की आवश्यकता थी। मैच देखने वाले दर्शकों के दिल की धड़कनें बढ़ी हुई थी। क्योंकि भारत और चीन दोनों 25-25 अंकों से बराबरी पर थे। ऐसे में विजयी अंक ज्योति ने ही प्राप्त किया था और भारत ने यह पदक संघर्षपूर्ण मुकाबले में 25 व 26 के अंतर से जीत लिया था। इसलिए उनकी भूमिका को काफी महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। ज्योति के खेल की खासियत यह है कि वह रेड डालने और डिफेंस करने में बहुत मजबूत है। यह दोनों पक्ष ही मैच को जिताने में कारगर साबित होते हैं। कंडाघाट (सोलन) उपमंडल की ग्राम पंचायत धंगील के गांव जखेड़ की रहने वाली ज्योति ठाकुर का एक बार फिर भारतीय महिला कबड्डी टीम में चयन हुआ है। जिससे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई है।     जारी

 

भारतीय अर्थ व्‍यवस्‍था बहुत बुरे दौर में

     शेयर बाजार में चल रही निरंतर गिरावट इस बात की ओर इशारा कर रही है कि भारतीय अर्थ व्यवस्था बहुत बुरे दौर में पहुंच गई है जहां से इसका उठना असंभव सा ही लगता है। इससे निवेशकों के मन में भारी बेचैनी है। पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली और सेंसेक्स 1414 अंकों (1.90 फीसदी) की गिरावट के साथ 73,198 के स्तर पर बंद हुआ। शेयर बाजार में निरंतर चल रही गिरावट से निवेशकों का कई लाख करोड़ रुपया डूब गया है। जिस दिन यह आंकड़ा रिकार्ड किया गया उस दिन निफ्टी भी 420 अंक (1.86 फीसदी) गिरकर 22,124 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 29 में गिरावट और केवल एक (एचडीएफसी बैंक) में तेजी रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 45 में गिरावट और केवल 1996 के बाद पहली बार लगातार पांच महीने गिरा बाजार। अक्तूबर 2024 से निफ्टी हर महीने गिरावट में बंद हुआ है। यह पांच महीने में 12 फीसदी गिर चुका है। पिछले पांच महीनों के दौरान निफ्टी 26 फीसदी गिरा था। गौर हो कि इन पांच महीनों में निवेशकों की वेल्थ 90 लाख करोड़ रुपए घट गई है। एनएसई के सभी सेक्टोरल इंडेक्स में गिरावट रही। शेयर बाजार में बिकवाली से निवेशकों की वेल्थ 8.95 लाख करोड़ रुपए घट गई। बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 384 लाख करोड़ रहा, जो पिछले दिन 393 लाख करोड़ था। इससे सब जह चिंता है।     जारी

 

सोलन समाचार

 

हिमाचल समाचार

रेन शैल्‍टर में फिर मिला एक शव, रैन बसेरा बेकार साबित

पाइपें चोरी करके भाग रहे ट्रक को पकड़ा

सोलन के पत्रकार संगठनों में भी जाली पत्रकारों को लेकर सुगबुगाहट

  जारी...

 

नालागढ़ में सही एंबुलेंस सेवा न होने पर भड़की वकील

छात्रवृति घोटाले में मामला कुर्क तक पहुंचा

ट्रंप के कहर की छाया हिमाचल प्रदेश के सेब तक पहुंची

  जारी...

सोलन (हिमाचल प्रदेश)

 

 

 

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