Home Page

पिछले वर्ष की बरसाती तबाही का खौफ पर्यटकों पर

तीन हजार से ज्‍यादा पर्यटकों ने बुकिंग कैंसिल करवाई...

     हिमाचल में पिछले वर्ष की बरसाती तबाही का खौफ अभी लोगों के मन से उतरा भी नहीं था कि इस बरसात ने भी कई स्थानों पर अपना रौद्र रूप दिखा दिया। हलांकि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष कुछ स्थानों पर ही भारी तबाही हुई है और प्रदेश सरकार तुरंत एक्शन मोड में भी आ गई है। पहाड़ों के दरकने का सिलसिला बरसात के साथ साथ जारी है। इससे हिमाचल प्रदेश में आने वाले पर्यटकों ने तो पहले से ही तौबा कर ली है।
     हिमाचल में इस बार भी प्राकृतिक आपदा के चलते पर्यटन कारोबार को फिर बड़ा झटका लगा है। पर्यटन स्थल सूने हो गए हैं। अब बरसात के बाद यह फिर आबाद हो पाएंगे इसकी गुंजाइश भी काफी कम है। क्योंकि बरसात के बाद मैदानी इलाकों में भी गर्मी का प्रकोप काफी कम हो जाता है। एक दिन ली गई रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में अब तक तीन हजार सैलानियों ने बुकिंग रद्द या होल्ड कर दी थी। इसके अलावा ट्रैकिंग ट्रिप पर जाने का कार्यक्रम भी सैलानियों ने स्थगित कर दिए हैं। पहाड़ों के दरकने की रिपोर्ट जिस प्रकार सोशल मीडिया में दिखाई जा रही है उससे टैªकिंग के शौकीन भी अपना कार्यक्रम रद्द करके बैठ गए हैं। बरसात के चलते हिमाचल में इन दिनों ऑफ सीजन होता है और पर्यटकों को हिमाचल की ओर लुभाने के लिए होटल उद्योग से जुड़ लोग कई प्रकार के प्रलोभन और रियायतें देते हैं। इसी वजह से इन दिनों में भी होटलों में 30 से 40 फीसदी तक एक्यूपेंसी रहती थी। इस बार बरसातों के बीच वीकेंड या छुट्टियों पर भी ऑक्यूपेंसी 10 फीसदी से कम रही है।
     मुख्य पर्यटन स्थालों जैसे शिमला, मनाली, धर्मशाला, मैक्लोडगंज, चंबा और डलहौजी में होटलों के कमरे खाली चल रहे हैं। होटल व्यवसायी बताते हैं कि सोशल मीडिया पर बाढ़ के वीडियो वायरल हो रहे हैं, ऐसे में पर्यटक हिमाचल का रुख क्यों करेगा। जबकि पिछले वर्ष की भारी तबाही में ही करीब 90 हजार पर्यटक हिमाचल में फंस गए थे। अब सैलानी हिमाचल आने से डर रहे हैं। टूरिस्टों ने ट्रैकिंग ट्रिप होल्ड कर दिए हैं। अब भारी बरसात के रुकने के बाद ही स्थिति सुधरने की उम्मीद की जा सकती है।
     बरसात में होटलों में एक-दो कमरे ही लग पा रहे हैं। होटल का स्टाफ भी सैलानियों को देखने के लिए तरस गया है। मालिकों को चिंता स्ताने लगी है कि वह अपने खर्चे किस प्रकार चलाएंगे। पिछले विनाश की खबरों से प्रदेश को फिर से पटरी पर लाने का कार्य काफी हद तक किया जा चुका था। लेकिन आजकल फिर वैसी ही खौफ की स्थिति बन गई है। ऑफ सीजन में सैलानियों को होटलों में 30 फीसदी तक छूट दी जाती है। यदि पर्यटक कुछ दिनों बाद भी अपना रुख होटलों की ओर करते हैं तो इस छूट को कुछ दिन और बढ़ाया जा सकता है। हिमाचल पर्यटन विकास निगम के अधिकारी बताया रहे हैं कि पर्यटन कारोबार काफी कम हो गया है। सैलानी अपनी बुकिंगस रद्द करवा रहे हैं।
     फिलहाल प्रदेश में 115 सड़कें, 225 बिजली ट्रांसफार्मर और 111 पेयजल योजनाएं प्रभावित चल रही हैं। एचआरटीसी के 82 रूट प्रभावित होते रहे हैं। मंडी में 46, कुल्लू में 38, शिमला में 15, कांगड़ा-सिरमौर में 6-6, किन्नौर में 3, लाहौल-स्पीति में एक सड़क ठप रही। प्राकृतिक आपदा से सेब उत्पादक जिलों शिमला, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी और चंबा में सेब उत्पादक क्षेत्रों की सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है। ऐसे में बागवानों के लिए अपनी उपज मंडियों तक पहुंचना चुनौती बना रहा। प्रदेश में करीब 178 मुख्य और संपर्क सड़कें पूरी तरह ठप रही हैं। मंडी जिला में सड़कें बाधित होने से मंडियों तक सेब, सब्जियों और नकदी फसलें नहीं पहुंच पाई हैं। ऐसे में पर्यटक हिमाचल में कैसे आ सकते हैं। अब बरसात कम हो रही है तो कुछ उम्मीद जगी है।

 
Home Page