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ग्रास साप्ताहिक, निर्मल निवास, सपरून, सोलन
(हि.प्र.)
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आनलाइन आवेदनों पर बेतुके ऑबजेक्शन लगा रहा है राजस्व विभाग
ऑनलाइन आवेदनों से और बिगड़ गई
व्यवस्था...
निजी संवाददाता
सोलन :
सोलन का राजस्व विभाग
आनलाइन आवेदनों पर अनावश्यक रोक लगाए बैठा है। पहले तो आनलाइन आवेदनों पर लंबे
समय तक जवाब ही नहीं दिया जाता है। जब जवाब दिया जाता है तो उस पर ऐसे ऑबजेक्शन
लगा दिए जाते हैं जिससे एहसाहस हो जाता है कि यह काम बिना रिश्वत दिए नहीं होगा
और तहसील के चक्कर अधिक लगाने होंगे।
पिछले दिनों सोलन शहर के एक पटवारी का दो लाख रुपए की
रिश्वत मांगने का मामले सामने आया। जाहिर है कि आवेदनकर्ता ने आनलाइन ही आवेदन
दिया होगा। इस बात की जांच की जानी चाहिए कि जब आनलाइन आवेदन करने और उसके
ऑबजेक्शन को दुरुस्त करने की प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है तो फिर पटवारी का
दो लाख रुपए रिश्वत लेने का मामला ऑफलाइन टेलीफोन पर कैसे शुरू हो गया।
इसके अलावा एक अन्य मामले में हिमाचली प्रमाण पत्र की
मांग करीब दो माह पूर्व लोकमित्र केन्द्र की सहायता से की गई थी। आवेदनकर्ता ने
आनलाइन अपनी जमीन की जमाबंदी हासिल कर ली थी। लेकिन हिमाचली प्रमाण पत्र मांगने
पर ऑबजेक्शन लगा दिया गया। उससे पूछा गया कि इस जमीन की रजिस्ट्री कब हुई थी।
जबकि यह जमीन तीन पुश्तों से आवेदनकर्ता के पास है और सोलन के राजस्व विभाग में
इसका सारा रिकार्ड वर्षों से दर्ज है। यह जांच होनी चाहिए कि बेतुके ऑबजेक्शनस
क्यों लगाए जाते हैं।
जब इस तरह के ऑबजेक्शनस राजस्व विभाग के पटवारी द्वारा
लगाए जाते हैं तो मंशा स्पष्ट हो जाती है कि पटवारी रिश्वत लिए बगैर आवेदनकर्ता
का काम नहीं करेगा। हुआ भी यही सोलन का पटवारी दो लाख रुपए की रिश्वत के चक्कर
में आ गया। लोग प्रश्न उठा रहे हैं कि सरकार ने आनलाइन आवेदन प्रक्रिया इसलिए
शुरू की है कि लोग आवेदन करने के बाद लोकमित्र केन्द्रों के चक्कर लगाते रहें
और विभाग अपने रिश्त खाने के लिए नए तरीके निकालता रहे। प्रदेश सरकार को आनलाइन
के साथ ऑफलाइन आवेदनों को भी स्वीकार करने के आदेश जारी करने चाहिए ताकि फिजुल
का समय बर्बाद न हो।
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सरकारी स्कूलों से प्रायवेट स्कूलों में जाने का दौर खत्म
नहीं हुआ
एक साल में ही एक लाख बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़े...
निजी
संवाददाता
सोलन :
हिमाचल की सुक्खू सरकार के लाख प्रयासों के
बावजूद सरकारी स्कूलों ने प्रायवेट स्कूलों में छात्रों के चले जाने का दौरा
खत्म नहीं हुआ है। सोलन में ही हजारों बच्चों ने सरकारी स्कूलों से अपना नाम
कटवाकर प्रायवेट स्कूलों में दाखिला ले लिया है। सरकार ने स्कूलों को बंद करने
का दौर तो शुरू कर रखा है लेकिन गुणवत्ता वाली शिक्षा पर शुरू से ही हिमाचल
सरकार का कोई ध्यान नहीं रहा है।
सोलन की तरह हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में तीन साल
के दौरान एक लाख विद्यार्थी घट गए हैं। साल 2022-23 के मुकाबले 2024-25 के
आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है। इस अवधि में 57,290 लड़कों और 46,368 लड़कियों ने
सरकारी स्कूल छोड़कर निजी संस्थानों में दाखिले लिए हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह
बताया जा रहा है कि सरकारी स्कूलों में अध्यापक ही नहीं हैं तो क्या बच्चे
सिर्फ सरकारी खिचड़ी खाने के लिए ही स्कूल जाएंगे।
सोलन के अलावा शिमला, मंडी और कांगड़ा जैसे शहरी जिलों और
कस्बों में यह प्रवृत्ति अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूल इसलिए चल
रहे हैं क्योंकि वहां प्रायवेट प्लेयर्स अच्छे स्कूल बनाने पर पैसा खर्च नहीं
करना चाहते हैं। जैसे ही किसी ग्रामीण क्षेत्र में प्रायवेट प्लेयर को गुंजाइश
नजर आती है तो वहां सरकारी स्कूल खाली हो जाते हैं। सरकार को यह बात समझ नहीं आ
रही है कि आखिर लोग प्रायवेट स्कूलों को ही प्राथमिकता क्यों दे रहे हैं। जबकि
इसका सीधा सा जवाब यह है कि जब तक सरकारी स्कूल प्रायवेट स्कूलों में मिल रही
सुविधाओं से आगे नहीं जाते हैं तब तक बच्चे प्रायवेट स्कूलों की ओर ही भागेंगे।
सरकार भले ही सीबीएसई पाठ्यक्रम ला रही है लेकिन पहले
अच्छे सरकारी स्कूल खोलने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए और सरकार ने किया ठीक
इससे विपरीत। सरकारी स्कूलों को ताबड़ तोड़ बंद तो कर दिया गया लेकिन इस बात पर
ध्यान नहीं दिया कि आखिर स्कूल बंद होने पर बच्चे जाएंगे कहां। अभिभावकों ने भी
परेशान होकर या फिर मजबूरी में अपने बच्चों का दाखिला प्रायवेट स्कूलों में
करवा दिया। सरकार जिस तरह से शिक्षा क्षेत्र में काम कर रही है उससे तो यही
आभास होता है कि एक दिन सारे सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे, इसमें बड़ी व्यवस्था
परिवर्तन जरूरी है।
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कांग्रेसी नेता तेजी में आए
निजी संवाददाता
सोलन : सुस्त पड़े
सोलन नगर के कांग्रेसी नेता तेजी में आ गए। नवनियुक्त प्रदेश कांग्रेस के
अध्यक्ष विनय कुमार अपना कार्यभार संभालने के लिए शिमला जाने से पहले सोलन
में रुके। उनका स्वागत करने के लिए कई नेता पहले से अधिक सक्रीय दिखे।
प्रदेश अध्यक्ष को अब सोलन जिला और सोलन नगर में भी
कांग्रेस के संगठन को खड़ा करना है। ऐसे में किसी भी पद को पाने के इच्छुक
नेताओं ने अध्यक्ष के समक्ष अपनी हाजिरी भरी। अटकले इस बात की लगाई जा रही
थी कि किस नेता को जिला या फिर सोलन नगर का अध्यक्ष बनाया जाएगा। फिलहाल
प्रदेश में कांग्रेस की कार्यकारिणी करीब दो वर्ष से भंग चली आ रही है।
मुख्यमंत्री के करीबियों ने तो अपनी नियुक्ति बोर्ड और निगमों में करवा ली
है लेकिन अब बाकि लोगों को आस है कि उन्हें संगठन में कोई अच्छा औधा मिल
सकेगा। देखना है कौन आगे बढ़ता है और कौन धड़ाम से गिरता है।
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