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पुलिस ने पूर्व की घटनाओं से सबक नहीं लिया
कल्पा में एक व्यक्ति को मौत के घाट उतार दिया...
निजी संवाददाता
शिमला
: हिमाचल प्रदेश में पुलिस के हाथों पिटने के बाद मौत हो जाने
का मामला कोई नया नहीं है। इससे पहले भी इस प्रकार की घटनाएं घटित हो चुकी
हैं लेकिन पुलिस ने इससे कोई सबक नहीं लिया है। अब ताजा मामला रिकांगपिओ
(कल्पा) में पिछले दिनों सामने आया है। पुलिस की मारपीट के बाद तेलंगी
निवासी किशोर कुमार की मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने एक पुलिस कर्मचारी
और होमगार्ड के एक जवान को गिरफ्तार किया है।
चश्मदीद जल शक्ति विभाग के कर्मी के बयान पर पुलिस ने केस
दर्ज कर छानबीन की थी। इस मामले में पुलिस कर्मी विक्रांत और गृहरक्षक
हरनाम को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके अलावा पुलिस ने कल्पा चौकी के
हवलदार राकेश और कमलेश को पुलिस लाइन में हाजिर होने का आदेश जारी किए हैं।
जलशक्ति विभाग कल्पा में कार्यरत नेपाल निवासी संगवीर ने रिकांगपिओ थाना
में एफआईआर करवाई थी। उसने बयान दिया था कि कल्पा चौकी में तैनात एक जवान
और होमगार्ड ने आठ अगस्त को किशोर कुमार पर हेलमेट से कई वार किए। 10 अगस्त
को उसकी घर में मौत हो गई।
पुलिस के अनुसार मृतक किशोर कुमार के शव की आईजीएमसी
शिमला के तीन डॉक्टरों की टीम ने जांच की। इसमें सामने आया कि किशोर की सिर
पर चोट लगने से मौत हुई है। मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद विक्रांत और हरनाम
को पुलिस ने गिरफ्तार किया। कल्पा पुलिस चौकी के दो पुलिसकर्मियों को इस
केस के निष्पक्ष जांच होने तक पुलिस लाइन में हाजिर कर दिया है। इन दोनों
पुलिस कर्मियों पर विभागीय जांच शुरू करने के आदेश दिए हैं। अब मेडिकल
रिपोर्ट आने के बाद 105 धारा लगाकर पुलिस ने कार्रवाई शुरू की है।
एसपी किन्नौर अभिषेक एस. ने बताया कि शिमला से मेडिकल
रिपोर्ट आने के बाद पुलिस जवान और होमगार्ड के जवान को गिरफ्तार कर लिया
है। पुलिस छानबीन में जुटी हुई है। पुलिस जांच एक ओर चलती रहेगी लेकिन यह
बात समझ से बाहर है कि पुलिस जब को जांच करती है तो इतनी खूंखार कैसे हो
जाती है कि किसी की भी जान ले ले। कोरोना काल से इस बात पर जोर दिया जा रहा
है कि पुलिस का इतना क्रूर रवैया बंद होना चाहिए। तब भी पुलिस ने लोगों को
बहुत बुरी तरह पीटा था। यही रवैया इस मामले में भी एक व्यक्ति की जान जाने
का कारण बन गया।
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सरकार ने शिक्षक पुरस्कार देने की प्रणाली को बदल दिया
विजेता शिक्षक को 100 अंकों की स्पर्धा पास करनी होगी...
निजी
संवाददाता
शिमला : अक्सर
विवादों में रहने वाले राज्य शिक्षक पुरस्कार को देने के लिए प्रदेश सरकार ने
इसके चयन की प्रक्रिया को ही बदल दिया है। सरकार को आशा है कि नई चयन प्रक्रिया
से अध्यापक वर्ग संतुष्ट हो जाएगा और वास्तव में काबिल शिक्षक को ही यह गौरव
प्रदान होगा। अब शिक्षक पुरस्कार कितना वास्तविक होगा और इसमें कितना भेदभाव
होगा, यह तो समय ही बताएगा। चयनित शिक्षकों को पांच सितंबर को राज्यपाल
सम्मानित करेंगे।
हिमाचल प्रदेश में इस बार राज्य स्तरीय पुरस्कार किस
शिक्षक को मिलेगा इसका फैसला विद्यार्थियों की परफार्मेस से तय होगा। पुरस्कार
के लिए आवेदन करने वाले शिक्षकों के मूल्यांकन की प्रक्रिया चल रही है। बच्चों
के मॉडल टेस्ट पेपर के माध्यम से ली जाने वाली परीक्षा के आधार पर शिक्षकों को
भी अंक मिलेंगे। इस कार्य को अंजाम जिला के उपनिदेशक करेंगे।
परीक्षा लेने के लिए जिला उपनिदेशकों की अध्यक्षता में
टीमें बनाई गई हैं। अंतिम चयनित शिक्षकों के शिक्षा सचिव साक्षात्कार भी लेंगे।
अब शिक्षा सचिव को बच्चों को पढ़ाने का कितना अनुभव है यह सभी जानते हैं। साथ ही
इस प्रक्रिया पर कितना सरकारी दबाव होगा यह कोई नहीं बता सकता है। पर सरकार ने
इस बार से राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कारों के लिए इस योजना को बदला है।
प्रदेशभर से करीब 150 शिक्षकों ने राज्य स्तरीय
पुरस्कारों के लिए आवेदन किया है। इनमें से 30 शिक्षकों का चयन किया जाना है।
इस बार शिक्षकों का चयन 100 अंकों के आधार पर होगा। जबकि सिर्फ 25 अंक
विद्यार्थियों की परफार्मेस के आधार पर दिए जाने की योजना है। बाकि 75 प्रतिशत
अंक तय करेंगे कि बच्चों की परफार्मेंस के लिए किस शिक्षक को पुरस्कार दिया
जाएगा। आगे छंटनी के बाद शॉर्टलिस्ट होने वाले शिक्षकों के स्कूलों में जाकर
विभागीय अधिकारी स्वयं आवेदनों में बताई गई उपलब्धियों को भी जांचेंगे। अंतिम
चयन शिक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी साक्षात्कार के आधार पर करेगी। यह
साक्षात्कार कितने अंक का होगा कोई जानकारी नहीं दी गई है। कहते हैं कि वार्षिक
परीक्षाओं में बेहतर परिणाम देने वाले शिक्षकों को इस बार प्राथमिकता दी जाएगी।
इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए प्रदेश से तीन शिक्षकों के नाम
भेजे गए हैं। प्रदेशभर से 24 शिक्षकों ने इसके लिए आवेदन किए थे। शिक्षा सचिव
की अध्यक्षता में हुई बैठक में नामों की छंटनी की गई।
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सरकार शिक्षकों की भर्ती टाल रही है
सरकार घंटों के हिसाब से शिक्षक रखने जा रही है...
निजी संवाददाता
शिमला
:
क्या सरकार शिक्षकों की भर्ती को टालना चाहती है। प्रदेश सरकार स्कूलों में
स्थायी शिक्षकों की भर्ती तो कर नहीं पा रही है और अस्थाई शिक्षक भर्ती कर
अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रही है। कहते हैं राज्य सरकार स्कूलों में
प्रति घंटे के हिसाब से शिक्षक भर्ती करने जा रही है। इसके लिए शिक्षा
विभाग को एक बार फिर प्रस्ताव तैयार करने के आदेश दिए गए हैं। किसी अध्यापक
के अवकाश पर जाने पर अस्थायी शिक्षकों का इंतजाम किया जा रहा है।
बताया यह भी जा रहा है कि इसके लिए स्कूल प्रिंसिपल और
हेडमास्टर को प्रति घंटे के हिसाब से अस्थायी शिक्षक को भुगतान करने के लिए
अधिकृत किया जाएगा। पिछले साल भी शिक्षा विभाग ने इस अस्थायी भर्ती पर मंथन
किया था। इस अस्थायी भर्ती का विरोध होने के कारण इसे स्थगित कर दिया गया
था। हिमाचल प्रदेश में 3400 सरकारी स्कूलों में एक मात्र शिक्षक है। इसके
अलावा 300 से ज्यादा स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं।
अस्थाई शिक्षक भर्ती को लेकर बार बार बवाल हो रहा है, फिर
भी सरकार स्थाई समाधान खोजने की बजाए फिर उसी दिशा में आगे बढ़ जाती है।
प्रदेश में बैचवाइज के आधार पर 2 हजार से ज्यादा टीजीटी और जेबीटी के पदों
को भरा गया है। कमीशन से भी इतने ही पदों को भरा जाना है। आखिर सरकार फिर
क्यों अस्थायी शिक्षक रखने पर अड़ी हुई है।
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प्री-नर्सरी टीचर भर्ती आफत
निजी
संवाददाता
शिमला : प्रदेश के
स्कूलों में प्री-नर्सरी टीचर भर्ती अब सुक्खू सरकार के लिए भी जी का जंजाल बन
गई है। यह भर्ती एनसीटीई द्वारा तय किए गए नॉर्म्स के हिसाब से होनी है। यदि
जयराम सरकार एनसीटीई के नियमों को पूरा करने वाले एनटीटी खोल देती तो प्रदेश
सरकार को इस पचड़ेबाजी में नहीं पड़ना पड़ा और अपने कदम बार बार पीछे नहीं हटाने
पड़ते।
अब कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद प्रारंभिक शिक्षा
निदेशालय बेकार के एलिजीबिलटी क्राइटेरिया तय करने में पहले की तरह जुट गया है।
उसके बाद इसे फिर से सरकार को भेजा जाएगा। अब सरकार फिर से तय करेगी कि इसमें
दो साल के डिप्लोमाधारकों की भर्ती कब तक होनी है। हिमाचल के 6297 सरकारी
स्कूलों में छोटे छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए अध्यापक भर्ती किए जाने हैं।
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ऋणों की ब्याज दर बढ़ी
निजी संवाददाता
शिमला
:
लोगों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से महंगाई कम करने का आश्वासन देने के
बावजूद देश के बैंकों ने अपने ऋणों की ब्याज दरें बढ़ानी शुरू कर दी हैं।
देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने सभी अवधि के लोन को
0.10 फीसदी महंगा कर दिया है। नई दरें 15 अगस्त से लागू हो गई हैं। हाल के
समय में यह तीसरी बार है जब बैंक ने कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ा दी हैं।
आरबीआई के गवर्नर ने अपनी पिछली प्रेस वार्ता में
देशवासियों से महंगाई को कम करने का आश्वासन दिया था और ब्याज की दरें न
बढ़ाने के बारे में कहा था। एसबीआई ने तो अपनी ब्याज दरें बढ़ा दी हैं और
अन्य बैंक भी इसे बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। एसबीआई ने बताया कि एक साल
के कर्ज पर ब्याज की दर अब 8.85 फीसदी के बजाय 8.95 फीसदी होगी। तीन साल की
दर 9.10 फीसदी और दो साल की 9.05 फीसदी तय की गई है।
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