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नकली व घटिया दवाएं बनाने से बाज नहीं
आ रहे हैं दवा निर्माता
कानों में रुई डालकर मजे से सोया है
स्वास्थ्य विभाग
निजी संवाददाता
सोलन (बददी) : एक ओर जहां बीबीएन के 300 फार्मा उद्योगों के बंद होने की खबरें
चल रही हैं वहां कई फार्मा उद्योग घटिया और नकली दवाएं बनाने से बाज नहीं आ रहे
हैं। प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के कान तब खड़े होते हैं जब बाहरी राज्यों में
जांच के बाद बीबीएन में बनी नकली दवाएं पकड़ी जाती हैं।
अब एक ताजा मामला प्रकाश में आया है कि औद्योगिक क्षेत्र बद्दी के तहत काठा
स्थित वाईएल फार्मा में नकली और अवैध दवाओं के निर्माण हो रहा है। दवा नियंत्रण
प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए फार्मा कंपनी के पार्टनर को गिरफ्तार कर लिया।
अदालत ने आरोपी को चार दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया था। आरोप है कि इस
यूनिट में न सिर्फ घटिया और नकली दवाइयां बनाई जा रही थीं बल्कि कई उत्पाद एक
फर्जी कंपनी के नाम पर पैक कर बाजार में भेजे जा रहे थे।
इसका खुलासा तब हुआ जब राजस्थान ड्रग्स कंट्रोलर ने वाईएल फार्मा द्वारा
निर्मित लेवोसेटिरीजीन (विन्सेंट एल.) टैबलेट को नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी
घोषित कर इसकी बद्दी में फार्मा कंपनी को पाया। इस नकली दवाओं के गोरख घंघे का
खुलासा भी राजस्थान से हुआ है। जबकि हिमाचल का स्वास्थ्य विभाग और ड्रग
कंट्रोलर का कार्यालय कानों में रुई डालकर सो रहा है। इस विस्फोट के बाद राज्य
ड्रग कम्ट्रोलर ने कहा कि आदेशों की अवहेलना, रिकॉर्ड न रखना और नकली दवाओं का
निर्माण जनता की स्वास्थ्य-सुरक्षा पर सीधा प्रहार है। हर बार की तरह विभाग ने
पुराने प्रिंट के आदेश जारी कर दिए हैं। फार्मा उद्योग से जुड़े संगठन लाख
दलीलें अपने पक्ष में देते रहें लेकिन उनके पास इस बात का जवाब नहीं है कि
हिमाचल में बनी नकली दवाएं सबूत सहित बाहरी राज्यों में क्यों पकड़ी जा रही है
जबकि हिमाचल में उन्हें कोई खतरा नहीं है।
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