सुप्रीम कोर्ट ने नीट पूरी तरह रद्द
करने से किया इंकार
सुधार के लिए सरकार को दिए जरूरी
आदेश...
निजी संवाददाता
शिमला : सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रश्नपत्र लीक की चिंताओं के बीच उसने
राष्ट्रीय पात्रता-सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) 2024 इसलिए रद्द नहीं
की क्योंकि इसकी शुचिता में व्यवस्थागत चूक नहीं पाई गई है। यह मामला देश भर
में काफी चरचा में रहा था। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेवी
पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र की पीठ ने पिछले दिनों सुनाए गए आदेश के
विस्तृत कारणों में कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को अपना ढुलमुल
रवैया बंद करना चाहिए क्योंकि यह छात्रों के हित में नहीं है।
नीट यूजी 2024 में पेपर लीक सिर्फ पटना और हजारीबाग तक ही सीमित था। पीठ ने कई
निर्देश जारी किए तथा एनटीए के कामकाज की समीक्षा करने और परीक्षा सुधारों की
सिफारिश करने के लिए केंद्र की ओर से इसरो के पूर्व प्रमुख के राधाकृष्णन की
अध्यक्षता में गठित समिति के दायरे का विस्तार किया। साथ ही समिति से परीक्षा
प्रणाली में कमियों को दूर करने के लिए विभिन्न उपायों पर अपनी रिपोर्ट 30
सितंबर तक प्रस्तुत करने को भी कहा है।
पीठ ने 23 जुलाई के अपने फैसले में नीट परीक्षा दोबारा कराने की गुहार ठुकरा दी
थी। पीठ ने अपने विस्तृत फैसले में कहा कि उपलब्ध तथ्यों से पता चलता कि
परीक्षा में कोई प्रणालीगत उल्लंघन नहीं हुआ कि परीक्षा रद्द कर दोबारा कराने
का आदेश दिया जाए। कोर्ट इस निष्कर्ष पर भी पहुंची है कि प्रश्न पत्र सार्वजनिक
होने की घटनाएं केवल पटना और हजारीबाग तक ही सीमित थी। प्रश्नपत्रों का कोई
व्यवस्थित तौर पर दुरुपयोग नहीं हुआ है। नीट-यूजी परीक्षा आयोजित करने के लिए
निष्पक्ष, पूर्णतः सुरक्षित, पारदर्शी और मजबूत प्रणाली सुनिश्चित करने का
निर्देश दिया। पीठ ने यह भी कहा कि विशेषज्ञ समिति को परीक्षा प्रणाली की
कमियों को दूर करना चाहिए। इसके अलावा पीठ ने कहा कि यदि किसी छात्र को फैसले
में हल किए गए मुद्दों से संबंधित किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत शिकायत है, तो
वह संबंधित उच्च न्यायालयों में जाने के लिए स्वतंत्र होगा।
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