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हिमाचल के आईएएस अफसरों ने केन्द्र के कोर्स
से मुंह मोड़ा
केन्द्र सरकार ने हिमाचल को चेतावनी भरा पत्र
भेजा
विशेष संवाददाता
शिमला
: हिमाचल प्रदेश के आईएएस अधिकरियों ने केन्द्र सरकार के एक प्रशिक्षण
कार्यक्रम से अपना मुंह पीछे मोड़ लिया है। इस प्रशिक्षण के लिए एक्कादुक्का
अधिकारियों ने ही हामी भरी है। केन्द्र में मोदी सरकार विराजमान है और कहते हैं
वह जो करना चाहती है वह किसी भी कीमत पर कर देती है। अब केन्द्र सरकार के
कार्मिक मंत्रालय ने हिमाचल के आईएएस अधिकारियों को केन्द्र सरकार द्वारा
निर्धारित प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने की हिदायत जारी की है।
अमूमन माना जाता है कि आईएएस करने के बाद आईएएस अफसर देश को चलाने वाली
ब्यूरोक्रेसी की क्रीम होते हैं और उन्हें किसी प्रकार का ज्ञान व प्रशिक्षण
देना उनकी तौहीन करने के समान है। हलांकि इस बात में कितना दम है यह आज देश के
हालात स्पष्ट रूप से बता रहे हैं कि आईएएस अधिकारी देश को भारत के संविधान के
अनुसार चलाने में पूरी तरह से फेल हो चुके हैं और उन्हें बीच बीच में कड़े
प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता है। अब मौजूदा केन्द्र सरकार उन्हें कैसा
प्रशिक्षण देना चाहती है यह तो वही जानती होगी।
फिलहाल केंद्र सरकार के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम के प्रति हिमाचल
प्रदेश के आईएएस अधिकारियों की बेरुखी खुलकर सामने आ गई है। केन्द्र सरकार के
कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय की ओर से देश भर के सभी अखिल भारतीय सेवाओं के
अधिकारियों के लिए शुरू किए गए अनिवार्य ऑनलाइन कोर्स में राज्य के अधिकांश
आईएएस अफसर अपना पंजीकरण तक नहीं कर पाए हैं। मंत्रालय ने राज्य सरकार को इस
मामले में रिमाइंडर भेजते हुए सख्त रुख अपनाने के संकेत भी दिए हैं।
केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय ने मिशन कर्मयोगी की पहल में देशभर के आईएएस,
आईपीएस, आईएफएस और अन्य केंद्रीय सेवाओं के अधिकारियों के लिए अनिवार्य
ई-लर्निंग कोर्स शुरू किए हैं। इन कोसों का उद्देश्य प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना,
नई तकनीकी और नीतिगत चुनौतियों से निपटने की तैयारी करवाना तथा निरंतर सीखने की
भावना को प्रोत्साहित करना है। मंत्रालय का स्पष्ट निर्देश है कि प्रत्येक
अधिकारी को वर्ष में कम से कम निर्धारित संख्या में ऑनलाइन मॉड्यूल पूरे करने
होंगे।
मंत्रालय ने जुलाई 2025 में प्रदेश सरकार को पत्र भेजकर सभी अधिकारियों को नई
व्यवस्था से अवगत करवाया था। इसके बावजूद आईएएस अधिकारी आगे नहीं आए। केवल
गिनती के अफसर ही प्लेटफॉर्म पर लॉगइन कर मॉड्यूल पूरे कर पाए हैं। अब
केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय ने राज्य कार्मिक मंत्रालय के सख्त रुख का रिमाइंडर
भेजा है और कहा है कि भविष्य में ऐसे अधिकारियों की वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन
रिपोर्ट पर इसकी अनदेखी को नकारात्मक रूप में दर्ज किया जा सकता है। राज्य
सरकार को केंद्र से प्राप्त रिमाइंडर मिलने के बाद मुख्य सचिव कार्यालय ने इस
मुद्दे पर विभागवार स्थिति रिपोर्ट मांगी है। हर विभाग से यह जानकारी मांगी गई
है कि कितने अधिकारियों ने कर्मयोगी प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण किया है।
पत्र में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि अधिकारी निर्धारित समय में कोर्स नहीं
करते हैं तो इसे अनुशासनहीनता के रूप में देखा जाएगा। केंद्र और राज्य स्तर पर
प्रशिक्षण के नए मापदंड तय किए जा रहे हैं जिनके तहत ऑनलाइन मॉड्यूल पूरा करना
प्रमोशन और पदोन्नति के मूल्यांकन में भी एक मानक माना जाएगा। अब देखना यह है
कि हिमाचल के आईएएस अधिकारी केन्द्र सरकार के प्रति क्या रुख अपनाते हैं।
केन्द्र ने आईएएस अधिकारियों की लगाम कस दी है।
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