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हरियाणा व जेके चुनाव

विशेष संवाददाता

     शिमला : भारतीय चुनाव आयोग ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तिथियों का ऐलान कर दिया है। केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्तूबर को मतदान होगा। चुनावों के परिणाम चार अक्तूबर को निकलेंगे। पिछली बार हरियाणा के साथ हुए महाराष्ट्र के चुनावों को इस बार आगे खिस्का दिया गया है।
     भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 व 35-ए के खत्म होने के दावे के बाद और पुराने जम्मू-कश्मीर को विभाजित करने के बाद केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर के उस हिस्से में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, जहां केन्द्र शासित प्रदेश के साथ विधानसभा का प्रावधान मोदी सरकार ने किया था। इन चुनावों को सरकार की अग्निपरीक्षा माना जा रहा है। हाल के लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में 1980 के बाद पहली बार पांच चुनाव क्षेत्रों में 58 फीसदी मतदान हुआ था।
     उधर हरियाणा में एक ही चरण में सभी 90 सीटों पर एक अक्तूबर को मतदान होगा। राज्य में इस बार मतदान व मतगणना दोनों 20 दिन पहले हो रहे हैं। जबकि 90 ही सीटों वाले जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में क्रमशः 24, 26 व 40 सीटों पर मतदान हो रहा है। पिछली बार हरियाणा के साथ महाराष्ट्र के चुनाव भी एक साथ हो गए थे। लेकिन इस बार महाराष्ट्र में चुनाव हरियाणा के बाद होंगे। राजनैतिक पंडितों का कहना है कि भाजपा की हालत हर राज्य में काफी खराब है इसलिए चुनाव आयोग केन्द्र सरकार को लाभ पहुंचाने के लिए एक साथ चारों राज्यों और उत्तर प्रदेश की दस खाली हुई सीटों पर चुनाव नहीं करवा रहा है। जबकि इन दस सीटों पर चुनाव के लिए बहुत बड़ी मश्क्कत करने की जरूरत भी नहीं है।
     मुख्य चुनाव आयुक्त की ओर से चुनाव एक साथ न करवाने के लिए पूछे गए प्रश्न पर वह कहते हैं कि महाराष्ट्र में बाढ़ और गणपति पूजा के कारण चुनाव इन चुनावों के साथ नहीं हो रहे हैं। विपक्ष चुनाव आयोग के इस कथन की खिल्ली उड़ा रहा है। सभी जानते हैं कि सितंबर में बरसात पूरी तरह से खत्म हो जाती है और पहले भी एक साथ चुनाव हुए हैं। विपक्ष को चुनाव आयोग की मिली भगत दिखाई दे रही है और वह किसी गड़बड़ी की संभावनाएं जता रहे हैं।

 
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