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लोगों की नजरें मुख्य न्यायधीश पर सुप्रीम कोर्ट के 52वें चीफ जस्टिस होंगे बी.आर. गवई...
अब यूपी में बुल्डोजर एक्शन पर रोक लगाने वाले जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (बी.आर. गवई) देश के 52वें चीफ जस्टिस बनने जा रहे हैं। वह मौजूदा सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना की जगह लेंगे और 14 मई, 2025 को अपना कार्यभार संभालेंगे। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल बतौर मुख्य न्यायधीश बहुत छोटा रहा है लेकिन उनके समक्ष जो मामले आए उसमें उन्होंने भारत के संविधान का मान बढ़ाने वाले रुख को पकड़े रखा। जस्टिस गवई का कार्यकाल 23 नवंबर, 2025 तक रहेगा। लोगों को जस्टिस गवई से भी आशा है कि वह भारत के संविधान की डगर से कानून को एक इंच भी हिलने नहीं देंगे। वह देश के दूसरे दलित चीफ जस्टिस होंगे। इनसे पहले जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन भी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। यह भी मना जा रहा है कि जस्टिस गवई के समक्ष बड़ी संवैधानिक जिम्मेदारियां होंगी, क्योंकि जिस प्रकार की याचिकाएं चरचा में हैं उसमें न्याय के लिए दमदार न्यायधीश की भूमिका बहुत बड़ी हो गई है। जस्टिस गवई को सोशल जस्टिस से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण फैसलों के लिए जाना जाता है। जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर, 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उनके पिता आर.एस. गवई एक प्रसिद्ध राजनेता थे, जो रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) से सांसद और बाद में राज्यपाल भी रहे। जस्टिस गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने यूपी में बुल्डोजर एक्शन पर रोक लगाने वाला फैसला सुनाया था। बुल्डोजर को बुलडोज करने वाले उनके फैसले ने यह बात देश के सामने रख दी है कि वह सामाजिक न्याय को प्राथमिकता देंगै। जिस प्रकार से पिछले कुछ वर्षों में सुप्रीम कोर्ट की छवि को जो धक्का लगा है उसे सुधारने में जस्टिस गवई अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। अब विवाद में रहे मुख्य न्यायधीशों का नाम लिया जाना उचित नहीं है, क्योंकि मौजूदा समय में न्यायपालिका आगे बढ़ चुकी है और उसे अब आधुनिक काल में चुनौतियों के साथ आगे बढ़ना है। |
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