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जिन्‍हें कांग्रेस खत्‍म नहीं कर सकी उन्‍हें मोदी ने खत्‍म कर दिया

कांग्रेस में 90 फीसदी स्‍लीपर सेल या नालायक लोग...

     जिन छोटे राजनैतिक दलों को कांग्रेस पिछले दो तीन दशकों से खत्म नहीं कर पाई उन्हें टीम मोदी ने येन केन प्रकारेण खत्म कर दिया। सभी जानते हैं कि कांग्रेस के वोट बैंक की ताकत पर ही विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय दल हावी प्रभावी हो गए थे। अब भी यदि कांग्रेस अपने पुराने जनाधार को वापस प्राप्त नहीं कर पाती है तो यह मान लिया जाना चाहिए कि कांग्रेस अपनी पारंपरिक राह भटक चुकी है और अब उसमें लड़ने का मादा बचा नहीं है।
     कहते हैं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के पुराने जनाधार को प्राप्त करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है लेकिन उनकी योजनाएं परवान नहीं चढ़ पा रही हैं। इसके लिए मौजूदा कांग्रेस तरह तरह के प्रयोग भी कर रही है पर असफलता उनके साथ चिपकी हुई है। इसका कारण अब यह भी बताया जा रहा है कि अब भी कांग्रेस के भीतर 90 फीसदी लोग भाजपा के स्लीपर सेल बनकर बैठे हुए हैं। जो सिर्फ पदों पर कब्जा किए हुए हैं और विरोधियों पर ऐसे नहीं टूटते हैं जैसे एक कांग्रेसी को टूटना चाहिए।
     कांग्रेस को देखकर लगता है कि वह अपनी विचार धारा को पूरी तरह खो चुकी है। कांग्रेस का इतिहास पढ़ लें और फिर तुलना कर लें कि कांग्रेस की विचारधारा क्या कहती है और मौजूदा कांग्रेस के छोटे से बड़े नेता क्या बोलते हैं। कह सकते हैं कि कांग्रेस अब नकलचियों की पार्टी बनकर रह गई है। उसकी विरोधी पार्टी भाजपा जो कहती करती है, कांग्रेसी भी वहीं करने लग जाते हैं। तब लगता है कि मौजूदा कांग्रेस में कहने को तो कांग्रेसी नेता तो बहुत हैं लेकिन वह सब कांग्रेस के विचार से कोसों दूर हैं।
     अब यह जांच का विषय है कि कांग्रेस के नेता जानबूझकर कांग्रेस का पक्ष विचारधारा के अनुुरूप नहीं रख पा हैं या फिर उनकी लगाम किसी और के हाथ में है। ऐसे लोगों को ही कांग्रेस के भीतर भाजपा के स्लीपर सेल कहा जाता है। इसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेता से लेकर मुख्यमंत्री और पूर्व केन्द्रीय मंत्री तक शामिल हैं। यहां एक बात और कही जा सकती है कि कांग्रेस ने लाखों ऐसे कांग्रेसियों को जिम्मेदार पदों का तोहफा थमा दिया है, जिसके वह बिलकुल भी काबिल नहीं हैं। यदि कोई अज्ञानी जो भाजपा के स्लीपर सेल का हिस्सा भी नहीं है और पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी उठा रहा है तो वह भी कांग्रेस को बड़ा नुक्सान पहुंचा रहा है, जिससे निजात पाना कांग्रेस के लिए जरूरी है।
     कांग्रेस को चाहिए कि पंचायत से लेकर प्रधानमंत्री तक में यह बात ढंूढे कि जिसे वह जिम्मेदारी सौंपने जा रहे हैं उसके भीतर कांग्रेस नाम की कोई चीज किसी भी स्तर की है भी या नहीं। ऐसे में कांग्रेस भाजपा से तो बाद में टकराना होगा, पहले अपने भीतर के उन लोगों से टकराना होगा जो किसी काम के नहीं हैं। इसके लिए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को एक ऐसी टीम बनानी होगी जो कांग्रेस के विचार को हर स्तर पर मंथन करने के काबिल हो, तब जाकर कांग्रेस लोगों के बीच जाकर कांग्रेस के विचारवान लोगों को आमंत्रित करने की ताकत प्राप्त कर सकेगी।
     टीम मोदी ने कांग्रेस का काम काफी आसान कर दिया है। क्योंकि उसने उन क्षेत्रीय छत्रपों को खत्म कर दिया है जो कांग्रेस को खाकर मोटे हो गए थे। लेकिन कांग्रेस का वोट बैंक आज भी उनके पास है। इस वोट बैंक को कांग्रेस फिर से वापस प्राप्त कर सकती है। लेकिन मौजूदा कांग्रेस की टीम इसके बिलकुल भी काबिल नहीं है, क्योंकि उन्हें कई अवसर मिले लेकिन वह कुछ नहीं कर पाए। अब कांग्रेस को नए विचार और नई टीम से आगे बढ़ना चाहिए। जब तक भाजपा की उदंड राजनीति देश पर हावी है तब तक कांग्रेस के पास समय है कि वह अपने लिए वैसे टीम तैयार कर ले जैसी टीम महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल ने तैयार की थी। सभी जानते हैं कि नेहरू परिवार इसके लिए प्रर्याप्त नहीं है।

 
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