मोदी सरकार बन तो गई, टिकेगी कब तक
एनडीए में क्या खिचड़ी पक रही है...
विशेष संवाददाता
शिमला :
तमाम शेर शराबे, झूठ फरेब के बीच वर्ष 2024 का आम लोकसभा चुनाव संपन्न हो गया।
केन्द्र में फिलहाल मोदी सरकार तो बन गई है, पर टिकेगी कितना इस पर असमंजस बना
हुआ है। अबकी बार 400 पर के नारे पर तो चुनाव परिणाम वाले दिन ही विराम लग गया
था। लेकिन अब मोदी के संरक्षण में चल रहा एनडीए भी 272 पूर्णबहुमत के आंकड़े तक
टिका रह जएगा इस पर निरंतर संश्य बना हुआ है। इस चुनाव में अकेले भाजपा 240
सीटों तक नहीं पहुंच पाई और एनडीए को कुल 295 सीटें मिली हैं, जो बहुमत के
आंकड़े को छू रही है।
कहते हैं 295 वाली एनडीए में ही कई प्रकार की खिचड़ी पक
रही है। यह खिचड़ी बिहार के नितीश कुमार और आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू की
हांड़ी में ही नहीं पक रही है। भाजपा के भीतर भी एक नए प्रकार की खिचड़ी पक रही
है। कहते हैं इस खिचड़ी में रायता न फैल जाए इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
ने भाजपा सांसदों की बैठक भी नहीं बुलाई है। भाजपा की हांड़ी में क्या पका है इस
बात का खुलास उस दिन होगा जब भाजपा के सभी निर्वाचित सांसद आपस में बैठेंगे।
आखिर कभी न कभी तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भाजपा सांसद दल की बैठक
बुलानी तो पड़ेगी ही। अभी तक तो फिलहाल यही बताया जा रहा है कि भाजपा के सांसदों
में भी काफी आक्रोश भरा पड़ा है। तभी टीम मोदी ने भाजपा का प्रतिनिधित्व करते
हुए घटक दलों के साथ बैठक करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फिर से अपना नेता
चुन लिया और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने उन्हें तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की
शपथ दिलवा दी। हलांकि अभी उन्हें लोकसभा में अपना बहुमत प्रदर्शित करना है।
शपथ ग्रहण करते ही प्रधानमंत्री मोदी ने फिर से लगभग वही
मंत्रिमंडल बना दिया जैसा उन्होंने मोदी सरकार के समय बनाया हुआ था। कई लोगों
ने कहा कि अब यह मोदी सरकार नहीं है एनडीए की सरकार है। इसका अंजाम क्या होगा
यह कुछ ही दिन बाद सामने आ जाएगा जब मोदी अकेले अपने दम पर 272 सांसदों का
जुगाड़ा अपने पक्ष में येनकेन प्रकारेण कर लेंगे या फिर खिचड़ी पकाने वाले पूरा
रायता फैलाकर मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाकर ही दम लेंगे।
लोकसभा का अध्यक्ष पद को लेकर भी सरकार और गठबंधन में
काफी बड़ी दरार देखने को मिली है। लगता तो यह है कि यह चिंगारी शोला बनकर पूरी
मोदी सरकार को ध्वस्त कर देगी या फिर मोदी कोई ऐसा खेल खेलेंगे कि उनके सभी
विरोधी पूर्व की तरह घुटनों के बल आ जाएंगे। कुलमिलाकर मौजूदा मोदी सरकार के
लिए बहुमत का दिन बहुत ही जोखिम भरा होगा ओर यदि मोदी इस जोखिम को पार कर गए तो
फिर बाजी एक बार फिर उनके हाथ में पहले की तरह आ जाएगी जहां वह स्वतंत्र रूप से
अपनी मजी्र के निर्णय लेने लगेंगे। देखना है मोदी सरकार का ऊंट किस करवट बैठता
है।
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