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गली मुहल्ले से एनटीटी करने वालों को नौकरी नहीं
एनटीटी डिप्लोमा एनसीटीई से मान्यता प्राप्त होना चाहिए...
निजी संवाददाता
शिमला
: गली मुहल्लों से एनटीटी डिप्लोमा करने वालों को हिमाचल सरकार अपने
स्कूलों में स्थान नहीं देगी। सरकारी स्कूलों में भरे जाने वाले एनटीटी के
पदों के लिए 2 साल का डिप्लोमा अनिवार्य होगा। इसके साथ ही यह यह शर्त भी
अनिवार्य की गई है कि डिप्लोमा नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई)
से मान्यता प्राप्त संस्थान से हासिल किया हुआ होना चाहिए। इसके साथ एनटीटी
शिक्षक भर्ती के लिए 12वीं कक्षा में 50 प्रतिशत अंक होने चाहिए।
पिछले कई वर्षों से प्री-प्राइमरी स्कूल के अध्यापकों की भर्ती नहीं हो पा
रही थी। जबकि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत यह भर्तियां करना अनिवार्य था।
पिछली जयराम सरकार ने भी इसके लिए काफी प्रयास किए लेकिन मान्यता प्राप्त
संस्थान से डिप्लोमा प्राप्त एनटीटी अध्यापक नहीं मिल रहे थे। तब प्रदेश
में एनसीटीई से मान्यता प्राप्त एक भी एनटीटी संस्थान नहीं था। अब यह पद
कैसे भरे जाएंगे इसमें अभी भी संशय बना हुआ है। अनुमान यह भी है कि प्रदेश
में जिसके पास भी मान्यता प्राप्त डिप्लोमा होगा उसकी नौकरी लगना तय है।
इस मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह निकल कर आ रही है कि जो शिक्षक
नियुक्त होंगे और भारी जिम्मेदारी से छोटे छोटे बच्चों को पढ़ाएंगे,
प्रारंभिक शिक्षा विभाग उनका कोई दायित्व लेने को तैयार नहीं है। शिक्षा
विभाग व इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऐसे अभ्यार्थियों के ही आवेदन मांगेंगे
जिन्होंने 2 साल का अर्ली चाइल्डहुड का डिप्लोमा किया होगा। एससी, एसटी,
ओबीसी, पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों के लिए योग्यता अंकों में 5 प्रतिशत की छूट
रहेगी। 21 से 45 वर्ष इसके लिए आयु सीमा रखी गई है। प्रदेश में एनटीटी
शिक्षक भर्ती पर फिलहाल कोई रोक नहीं रह गई है।
अब इसी माह से एनटीटी के 6297 पदों को भरा जाएगा। साथ शिक्षा मंत्रालय
हिमाचल सरकार ने भी स्कूलों में एनटीटी के पदों को इसी माह भरने के आदेश
दिए हैं। अब प्री-नर्सरी कक्षाओं वाले स्कूलों में भर्ती किए जाने वाले
एनटीटी शिक्षकों को प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा प्रशिक्षक का
पदनाम दिया है। अब प्रारंभिक शिक्षा विभाग स्कूल वाइज वैकेंसी देगा। इस
महीने के अंतिम सप्ताह तक इसके लिए आवेदन मांग लिए जाएंगे हालांकि ये
भर्तियां कंपनियों के माध्यम से ही करवाई जाएंगी। आवेदकों के डिप्लोमा और
अन्य कागजातों की जांच स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन करेगा।
सरकार ने छोटे बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था तो कर दी है,
देखते हैं आगे क्या होता है।
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आखिर कितना राजस्व निचोड़ेगी हिमाचल सरकार शराब से
पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी नेगोसिएशन का सहारा...
निजी
संवाददाता
शिमला : आखिर हिमाचल प्रदेश सरकार शराब से कितना राजस्व निचोड़ेगी। पिछले कई
वर्षों से देखा जा रहा है कि शराब के ठेकों की नीलामी 31 मार्च को पूरी नहीं हो
पा रही है। इसकी वजह यह बताई जाती है कि सरकार शराब से इतना अधिक राजस्व कमाना
चाहती है जो अब शराब कारोबारियों के बस में नहीं रह गया है। यही वजह है कि कई
ठेकेदार वर्ष के अंत तक सरकार को पूरे पैसे नहीं दे पाते हैं।
इस वर्ष भी हिमाचल प्रदेश का आबकारी विभाग फिलहाल अपने टारगेट से काफी दूर है
क्योंकि टारगेट पिछले वर्ष के मुकाबले इतना अधिक बढ़ा दिया गया है कि शराब के
ठेकों को कोई कारोबारी लेने को तैयार नहीं है। प्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति
के तहत 31 मार्च के बाद तक राज्य कर एवं आबकारी विभाग सभी जिलों में शराब ठेकों
की नीलामी का काम पूरा नहीं कर पाया था। कहते हैं कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष
भी विभाग शराब कारोबारियों के साथ नेगोसिएशन की और फिर प्रदेश के सभी ठेकों की
नीलामी को अंजाम दिया जा सका। रविवार छुट्टी के दिन भी शिमला और कांगड़ा जिले
में शराब ठेकों की नीलामी का दौर जारी रहा, लेकिन फिर भी कई शराब ठेकों को
नीलाम नहीं किया जा सका।
मंडी और कुछ अन्य जिला में भी शराब ठेकों की नीलामी निर्धारित समय में सभी
क्षेत्रों में पूरी नहीं हो पाई थी। एक जानकारी के अनुसार इस साल की आबकारी
नीति के तहत सरकार ने 200 से 250 करोड़ रुपए तक का इजाफा करने की शर्त रखी हुई
है। जबकि पिछले वर्ष भी सरकार की शर्त को 31 मार्च तक अंजाम नहीं दिया जा सका
था। पिछले साल 2600 करोड़ के आसपास का राजस्व जुटाने का दावा किया जा रहा था। इस
बार सरकार ने नई नीति के तहत आबकारी विभाग को 2850 करोड़ रुपए तक राजस्व जुटाने
का लक्ष्य दिया है।
कई स्थानों पर उम्मीद थी कि शराब के ठेकों की नीलामी ज्यादा रेट में हो जाएगी
लेकिन ऐसा नहीं हो पाया, इससे भी विभाग फिर पसोपेश में पड़ा रहा। सबसे बड़े इलाके
जिनमें शिमला जिला भी है में शराब के ठेकों की नीलामी का दौर कई दिनों बाद भी
पूरा नहीं हो पाया। कांगड़ा जिला में भी शराब ठेकों की नीलामी कई दिनों तक चलती
रही।
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भयंकर तूफान और बारिश से भारी नुक्सान
सात जिलों को प्रभावित किया आंधी-तूफान ने...
निजी संवाददाता
शिमला
:
पिछले दिनों मध्य रात्रि में प्रदेश के कई हिस्सों में भयंकर तूफान
और भारी बारिश से कई जगह से भारी नुकसान की सूचना मिली है। करीब 11 बजे
शुरू हुए तूफान ने शिमला सोलन, कांगड़ा, हमीरपुर और मंडी समेत प्रदेश के
लगभग आधा दर्जन जिलों में अपना रौद्र रूप दिखाया।
कई जगह पेड़ उखड़ गए। शादी के टेंट उखड़ गए। लोगों के घरों की टीनों की छतें
उड़ गई। कांगड़ा शहर में दो कारों को नुकसान पहुंचने की सूचना है। कांगड़ा के
पास ही कच्छियारी में तीन पेड़ गिरने से यातायात लगभग डेढ़ घंटा ठप्प रहा,
आसपास के लोगों ने पेड़ काटने के बाद लगभग 11 बजे रास्ता खोला। यही हाल
प्रदेश के कई और हिस्सों का भी रहा है। धर्मशाला के आसपास भी तूफान से
नुकसान की सूचना है। ऊना के गगरेट में भी एक-दो जगह बिजली के खंभे टूटने से
तारें सड़कों पर गिर गईं।
हिमाचल के उन हिस्सों में इस तूफान और बारिश का बहुत बुरा असर पड़ा है जहां
गेंहूं की फसल कटने को तैयार पड़ी है। हलांकि कुछ कृषकों के लिए यह बरसात
काफी लाभदायक बताई जा रही है, वह अपनी नई फसल की बुआई शुरू कर सकेंगे।
बरसात की तो किसानों को जरूरत रहती है लेकिन जिस प्रकार का तूफान इस बारिश
के साथ आया उसने बहुत नुक्सान किया है। हलाकि इस तूफान से होने वाले
नुक्सान का जायजा लिया जा रहा है।
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किराए के दफ्तर बदलेंगे
निजी
संवाददाता
शिमला : राजधानी शिमला से उन विभागों के दफ्तरों को कहीं और भेजा जा सकता है जो
अभी किराए पर चल रहे हैं। यह सिफारिश रिसोर्स मोबिलाइजेशन कैबिनेट सब कमेटी ने
राज्य सरकार को की है। इस सब-कमेटी को उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री देख रहे
थे। हालांकि कौन सा दफ्तर शिफ्ट होगा? अभी इस पर फैसला नहीं हुआ है।
किराए के भवनों में चल रहे दफ्तरों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। उद्योग भवन
हाई कोर्ट को जाने के बाद उद्योग विभाग को दो भागों में बांट दिया गया था।
विभाग का एक हिस्सा मजीठा हाउस में सरकारी भवन में है, जबकि माइनिंग विंग
कुसुम्पटी में प्राइवेट
बिल्डिंग में है। इसी तरह महिला एवं बाल विकास विभाग
पहले निजी भवन में चल रहा था, जिसे अब एशियन डिवेलपमेंट बैंक की फंडिंग से बनी
टूरिज्म की बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया है।
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केन्द्र ने कम राशन दिया
निजी
संवाददाता
शिमला : हिमाचल प्रदेश के राशन डिपो में मई माह से एपीएल परिवारों को दिए जाने
वाले सस्ते राशन का आबंटन केंद्र सरकार ने कर दिया है। अप्रैल माह की तुलना में
मई के लिए 57 मीट्रिक टन राशन का कम आबंटन हुआ है लेकिन इसका असर एपीएल
परिवारों को दिए जाने वाले चावल और आटे के कोटे पर नहीं पड़ेगा।
राशन का आबंटन होने के बाद खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने
डिपुओं के माध्यम से एपीएल परिवारों को दिए जाने वाले आटे और चावल का स्केल तय
किया है। इसमें मई में नॉन ट्राइबल क्षेत्रों में एपीएल परिवारों को पहले की ही
तरह 14 किलो आटा और छह किलो चावल कोटा प्रति राशन कार्ड दिया जाएगा। ट्राइबल
एरिया में एपीएल परिवारों को 20 किलो आटा और 15 किलो चावल दिए जाएंगे।
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