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यूजीसी का हैरान करने वाला आदेश छात्रों के लिए

फर्जी डिग्री की जिम्‍मेदारी छात्रों पर डालना गलत...

विशेष संवाददाता

     शिमला : पिछले दिनों विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने हैरान करने वाला आदेश देश भर के छात्रों के लिए जारी किया। इस आदेश में कहा गया है कि छात्र किसी भी विश्व विद्यालय या संस्थान के बारे में पहले जानकारी हांसिल कर लें कि वह जहां प्रवेश लेने जा रहे हैं वह कहीं फर्जी तो नहीं है। होना तो यह चाहिए था कि यूजीसी कहती कि हम देश में किसी भी फर्जी विश्वविद्यालय को चलने नहीं देंगे और जो फर्जी शैक्षणिक संस्थान देश भर में चल रहे हैं उनकी धरपकड़ के लिए सरकारों से कहेंगे ताकि देश के बच्चें इस प्रकार के फर्जी संस्थानों द्वारा ठगे न जाएं।
     इसके विपरीत यूजीसी ने छात्रों, अभिभावकों और आम जनता को फर्जी विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों को लेकर एक सतर्कता आदेश जारी किया है। पिछले दिनों यूजीसी ने निर्देश जारी किए हैं कि केवल वही विश्वविद्यालय या संस्थान जो किसी राज्य अधिनियम, केंद्रीय अधिनियम या प्रांतीय अधिनियम के तहत स्थापित हैं, वह ही वैध रूप से डिग्री जारी कर सकते हैं। फर्जी संस्थानों द्वारा दी गई डिग्रियों को न तो मान्यता प्राप्त होगी और न ही इन्हें उच्च शिक्षा या सरकारी नौकरियों के लिए वैध माना जाएगा। दरअसल छात्रों को ठगी से बचाने के लिए यूजीसी ने सभी संस्थानों को अपनी सलाह दी है कि वे प्रवेश लेने से पहले यूजीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और संस्थानों की सूची देखें। इसके साथ ही छात्रों को यह भी सलाह दी गई है कि यदि स्नातक या स्नोतकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने की योजना बना रहे हैं तो पहले यह सुनिश्चित कर लें कि संबंधित विश्वविद्यालय सही ढंग से मान्यता प्राप्त है।
     यूजीसी यह भी कह रही है कि कुछ संस्थान प्रावधानों के विपरीत डिग्री प्रदान कर रहे हैं। यूजीसी ने छात्रों से अनुरोध भी किया है कि यदि उन्हें किसी भी संस्था द्वारा अवैध रूप से शैक्षणिक कार्यक्रम चलाने की जानकारी मिले तो वह इसकी शिकायत यूजीसी की आईडी पर कर सकते हैं। इससे संबंधित संस्थानों पर उचित कार्रवाई की जाएगी। इस अजीबो गरीब फरमान के बाद छात्र और अभिभावक इस असमंजस में हैं कि वह कैसे जान सकते हैं कि कौन सा संस्थान फर्जी है और कौन सा सही है।
     अब यूजीसी ने छात्रों और उनके अभिभावकों की यह ड्यूटी लगा दी है कि वह विशेषज्ञ बनकर इस बात की जासूसी पहले करें कि कौन सा संस्थान सही है और कौन सा गलत है। जबकि कई विश्व विद्यालय ऐसे हैं जिनके कुछ कोर्स मान्यता प्राप्त हैं और कुछ नहीं हैं। अभिभावक अब इस बात पर रिसर्च करे लें कि यूनिवर्सिटी कैसे खुलती है और उसके कोर्स कैसे मान्यता प्राप्त करते हैं। कौन सा कोर्स कब मान्यता प्राप्त हो जाता है कब उसकी मान्यता पर संकट आ जाता है।
     हिमाचल प्रदेश में प्रदेश सरकार के अधिनियम से खुली युनिवर्सिटी की डिग्रियां भी फर्जी घोषित कर दी गई हलांकि तब वहां प्रवेश लेने वालों ने अपने स्तर पर पूरी जांच कर ली थी। ऐसे में यूजीसी को सारी जिम्मेदारी छात्रों और अभिभावकों पर थोप देना न्याय संगत नहीं है। यूजीसी को चाहिए कि वह प्रांतीय सरकारों को कहे कि यदि उनके प्रांत में कोई भी फर्जी डिग्री बांटने वाला संस्थान पकड़ में आएगा तो उस राज्य की ग्रांट को कम कर दिया जाएगा और यदि सरकार की लापरवाही शिक्षा के क्षेत्र में नजर आई तो बाद में उस राज्य की पूरी ग्रांट को ही बंद कर दिया जाएगा। कुल मिलाकर फर्जी डिग्री बांटने वालों के खिलाफ शिक्षा मंत्रालय को कड़े कदम उठाने होंगे और उन्हें जेल भेजने का प्रावधान करना होगा। यूजीसी द्वारा सारी जिम्मेदारी छात्रों और अभिभावकों पर डालना अन्यायपूर्ण होगा।

 
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