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अनुच्‍छेद 370 हटाने के दावों की खुल गई पोल

पुलवामा की तरह दर्जनों प्रश्‍न छोड़ गया पहलगाम...

     भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के समय किए गए दावों की पोल पहलगांव हमले ने खोलकर रख दी है। मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने का दावा करते हुए कहा था कि सरकार के इस कदम से कश्मीर में लोगों का जीवन अच्छा होगा और यहां के लोगों को पर्यटन व्यापार में काफी लाभ होगा। पिछले दिनों पहलगांव के एक पर्यटन स्थल पर तथाकथित चार आतंकियों ने 26 पर्यटकों का गोलियों से भून दिया। इस घटना के बाद वहां के पर्यटन उद्योग पर ग्रहण लग गया है। लोगों ने उसकी तरफ रुख करना ही छोड़ा दिया।
     अनुच्छेद 370 को हटाने का दावा करते समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साहित भाजपा के बड़े बड़े नेताओं ने दावा किया था कि सरकार के इस कदम से जम्मू-कश्मीर में अमन चैन व शांति स्थापित हो जाएगी। केन्द्र शासित प्रदेश बना दिए जाने का परिणाम यह निकला कि जब आतंकवादियों ने करीब 2000 लोगों पर गोलियों की बौछार की तो वहां एक भी पुलिस कर्मी मौजूद नहीं था। हैरानी इस बात की है कि सरकार उन आतंकियों को आज तक खोज भी नहीं पाई है।
     वहां घोड़े से पर्यटकों को पर्यटन स्थल पर ले जाने का कारोबार करने वाले स्थानीय युवक की भी मौत हो गई और एक घायल ने बाद में दम तोड़ दिया। इन 28 लोगों की मौत की जांच उसी तरह ठंडे बस्ते में डाल दी गई है जैसे पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों की आतंकी हमले में मौत को डाल दिया गया है। पुलवामा हमले में आज तक यह नहीं पता चल पाया कि भारी सुरक्षा में 350 किलो आरडीएक्स कैसे वहां पहुंच गया। पहलगांव के इस आतंकी हमले में भी सुरक्षा एजंसियां यह नहीं बता पा रही हैं कि 28 लोगों का कत्ल करने वाले आधुनिक हथियारों से लैस आतंकी दुर्घटना स्थल तक कैसे पहुंच गए। वह इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने के बाद वहां से जिंदा कैसे बचकर भागने में सफल हो गए। दर्जनों प्रश्न पुलवामा हमले के आज भी लोगों के मन में खड़े हैं। जैसे उनके द्वारा चलाए गए कारतूसों के खोखे कहां गए।
     अनुच्छेद 370 को हटाने का सबसे बड़ा जख्म यह मिला है कि यदि वहां पूर्ण राज्य जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार होती तो 2000 लोगों की देखभाल के लिए राज्य पुलिस के पुख्ता इंतजाम होते। अब वहां केन्द्र शासित प्रदेश है और वहां लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी केन्द्र सरकार की ही थी। केन्द्र सरकार के प्रवक्ता बनकर सामने आए केन्द्रीय मंत्री किरण रिजजू ने पहले तो स्वीकार किया कि सुरक्षा में चूक होने के कारण 28 लोगों को आतंकियों ने मौत बांट दी। लेकिन बाद में उन्होंने भी चूक होने जैसी बात को अपने बयान से हटा दिया। कश्मीर और पूरे देश को जो घाव इस घटना से मिला है उसकी जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं है। फिर बात पाकिस्तान पर हमला करने की होने लगी थी। इस पर क्या हुआ यह भी देशवासियों के सामने आ ही गया है।
     आज कश्मीर में यह हालात बन गए हैं कि वहां का पर्यटन उद्योग चौपट होकर रह गया है। कई पर्यटन स्थलों को बंद किया जा चुका है। वहां मौत का तांडव होने के बाद पर्यटकों ने जाना बंद कर दिया है। लोगों का वहां मुख्य व्यवसाय पर्यटक ही थे। यह हमला कश्मीर के लोगों के लिए बहुत बुरे दिन लेकर आने वाला है। जहां पहले कहा जा रहा था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां कोई भी जाकर कारोबार कर सकेगा, वहीं अब पर्यटन से जुड़े छोटे छोटे काम धंधे भी बंद होने के कगार पर पहुंच गए है। पर्यटकों से भरे रहने वाले बाजार सूने हो गए हैं। स्थानीय युवा देशवासियों से गुहार लगा रहा है कि हम अपनी जान पर खेलकर मेहमानों को कुछ नहीं होने देंगे। सरकार को चाहिए कि अपनी गलती मानते हुए कश्मीर को फिर से गुलजार करने की तरफ अपने कदम बढ़ाए।

 
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