बिहार में खिचड़ी
पकनी शुरू , तड़का बाकि
बिहार में राहुल के खिलाफ 32 एफआइआर दर्ज...
विशेष संवाददाता
शिमला : बिहार में चुनावी खिचड़ी पकनी शुरू हो गई हैं, बस तड़का इस बात पर लगना
शेष रह गया है कि नितीश कुमार भाजपा के साथ रहेंगे या नहीं। नितीश को भाजपा
मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर दे यही पूंछ अभी तक फंसी हुई है। एनडीए के
अन्य घटक दल स्वतंत्र रूप से चुनाव में कूदने की घोषणा करते जा रहे हैं। नितीश
फिलहाल भाजपा के साथ रहना चाहते हैं तभी वह इंडिया गठबंधन के नेताओं को टाइट
किए हुए हैं। कांग्रेस के नेता और संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर
बिहार पुलिस के पास 32 एफआरआर दर्ज की हैं, वह फिर बिहार जा रहे हैं।
अब समय आ गया है कि नितीश को यह फैसला लेने हैं कि उन्हें भाजपा के साथ ही
चुनाव मैदान में उतरना है या इंडिया गठबंधन की पक रही खिचड़ी में कूद जाना है।
वैसे वह चिराग पासवान की तरह अकेले चुनाव मैदान में आने का फैसला भी ले सकते
हैं। कुछ ही दिनों में गठबंधन दलों में सीटों का बंटवारा होने वाला है फिर
स्थिति और अधिक स्पष्ट हो जाएगी।
मुख्यमंत्री नितीश कुमार नहीं चाहते हैं कि राहुल गांधी बिहार में आकर विपक्ष
को मजबूत करने का प्रयास करें। क्योंकि अगर नितीश को भाजपा के साथ ही चुनाव
लड़ना पड़ा तो उनके गठबंधन पर राहुल गांधी के कार्यक्रम ही भारी पड़ जाएंगे।
आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव पहले ही एनडीए की छाती पर चढ़कर बोल रहे हैं। मोदी
के बिहार दौरे में भी कोई ऐसा दम नहीं दिखा कि नितीश भाजपा के सहारे ही बिहार
में बड़ी जीत हासिल कर लेंगे। जिस प्रकार दरभंगा में आयोजित छात्रों के
कार्यक्रम में पुलिस बल लगाकर रोकने का प्रयास किया गया। राहुल गांधी पुलिस
अधिकारियों से बहस करते हुए जबरन छात्रों के बीच पहुंच गए और करीब 13 मिनट में
उन्हें संबोधित करने के बाद बाहर आ गए। इससे राहुल की छवि भी बिहार के युवाओं
में अच्छी हो गई है, इसका लाभ इंडिया को मिलेगा।
हलांकि जगह जगह पर राहुल गांधी के खिलाफ एफआरआर दर्ज हो गई हैं। जब राहुल गांधी
से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह एफआरआर तो उनके लिए मेडल हैं।
यह बात बिहार के युवाओं को प्रभावित कर रही है। अब बिहार की राजनीति में पूरा
उबाल आया हुआ है। बिहार में अनुमान यही लगाया जा रहा है कि लालू की पार्टी
आरजेडी और कांग्रेस वहां अन्य पार्टियों के साथ मिलकर इंडिया गठबंधन के तले
चुनाव लड़ रही है। फिलहाल भाजपा के साथ नितीश कुमार और एक दो अन्य पार्टियां
एनडीए गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में हैं। भाजपा और नितीश कुमार की हालत बिहार
में पतली बताई जा रही है। बिहार में भाजपा जहां नेतृत्वविहीन है वहीं नितीश
कुमार की हालत भी काफी कमजोर हो गई है। इसके बाद भी यदि यह गठबंधन नहीं बन पाता
है तो भाजपा के पास इमानदारी से चुनाव में उतरना सीधी हार को दावत देना होगा।
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