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हिमाचल समाचार

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शिमला की मस्जिद का क्‍या होगा, फिलहाल हाई कोर्ट से राहत

सुप्रीम कोर्ट वक्‍फ कानून पर क्‍या फैसला देता है...

निजी संवाददाता

     शिमला : एक तरफ केन्द्र सरकार के वक्फ कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है वहीं दूसरी ओर शिमला में पिछले काफी समय से विवाद में चल रही मस्जिद को तोड़ने के आदेश निगम आयुक्त ने जारी कर दिए थे। फिलहाल हाई कोर्ट ने इस मस्जिद को तोड़ने से राहत दे दी है। फिलहाल यह मामला भी अब देश भर की नजर पर है। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे वक्फ कानून केस का इस मस्जिद के मामले में क्या असर पड़ता है।
     कहा गया कि विवादित संजौली मस्जिद पूरी तरह से अवैध है और नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने इसे गिराने का फैसला सुनाया भी दिया था। निगम आयुक्त ने तो आदेश जारी कर दिए थे कि मस्जिद की दो अन्य मंजिलों को भी तुरंत तोड़ दिया जाए। बता दें कि संजौली मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड ने संजौली मस्जिद के मालिका हक की रिपोर्ट के लिए तीन मई तक का समय मांगा था। तीन मई को हुई सुनवाई में आयुक्त कोर्ट ने जब वक्फ बोर्ड को मालिकाना हक की रिपोर्ट पेश करने को कहा तो वक्फ बोर्ड अदालत में कोई भी दस्तावेज पेश नहीं कर पाया। ऐसे में शिमला की संजौली मस्जिद मामले में निगम की अदालत ने अपना अंतिम निर्णय देते हुए पूरी मस्जिद को तोड़ने के आदेश दे दिए।
     वक्फ बोर्ड को मस्जिद की जमीन पर मालिकाना हक के कागज अदालत में पेश करने सहित मस्जिद का नक्शा भी आयुक्त को देना था लेकिन वक्फ बोर्ड के वकील न तो सही कागजात दे पाए और न ही मजबूती से अपना पक्ष रख पाए। अब मामला हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में चल रहा है।
     वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा है कि इस जगह पर मस्जिद 1947 से पहले की थी जिसको तोड़कर इसे दोबारा बनाया गया था। नगर निगम कोर्ट ने पूछा कि यदि मस्जिद 1947 से पहले की थी तो पुरानी मस्जिद को तोड़कर नई बनाने के लिए नगर निगम से नक्शा सहित अन्य जरूरी दस्तावेज कहां हैं। इस पर वक्फ बोर्ड वहां साबित नहीं कर पाया था कि मालिकाना हक उसके पास है। अब इस पर सभी की निगाह इस बात को लेकर है कि मस्जिद के काजात न होने पर वक्फ को उसका मालिक कैसे मान लिया जाए। इन सभी बातों का जिक्र सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका में है और अब सभी को उसका भी इंतजार है।

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नक्‍शा पास नहीं, तो भरना होगा कॉमर्शियल बिल

कहते हैं पूर्व जयराम सरकार ने भी किया था यही प्रयास...

निजी संवाददाता

     शिमला : हिमाचल प्रदेश के जिन शहरों और कस्बों में घरेलू मकान बिना नक्शे के पाए जाएंगे उनसे बिजली बोर्ड कॉमर्शियल दरों पर बिजली का बिल वसूल करेगा। इससे पहले सिर्फ जमीन की जमाबंदी के आधार पर ही बिजली का घरेलू मीटर लगाने की व्यवस्था थी। अब सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार बिजली की दरों में बढ़ौत्तरी करके हिमाचल की आर्थिक हालत को ठीक करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
     इससे पहले भी सरकार ने निःशुल्क 125 युनिट बिजली दिए जाने पर कई बंदिशें लगाकर अधिकतर लोगों से अधिक बिजली का बिल वसूलने के प्रयास किए थे लेकिन वह प्रयास सफल नहीं हो पाए। अब हिमाचल सरकार का प्रयास है कि शहरी क्षेत्र में बिना एनओसी के लगाए गए घरेलू बिजली मीटर को कॉमर्शियल मीटरों में बदल दिया जाएगा। इससे बिजली के बिल से सरकार का अच्छी खासी आमदनी हो जाएगी। हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के आदेशों के अनुसार शहरी क्षेत्र में इस तरह बिना नक्शा पास करवा लगाए गए बिजली मीटरों पर इस तरह की कार्रवाई की जाएगी।
     कहा जा रहा है कि पूर्व जयराम सरकार के समय में बिजली नियामक आयोग के सामने यह मामला आया था जिस पर निर्णय लिया गया था कि इन घरेलू बिजली मीटर को कॉमर्शियल मीटर में परिवर्तित किया जाए। इसके बाद इस फैसले को लागू नहीं किया जा सका। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आ गई थी, परंतु अब एक बार फिर से नियामक आयोग ने इस मामले में निर्देश जारी किए हैं। इसके लिए बिजली बोर्ड ने अपने सभी शहरी क्षेत्र के डिवीजनों में इस नई व्यवस्था को लागू करने की तैयारी कर ली है। राजधानी शिमला समेत प्रदेश के प्रमुख शहरों में ऐसे घरेलू बिजली मीटर का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
     अब ऐसे मकानों की संख्या काफी अधिक हो गई है जिनका नक्शा पास नहीं हुआ था यानी पहले भवन का नक्शा पास नहीं करवाया गया, लेकिन फिर भी बिजली के मीटर लगा दिए गए थे। उल्लेखनीय है कि पूर्व में बिजली बोर्ड लोगों की डिमांड पर बिजली के मीटर लगा देता था लेकिन उसमें भवन का नक्शा पास करवाने के औपचारिकताएं नहीं रहती थी। परंतु अब बिजली नियामक आयोग इस मामले में सख्त हुआ है। लोगों को अपने भवन का नक्शा पास करवाने के लिए नगर निगम नगर पंचायत या फिर नगर परिषदों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने होंगे तभी उनके बिजली के मीटर घरेलू कनेक्शन के रूप में चल सकेंगे।

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क्‍या कर रहे हैं मुख्‍यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्‍खू

हिमाचल प्रदेश पुलिस में मचा हुआ है घमासान...

निजी संवाददाता

     शिमला : मीडिया में हिमाचल प्रदेश पुलिस के भीतर घमासान चल रहा है, ऐसे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पहले क्या कर रहे थे। आखिर वह मुख्यमंत्री होने के साथ साथ प्रदेश के गृहमंत्री भी हैं। हलांकि अब प्रदेश सरकार ने भारी बवाल के बाद कई अधिकारियों को निलंबित भी किया है।
     निलंबित किए गए एसपी संजीव गांधी ने आरोप लगाया कि शिमला में उन्होंने अढ़ाई साल में चिट्टा तस्करी के खिलाफ अभियान चला रखा है। इसमें डीजीपी के निजी स्टाफ का एक जवान भी शामिल है। 2019 से 2021 के बीच हुई पुलिस भर्ती पर उनकी असहमति की टिप्पणी के बाद विभाग के भीतर उन्हें निशाना बनाया जा रहा था। एसपी संजीव गांधी ने कहा कि मुख्य सचिव ने भी बड़ा समाज मंदिर संपत्ति विदाद की जांच में हस्तक्षेप किया और उसे रोकने को कहा। एसपी शिमला संजीव गांधी ने कहा, कारोबारी निशांत शर्मा के केस में उन्होंने बिना पक्षपात हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया। यह हलफनामा तत्कालीन संजय कुंडू के खिलाफ था। इसके अलावा तरह तरह के आरोप हिमाचल पुलिस पर लगाए गए हैं, वह भी एक वरिष्ठ पुलिस अफसर के द्वारा। मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि आखिर यह नौबत कैसे आ गई कि पुलिस विभाग को आरोपों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया गया है। सभी मामलों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सबके सामने आ सके।

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नए शॉट टर्म कोर्स शुरू

निजी संवाददाता

     शिमला : यूजीसी ने इंडस्ट्री की जरूरतों के हिसाब से उच्च शिक्षण संस्थानों में शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने को लेकर एक गाइडलाइन जारी की है। ये सर्टिफिकेट कोर्स 12 क्रेडिट से 30 क्रेडिट तक के होंगे। नई गाइडलाइन के अनुसार ये शॉर्ट टर्म कोर्स यूनिवर्सिटी और कालेज में पढ़ने वाले हर एक स्ट्रीम के स्टूडेंट कर सकेंगे।
     नए सत्र में छात्रों को ये सुविधा मिल सकती है। ये कोर्स तीन से छह महीने के होंगे। गाइडलाइन के अनुसार शॉर्ट टर्म कोर्स करने के लिए हर वह स्टूडेंट एलिजिबल होगा, जो यूनिवर्सिटी या कालेज में डिग्री, डिप्लोमा कोर्स में दाखिला लिया होगा। नई गाइडलाइन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार तैयार की गई है। ऐसे स्टूडेंट्स जिन्हें किसी वजह से स्कूल या कालेज की पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी है, वे भी इस कोर्स की मदद से अपनी स्किल पर काम कर सकते हैं।

 

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पानी की बोतल पर प्रतिबंध

निजी संवाददाता

     शिमला : हिमाचल प्रदेश में पानी की छोटी यानी 500 एमएल क्षमता की प्लास्टिक बोतल पहली जून से बंद हो जाएगी। इसे लेकर सरकारी महकमों ने अपनी तैयारी कर ली है। इसे पर्यावरण के लिए घातक बताते हुए यह प्रतिबंध लगाया गया है।
     मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इसके लिए अफसरों से समीक्षा बैठक कर ली है। यह प्लास्टिक बोतल सरकारी कार्यक्रमों और होटलों में प्रतिबंधित की जा रही है। मुख्य सचिव ने बैठक में कहा कि हिमाचल जीव अनाशित कूड़ा-कचरा नियंत्रण अधिनियम के तहत प्रदेश में प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के दृष्टिगत यह निर्णय लिया गया है। इस महत्त्वपूर्ण कदम के तहत आगामी पहली जून से पॉलीथीन टेरेफ्थैलेट (पीईटी) विशेषता वाली पेयजल बोतलों को प्रदेश में प्रतिबंधित किया गया है।

 

 
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