हिमाचल प्रदेश की ओर रुख करने लगे हैं
ग्रीष्मकालीन पर्यटक
कश्मीर जाने वाले भी अब हिमाचल की तरफ...
पहलगाम में आतंकवादी घटना के बाद
अब देश विदेश के पर्यटकों ने हिमाचल का रुख करना शुरू कर दिया है। जबकि
पाकिस्तान से युद्ध की आशंका के चलते हिमाचल प्रदेश के पर्यटन उद्योग को भी
एकदम भारी झटका लग गया था। मैदानी इलाकों में तपती धूप के कारण हर वर्ष लाखों
पर्यटक पहाड़ों का रुख कर लेते थे। इनमें सबसे अधिक पर्यटक जम्मू-कश्मीर की ओर
जाते थे। कश्मीर में आतंकवादी घटने के बाद इस बार ग्रीषमकालीन पर्यटक हिमाचल और
उत्तराखंड की ओर आना पसंद कर रहे हैं।
युद्ध विराम के बाद अब हिमाचल में पर्यटकों की चहल पहल नजर आने लगी है। इससे
पहले हमेशा गर्मी के मौसम में गुलजार रहने वाले हिमाचल के अधिकांश पर्यटन स्थल
सुने नजर आ रहे थे। पर्यटकों की कमी से पर्यटन कारोबारियों के चेहरे पर चिंता
की लकीरें साफ नजर आने लगी थी। जून का महीना मनाली, शिमला और धर्मशाला का
टूरिस्ट सीजन होता है और इन्हीं गर्मियों के महीने में मनाली के पर्यटन कारोबारी
साल भर का खर्चा जुटा लेते हैं। पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम के बाद मई का आधा
महीना गुजर चुका था, मगर पर्यटकों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा था। हालांकि,
बुकिंग और पूछताछ में कुछ इजाफा होने से पर्यटन कारोबार में इजाफा होने की
उम्मीद पर्यटन कारोबारियों ने नहीं छोड़ी थी। रोहतांग दर्रा खुलने के बाद भी
बर्फ देखने की हसरत में पर्यटक मनाली की ओर नहीं देख रहे थे। जबकि पिछले वर्षों
तक वह इन दिनों मनाली के माल रोड में चहल कदमी करते हुए देखे जाते रहे हैं।
ग्रीन टैक्स बैरियर के आंकड़ों को लें तो पिछले पखवाडे तक मनाली में रोजाना एक
हजार से 1100 पर्यटक वाहन आ रहे थे, लेकिन युद्ध विराम के बाद इस बार यह आंकड़ा
सिमटकर 600 से 700 रह गया था। वोल्वो बसों का संचालन जारी था लेकिन पर्यटकों की
संख्या में काफी कमी दर्ज की जा रही थी। तब पर्यटन कारोबारियों का कहना था कि
पर्यटकों की संख्या में अचानक गिरावट आई है। लगभग अगले सप्ताह के बाद पर्यटकों
की संख्या बढ़ने लगी थी। युद्ध विराम का खौफ भी पर्यटकों के मन से निकलने लगा
था। कहते हैं कि मई के बाद पर्यटन सीजन बूम पर आने की प्रबल संभावना बन गई थी।
होटलियर ऐसोसिएशन से जुड़े लोगों ने बताया कि पर्यटकों की संख्या बेहद कम थी
लेकिन बुकिंग में बढ़ोत्तरी होने से कारोबार बढ़ने की उम्मीद पहले से ही थी। साथ
ही इस बात का भी खौफ था कि यदि भारत पाक के बीच फिर से टकराव हो गया तो सारी
बुकिंगस फिर से केंसिल हो सकती थीं। पर्यटन निगम की ओर से भी बताया गया कि खराब
हालात के समय होटलों कि आक्यूपेंसी 40 फीसदी के लगभग चल रही थी। युद्ध विराम के
बाद बुकिंग बढ़ी है। अब जून महीने में हिमाचल के पर्यटन स्थल पूरी तरह से गुलजार
नजर आने लगे हैं।
यह भी बताया जा रहा है कि जिन लोगों ने इस वर्ष गर्मियों में कश्मीर जाने का मन
बनाया हुआ था वह भी हिमाचल की ठंडी वादियों में पहुंच गए हैं। बहुत से लोगों ने
अपनी कश्मीर की बुकिंगस केंसिल करवाकर हिमाचल और उत्तराखंड के होटलों की बुकिंग
करवा ली है। कुछ पर्यटकों ने तो यह भी बताया कि पहलगाम घटना के बाद मन बहुत
विचलित था और उन्होंने इस बार मन बना लिया था कि वह इस बार कहीं घूमने नहीं
जाएंगे लेकिन चिलचिलाती गर्मी ने उन्हें फिर से पहाड़ों की ओर आने को मजबूर कर
दिया। अनुमान यह लगाया जा रहा है कि इस बार हिमाचल में रिकार्ड पर्यटक आएंगे और
अब हिमाचल प्रदेश के होटलों में बुकिंग मिलना काफी मुश्किल हो जाएगा। कश्मीर के
पर्यटन उद्योग को इस बार भले ही भारी नुक्सान उठाना पड़ रहा है लेकिन हिमाचल का
पर्यटन उद्योग इस बार काफी बड़ा नुनाफा देकर जाएगा।
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